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इजराइल से लौटा 24 किसानों का दल, सीखे कम पानी में उन्नत खेती करने के गुर

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Published : Oct 21, 2019, 1:16 PM IST

इजराइल से खेती के आधुनिक गुर सीखकर किसानों का दल रांची लौटा. उनके चेहरों पर मुस्कान थी. किसानों ने कहा कि उन्होंने जो कुछ भी सीखा है, उसका उपयोग खुद भी करेंगे और अपने इलाके के दूसरे किसानों को भी बताएंगे.
इजराइल से लौटे किसान

रांचीः राज्य सरकार की तरफ से उन्नत और कम पानी में खेती करने के गुर सीखने गए 24 किसान रविवार को इजराइल से लौटे. रांची पहुंचने के बाद एयरपोर्ट पर कृषि पदाधिकारियों ने किसानों का स्वागत किया. पांच दिवसीय विदेश यात्रा से लौटे किसानों ने इजराइल में सीखे नई तकनीक और तरीके को जान राज्य के किसानों के बीच प्रचार प्रसार करने की बात कही.

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किसानों ने सरकार को दिया धन्यवाद
उन्नत और आधुनिक खेती का गुर सीखने रांची से 24 किसानों का दल 15 अक्टूबर को रवाना हुआ था. इससे पहले लगभग 95 किसान तीन चरणों में आधुनिक और उन्नत खेती के गुर इजराइल से सीखकर झारखंड में इसे अपनाने का काम कर रहे हैं. इजराइल से आधुनिक खेती के तरीके सीखकर आए किसानों ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर राज्य सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने कम पानी में उन्नत खेती करने के कई उपाय सीखे हैं. ताकि पानी की किल्लत होने के बाद भी झारखंड के किसान भी अपनी फसल का ज्यादा से ज्यादा उपज हासिल कर सके.

इजराइल में डिमांड के आधार पर होती है खेती
इजराइल से लौटे अन्य किसानों ने बताया कि इजराइल में मार्केट की डिमांड के आधार पर खेती की जाती है, ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो लेकिन भारत में हम परंपरागत खेती पर ज्यादा निर्भर रहते हैं. जिस वजह से झारखंड के किसान अपनी आमदनी में ज्यादा मुनाफा नहीं कर पाते हैं. कृषि पदाधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि जिस प्रकार पूर्व में गए 3 बैच के किसानों में उत्साह देखा गया था. उसी प्रकार चौथे बैच के किसानों में भी उत्साह देखा जा रहा है और यह अपने क्षेत्र में जाकर किसानों को उन्नत खेती और कम पानी में टपक सिंचाई तकनीक का उपयोग कर राज्य के किसानों के लिए मिसाल बनने का काम करेंगे.

ये भी पढ़ें- रांचीः पुलिस लाइन में मना संस्मरण दिवस, शहीद के परिजनों को किया गया सम्मानित

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशाना
राज्य सरकार की ओर से भेजे गए किसानों के वापस आने के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड के किसान इजराइल में खेती सीखने जा रहे हैं. जो निश्चित रूप से किसानों के लिए बेहतर है, लेकिन राज्य सरकार पिछले 5 वर्षों में कृषि के क्षेत्र में असफल है क्योंकि यहां के किसान आत्महत्या और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इजराइल से खेती के गुर सीखकर लौटे किसान राज्य के अन्य किसानों के लिए बेहतर काम करेंगे जो सरकार ने अभी तक नहीं किया.

इजराइल से वापस लौटे किसान
राज्य सरकार के तरफ से चौथे दल के रूप में इजराइल जाने वाले किसानों के नाम: अंबिका प्रसाद कुशवाहा(देवघर), राजेंद्र यादव( देवघर), जगदीश रजक (धनबाद), रघुनंदन कुमार(धनबाद), रमेश हांसदा(दुमका), रामप्रताप महतो(पूर्वी सिंहभूम), सिदम चंद्र मुर्मू(पूर्वी सिंहभूम), आनंद कुमार(गढ़वा), धर्मेंद्र कुमार मेहता(गढ़वा), कुमार विवेकानंद (गिरिडीह), नीतीश आनंद(गोड्डा), शशिकर झा(गोड्डा), अनिम मिंज(गुमला), दिलीप कुमार(खूंटी), मितेंद्र लकड़ा(लातेहार), अरुण चंद्र गुप्ता(रांची), सुखदेव उरांव(रांची), गनसु महतो(रांची), राजेश यादव(साहिबगंज), रमेशचंद्र रविदास(साहिबगंज), रमेश पूर्ति(पश्चिमी सिंहभूम), मार्कस बोदरा(पश्चिमी सिंहभूम) हैं.

