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राष्ट्रपति चुनाव: झामुमो के सामने धर्मसंकट! सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा- पार्टी फोरम पर बातचीत के बाद होगा फैसला

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Published : Jun 22, 2022, 5:59 PM IST

एनडीए की ओर से झारखंड की गवर्नर रह चुकी द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है. उनके नाम की घोषणा के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा धर्मसंकट में फंस गया है.

Presidential candidate Draupadi Murmu
Presidential candidate Draupadi Murmu

रांची: ममता बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए विपक्षी दलों की बैठक में शामिल रहे झारखंड मुक्ति मोर्चा असमंजस की स्थिति में है. पार्टी अब खुलकर यह नहीं कह पा रही है कि वह विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के पक्ष में वोटिंग करेंगे या द्रौपदी मुर्मू पक्ष में. झामुमो के नेता सिर्फ इतना कह रहे हैं कि अभी तो सिर्फ उम्मीदवार का नाम प्रस्तावित हुआ है, झामुमो का रुख क्या होगा इसके लिए पार्टी पदाधिकारियों की बैठक होगी और फैसला लिया जाएगा.

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झामुमो के वरिष्ठ नेता और सोरेन परिवार के बेहद करीबी सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि पार्टी के लिए कोई धर्मसंकट नहीं है, क्योंकि अभी राष्ट्रपति चुनाव में काफी वक्त है और पार्टी फोरम पर बातचीत कर फैसला लिया जाएगा. कहा जा रहा है कि ओडिशा की रहने वाली और झारखंड में राज्यपाल रह चुकीं द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी से झारखंड मुक्ति मोर्चा धर्मसंकट में फंस गया है. झामुमो हमेशा आदिवासी और जनजातीय समाज की पार्टी होने का दावा करता है. अगर वर्तमान राजनीति स्थिति के हिसाब से झामुमो विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को समर्थन देता है तो भाजपा जनता में इस बात को प्रचारित करेगी कि जब देश के सामने जनजातीय समाज की पहली महिला को राष्ट्रपति बनने का मौका आया तब आदिवासियों के हितों की रक्षा करने वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा अलग थलग खड़ा था.

यही नहीं, जब द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल थीं तब हेमंत सोरेन परिवार से उनका बेहद नजदीकी और पारिवारिक रिश्ता रहा. कई बार ऐसे मौके तब आये जब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, पत्नी कल्पना सोरेन के साथ राजभवन जाकर प्रोटोकाल से आगे जाकर द्रौपदी मुर्मू का सम्मान किया. इतना ही नहीं रघुवर दास के शासनकाल में CNT-SPT एक्ट में एमेंडमेंट का विधानसभा से पारित प्रस्ताव को भी वापस कर दिया था. इसके बाद राज्य की राजनीति में कई तरह के कयास लगाए जाने लगे थे.


भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद ने कल झामुमो से अनौपचारिक रूप से द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का आग्रह यह कहते हुए किया था कि पहली बार कोई आदिवासी महिला देश के सर्वोच्च पद पर बैठने जा रही हैं. ऐसे ऐतिहासिक समय पर झामुमो एनडीए प्रत्याशी के समर्थन की घोषणा करे.

भले ही झामुमो के नेता, अभी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में जाने को लेकर खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हों लेकिन यशवंत सिन्हा के पक्ष में भी समर्थन की घोषणा सार्वजनिक रूप से करने में परहेज कर रहे हैं. ऐसे में झामुमो का राष्ट्रपति चुनाव को लेकर रुख क्या होगा इसके लिए अभी इंतजार करना होगा.

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