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नक्सलियों की खतरनाक साजिश, ऐसे कर रहे हैं कंस्ट्रक्शन कंपनियों की रेकी

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Published : Aug 15, 2019, 3:46 PM IST

रांची और आसपास के इलाकों में कई उग्रवादी अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं. क्रशर और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में मजदूर बनकर वो काम कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार कई उग्रवादी मजदूर बनकर कंपनी की अंदरूनी जानकारी हासिल करते हैं. इसके बाद वो कंपनी से मोटी रकम वसूलते हैं.

झारखंड में पहचान छिपाकर रह रहे उग्रवादी

रांची: झारखंड के कई बड़े शहरों में जंगल से भागे हुए उग्रवादी अपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं. कुछ उग्रवादी पुलिसिया अभियान से घबराकर मजदूर भी बन गए हैं. वहीं, कुछ उग्रवादी मजदूर बनकर कंस्ट्रक्शन कंपनियों की रेकी करके उनसे उगाही का रास्ता तैयार कर रहे हैं.

वीडियो में देखें पूरी खबर

दरअसल, रांची और आसपास के इलाकों में कई उग्रवादीअपनी पहचान छिपाकर रह रहे हैं. क्रशर और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में मजदूर बनकर वो काम कर रहे हैं. झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार कई उग्रवादीमजदूर बनकर कंपनी की अंदरूनी जानकारी हासिल करते हैं. इसके बाद वो कंपनी से मोटी रकम वसूलते हैं.

राजधानी रांची के तुपुदाना इलाके से कुछ दिन पहले ही उग्रवादी संगठन पीएलएफआई के 3 कुख्यात उग्रवादी गिरफ्तार किए गए थे. तीनों एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे, जिससे मौका मिलने पर उस कंपनी से रंगदारी वसूली जा सके. मामला सामने आने के बाद रांची एसएसपी अनीश गुप्ता ने रांची के सभी थानेदारों को निर्देश दिया कि उनके क्षेत्र में जितने भी क्रशर और कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है उनके मालिकों से काम कर रहे मजदूरों का ब्योरा लें.

क्यों दिया आदेश
रांची पुलिस ने हाल के दिनों में पीएलएफआई नक्सलियों को गिरफ्तार किया है. जेल गए सभी नक्कली मजदूर बनकर रांची में काम कर रहे थे. पुलिस का मानना है कि मजदूर का काम करने से उन पर निगाह नहीं जाती है. हत्या और अन्य वारदातों को अंजाम देने के बाद वो रांची में शरण लेते हैं और मजदूर बनकर काम करते हैं. इसी को देखते हुए एसएसपी ने यह आदेश जारी किया है.

पुलिस के आदेश का मकान मालिक नहीं कर रहे पालन
पहचान छिपाकर नक्सलियों और नक्सल समर्थक के रहने की बात सामने आने पर रांची पुलिस समेत राज्य के अन्य जिलों की पुलिस के द्वारा मकान मालिक को कड़े निर्देश दिए गए हैं. मकान मालिक को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जिन्हें वह घर किराए पर दे रहे हैं, उनके वोटर आईडी, गारंटर समेत कई अन्य डॉक्यूमेंट की जांच कर लें. इसके अलावा स्थानीय लोग जो पिछले कई सालों से उन्हें जानते हैं, उनसे भी जानकारी लें. इतना ही नहीं, किरायेदार का विस्तृत विवरण थाने में जमा करें. अगर कोई मकान मालिक इसका पालन नहीं करता है और उसके घर से उग्रवादीया उनके समर्थक पकड़े जाते हैं, तो मकान मालिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. लेकिन फिर भी इस नियम का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है.

केस-1
सात अगस्त को तुपुदाना पुलिस ने 3 पीएलएफआई संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार किया था. एक साल से तीनों उग्रवादी तुपुदाना इलाके में मजदूर बनकर रह रहे थे. इसमें एरिया कमांडर जुनूल उर्फ जेम्स भेंगरा के अलावा नेलसन टोप्पो और सामुएल उर्फ चेपटा शामिल है. गिरफ्तार उग्रवादीकिराए के मकान में रह रहे थे.