Intro:राज्य सरकार की तरफ से उन्नत एवं कम पानी में खेती करने के गुर सीखने गए 24 किसान रविवार को इजराइल से रांची पहुंचे। रांची पहुंचने के बाद एयरपोर्ट पर कृषि पदाधिकारियों ने किसानों का स्वागत किया। पांच दिवसीय विदेश दौरे से लौटे किसानों ने इजराइल से सीखें नए तकनीक और तरीके को जान राज्य के किसानों के बीच प्रचार प्रसार करने की बात कही।


Body:उन्नत एवं आधुनिक खेती का गुर सीखने रांची से 24 किसानों का दल 15 अक्टूबर को रवाना हुआ था,इससे पहले लगभग 95 किसानों ने तीन चरणों में आधुनिक एवं उन्नत खेती के गुर इजराइल से सीखकर झारखंड में इसे अपनाने का काम कर रहे हैं। इजराइल से आधुनिक खेती का गुण सिख आये किसानों ने बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पर राज्य सरकार को धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि इजराइल गये किसानों ने कम पानी में उन्नत खेती करने का कई उपाय सीखें ताकि पानी की किल्लत होने के बाद भी झारखंड के किसान भी अपनी फसल का ज्यादा से ज्यादा उपज कर सके। इजराइल से अन्य किसानों ने बताया कि इजराइल में मार्केट की डिमांड के आधार पर खेती की जाती है ताकि किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो लेकिन भारत में हम परंपरागत खेती पर ज्यादा निर्भर रहते हैं जिस वजह से झारखंड के किसान अपनी आमदनी में मुनाफा नहीं कर पाते। कृषि पदाधिकारी आरपी सिंह ने बताया कि जिस प्रकार पूर्व में गए 3 बैच के किसानों में उत्साह देखा गया था उसी प्रकार चौथे बैच के किसानों में भी उत्साह देखा जा रहा है और यह अपने राज्य में जाकर किसानों को उन्नत खेती और कम पानी में टपक सिंचाई तकनीक का उपयोग कर राज्य के किसानों के लिए मिसाल बनने का काम करेंगे।


Conclusion:राज्य सरकार द्वारा भेजे गए किसानों के वापस आने के बाद कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह ने राज्य सरकार पर हमला करते हुए कहा कि झारखंड के किसान इजराइल में किसानी सीखने जा रहे हैं जो निश्चित रूप से किसानों के लिए बेहतर है लेकिन राज्य सरकार पिछले 5 वर्षों में कृषि के क्षेत्र में असफल है क्योंकि यहां के किसान आत्महत्या और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं साथ ही उन्होंने बताया कि इजराइल से किसानी सीख लौटे किसान राज्य के अन्य किसानों के लिए बेहतर काम करेंगे जो सरकार ने अभी तक नहीं किया। राज्य सरकार के द्वारा चौथे दल के रूप में इजराइल जाने वाले किसानों के नाम: अंबिका प्रसाद कुशवाहा(देवघर), राजेंद्र यादव( देवघर), जगदीश रजक (धनबाद), रघुनंदन कुमार(धनबाद),रमेश हांसदा(दुमका), रामप्रताप महतो(पूर्वी सिंहभूम), सिदम चंद्र मुर्मू(पूर्वी सिंहभूम), आनंद कुमार(गढ़वा),धर्मेंद्र कुमार मेहता(गढ़वा),कुमार विवेकानंद (गिरिडीह),नीतीश आनंद(गोड्डा), शशिकर झा(गोड्डा), अनिम मिंज(गुमला), दिलीप कुमार(खूंटी), मितेंद्र लकड़ा(लातेहार), अरुण चंद्र गुप्ता(रांची), सुखदेव उरांव(रांची),गनसु महतो(रांची), राजेश यादव(साहिबगंज), रमेशचंद्र रविदास(साहिबगंज), रमेश पूर्ति(पश्चिमी सिंहभूम),मार्कस बोदरा(पश्चिमी सिंहभूम)। बाइट- नीतीश आनंद,इजरायल से लौटे युवा किसान बाइट- शशिकर झा, इजराइल से लौटे किसान। बाइट- आरपी सिंह, मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी, कृषि विभाग।
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