स्थानीय नीति के खिलाफ पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने खोला मोर्चा, कहा- यह पॉलिसी स्वीकार नहीं

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Published : Sep 15, 2022, 6:51 PM IST

Former CM Madhu Koda
स्थानीय नीति के खिलाफ पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने खोला मोर्चा ()

पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian based domicile policy) के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. उन्होंने कहा कि कोल्हान के तीन जिलों में सर्वे 1958 में हुआ था और सेटलमेंट खतियान 1964-65 में बना था. इस स्थिति में कोल्हान के लोगों को भारी नुकसान होगा.

रांचीः हेमंत सोरेन सरकार की ओर से 1932 खतियान आधारित स्थानीय नीति (1932 Khatian based domicile policy) को मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है, उस मास्टर स्ट्रोक के खिलाफ विरोध का पहला स्वर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की ओर से उठा है. गुरुवार को मधु कोड़ा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सिर्फ 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति स्वीकार नहीं है. क्योंकि सरकार की इस नीति की वजह से कोल्हान के तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां के लोगों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.

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पूर्व सीएम मधु कोड़ा ने कहा कि 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति के विरोध की वजह है. उन्होंने कहा कि कोल्हान में सर्वे 1958 में हुआ था और सेटलमेंट खतियान 1964-65 में बना था. इस स्थिति में सिर्फ 1932 को आधार बनाया गया तो उसका नुकसान कोल्हान के 45 लाख से ज्यादा लोगों को भुगतना पड़ेगा.

क्या कहते हैं पूर्व सीएम

मधु कोड़ा ने चेतावनी देते हुए कहा कि कोल्हान की जनता के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय नीति में सरकार संशोधन नहीं करती है तो कोल्हान जलेगा. उन्होंने कहा कि शुक्रवार से ही कोल्हान में आंदोलन शुरू करेंगे. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने जल्दीबाजी में फैसला लिया है. गठबंधन की सरकार में बिना कोऑर्डिनेशन कमेटी और स्टेयरिंग कमेटी में लाये एकाएक यह फैसला लिया गया है, जिसका विरोध कर रहे हैं.

क्या कहती हैं सांसद गीता कोड़ा

कांग्रेस सांसद गीता कोड़ा भी इस विरोध का समर्थन करेंगी. मधु कोड़ा ने साफ किया कि कांग्रेस की सांसद गीता कोड़ा भी इसके विरोध का स्वर तेज करेंगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष क्या बोल रहे हैं यह मुद्दा नहीं है. मुद्दा यह है कि कोल्हान की जनता के साथ वह अन्याय नहीं होने देंगे. उन्होंने कहा कि जल्द ही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्यपाल रमेश बैस और सोनिया गांधी को पत्र लिखकर यह मांग करेंगे कि सिर्फ 1932 आधारित स्थानीय नीति नहीं हो और वर्तमान कैबिनेट के फैसले पर पुनर्विचार करते हुए इसमें संशोधन किया जाए.

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