केस-2
29 अक्तूबर 2015 को तुपुदाना पुलिस ने नगड़ी के बरियातू गांव से पीएलएफआई उग्रवादी जुल्फान अंसारी को गिरफ्तार किया था. जुल्फान अंसारी भी नगड़ी गांव में छिपकर मजदूरी का काम काम कर रहा था. वह डुंगरा गांव में 6 नवंबर 2014 को पुलिस के साथ मुठभेड़ में शामिल था. गिरफ्तार उग्रवादी किराए के मकान में रह रहे थे.

केस-3

2014 कुख्यात उग्रवादी कुंदन पाहन का भाई डिम्बा पाहन हरियाणा से पकड़ा गया था. वह वहां पर मुर्गी फॉर्म में काम कर रहा था. कुंदन के दस्ते के ही हार्डकोर उग्रवादी छोटे सरकार, गिरिउवा मुंडा और बुद्धराम मुंडा भी दूसरे राज्यों में मजदूरी का काम कर रहे थे, लेकिन रांची पुलिस ने अपने टेक्निकल सेल की मदद से उन्हें ट्रेस किया और वो आज पुलिस की गिरफ्त में है.

Intro:डे प्लान , स्पेसल स्टोरी

झारखंड के कई बड़े शहरों में जंगल से फरार हुए नक्सली अपनी पहचान छुपाकर रह रहे हैं। कुछ नक्सली पुलिसिया अभियान से घबराकर मजदूर बन गए हैं ।वहीं कुछ मजदूर बनकर कंस्ट्रक्शन कंपनियों की रेकी कर उनसे उगाही का रास्ता तैयार कर रहे हैं।

अगर आप किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी के मालिक है या फिर ईट भट्ठा या क्रशर चलाते हैं तो अपने यहां काम करने वाले मजदूरों पर विशेष ध्यान दें हो सकता है आपका कोई मजदूर कोई बड़ा नक्सली कमांडर निकले।रांची और आसपास के इलाकों में भी कई नक्सली अपनी पहचान छुपाकर रह रहे हैं। क्रशर और कंस्ट्रक्शन कंपनियों में मजदूर बनकर वे काम कर रहे हैं। झारखंड पुलिस के एडीजी अभियान मुरारी लाल मीणा के अनुसार पहले भी ऐसे कई मामले आए हैं जिनमें दूसरे राज्यों से झारखंड के नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है। वे अपनी पहचान छुपा कर दूसरे राज्यों में मजदूरी करते हुए पकड़े गए थे। एडीजी अभियान के अनुसार सिर्फ पुलिसिया डर से ही नक्सली अपनी पहचान छुपाकर मजदूरी या फिर दूसरे काम नहीं करते हैं। कई मामलों में तफ्तीश के दौरान यह भी पता चला है कि नक्सली संगठन के सक्रिय कैडर कंस्ट्रक्शन कंपनियों ,ईट भट्ठे ,क्रशर और सड़क निर्माण में  लगे कंपनियों में सिर्फ इसलिए काम करते हैं ताकि उन कंपनियों की अंदरूनी बातों की जानकारी  मिल सके और उनसे मोटी रकम लेवी के रूप में वसूली जा सके।

बाइट - एम एल मीणा ,एडीजी अभियान

कुछ दिन पहले रांची के तुपुदाना इलाके से भी नक्सली संगठन पीएलएफआई के तीन कुख्यात नक्सली गिरफ्तार किए गए थे । तीनों एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे ।ताकि मौका मिलने पर उस कंपनी से रंगदारी वसूली जा सके। मामला सामने आने के बाद रांची एसएसपी अनीश गुप्ता ने सभी रांची की सभी थानेदारों को निर्देश दिया है कि उनके क्षेत्र में जितने भी क्रशर और  कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है उनके मालिकों से काम कर रहे मजदूरों का ब्योरा लें। ब्योरा में मजदूरों का स्थायी व वर्तमान पता के अलावा पहले क्या करते थे, इन सभी चीजों की जांनकारी थानों को देनी होगी। एसएसपी ने थानेदारों को यह भी निर्देश दिया है कि अगर कोई कंपनी का मालिक ब्योरा देने से इंकार करें तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एसएसपी अनीश गुप्ता ने सभी थानेदारों से कहा है कि वे मजदूरों की फाइल तैयार करें। यह भी पता लगाएं कि मजदूरों ने जो अपना ब्योरा दिया है वह सही या नहीं। संदिग्ध पाए जाने पर उन्हें तुरंत हिरासत में लिया जाए।

बाइट - अनीश गुप्ता ,एसएसपी रांची

क्यों दिया आदेश

रांची पुलिस ने हाल के दिनों में पीएलएफआई नक्सलियो को गिरफ्तार किया है। जेल गए सभी उग्रवादी मजदूर बनकर रांची में काम कर रहे थे। पुलिस का मानना है कि मजदूर का काम करने से उन पर निगाह नहीं जाती है। इसका उग्रवादी फायदा उठाते हैं। हत्या व अन्य वारदातों को अंजाम देने के बाद वे रांची में शरण लेते हैं और मजदूर बनकर काम करते हैं। इसी को देखते हुए एसएसपी ने यह आदेश जारी किया है।

पुलिस के आदेश का मकान मालिक नहीं कर रहे पालन

पहचान छिपाकर नक्सलियों और नक्सल समर्थक के रहने की बात सामने आने पर रांची पुलिस समेत राज्य के अन्य जिलों की पुलिस के द्वारा मकान मालिक को कड़े निर्देश दिए हैं। मकान मालिक को स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि जिन्हें वह घर किराए पर दे रहे हैं, उनके वोटर आईडी, गारंटर समेत कई अन्य डॉक्यूमेंट की जांच कर लें। इसके अलावा स्थानीय लोग जो पिछले कई सालों से उन्हें जानते हैं उनसे भी जानकारी ले लें। इतना ही नहीं, किरायेदार का विस्तृत विवरण थाने में जमा करें. अगर कोई मकान मालिक इसका पालन नहीं करता है और उसके घर से नक्सली या उनके समर्थक पकड़े जाते हैं तो मकान मालिक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन फिर भी इस नियम का कड़ाई से पालन नहीं किया जा रहा है।

केस-1
सात अगस्त को तुपुदाना पुलिस ने तीन पीएलएफआई संगठन के सदस्यों को गिरफ्तार किया था। एक साल से तीनों उग्रवादी तुपुदाना इलाके में मजदूर बनकर रह रहे थे। इसमें एरिया कमांडर जुनूल उर्फ जेम्स भेंगरा के अलावा नेलसन टोप्पो और सामुएल उर्फ चेपटा शामिल हैं। गिरफ्तार उग्रवादी किराए के मकान में रह रहे थे।
केस-2
29 अक्तूबर 2015 को तुपुदाना पुलिस ने नगड़ी के बरियातू गांव से पीएलएफआई उग्रवादी जुल्फान अंसारी को गिरफ्तार किया था। जुल्फार अंसारी भी नगड़ी गांव में छिपा और मजदूरी का काम काम कर रहा था। वह डुंगरा गांव में 6 नवंबर 2014 को पुलिस के साथ मुठभेड़ में शामिल था। गिरफ्तार उग्रवादी किराए के मकान में रह रहे थे।

2014 कुख्यात नक्सली कुंदन पाहन का भाई डिम्बा पाहन हरियाणा से पकड़ा गया था वह वहां पर मुर्गी फॉर्म में काम कर रहा था।कुंदन के दस्ते के ही हार्डकोर नक्सली छोटे सरकार ,गिरिउवा मुंडा और बुद्धराम मुंडा भी दूसरे राज्यो में मजदूरी का काम कर रहे थे ,लेकिन रांची पुलिस ने अपने टेक्नीकल सेल की मदद से उन्हें ट्रेस किया और वे आज पुलिस के गिरफ्त में है । Body:2Conclusion:3
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