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झारखंड से राज्यसभा की दो सीटें हो रही खाली, जीतने की जुगत लगा रहे महागठबंधन और भाजपा

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Published : Apr 9, 2022, 8:45 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 9:21 PM IST

झारखंड में राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं. यूं तो माना जा रहा है कि एक सीट सत्ताधारी पार्टी को और एक सीट विपक्ष को जाएगा. हालांकि महागठबंधन ने अगर कुछ जुगत लगाया तो रिजल्ट बदल भी सकता है.

two Rajya Sabha seats in Jharkhand
two Rajya Sabha seats in Jharkhand

रांची: झारखंड में राज्यसभा की दो सीटें जल्द ही खाली हो रही हैं, ये दोनों वह सीट हैं जिन्हें भाजपा ने वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में जीतें थे. तब राज्य में रघुवर दास के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार थी और तब मुख्तार अब्बास नकवी के साथ साथ भाजपा प्रत्याशी के रूप में महेश पोद्दार की जीत ने सबको चौंका दिया था. तब हार वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के भाई बसंत सोरेन की हुई थी. जीत के लिए जरूरी और स्पष्ट आंकड़ें नहीं होते हुए भी तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के रणनीतिक कौशल की वजह से दोनों सीटें भाजपा की झोली में जाने के बाद रघुवर दास की खूब वाहवाही हुई थी.

अब छह साल बाद मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार की सीटें खाली हो रही हैं, पर राज्य की राजनीतिक परिस्थितियां 2016 वाली नहीं है. 2019 के बाद से सत्ता में महागठबंधन के नेता के रूप में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं, विधानसभा के अंदर झामुमो के पास अकेले जीत के लिए जरूरी 27 विधायक के वोट से 03 अधिक यानी 30 विधायक हैं, सहयोगी कांग्रेस के पास 15+01 (प्रदीप यादव को जोड़ कुल 16 विधायक हैं) राजद के भी एक विधायक हैं.

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इस तरह महागठबंधन के पास पहले सीट पर जीत के लिए 27 विधायकों के स्पष्ट समर्थन के अलावा 19 विधायक सरप्लस हैं. ऐसे में प्रथम वरीयता के वोट से राज्यसभा की दूसरी सीट पर जीत का परचम लहराने के लिए महागठबंधन को 08 और विधायकों का समर्थन चाहिए. यहीं से महागठबंधन के नेता के रूप में हेमंत सोरेन की रणनीतिक कौशल की जरूरत पड़ जाती है कि क्या वह माले अलावा, निर्दलीय, आजसू, एनसीपी के विधायकों को महागठबंधन के पक्ष में मतदान के लिए तैयार कर पाते हैं.

भाजपा को एक सीट पर जीत के लिए सिर्फ 01 विधायक की जरुरत: विधायक बंधु तिर्की की सदस्यता समाप्त हो जाने के बाद झरखंड विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या घटकर 80 रह गयी है. ऐसे में अब प्रथम वरीयता के वोट से जीत का मैजिक नंबर भी 28 से घटकर 27 हो गया है. भाजपा के पास 25 विधायक हैं और बाबूलाल को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है, ऐसे में भाजपा सिर्फ एक और वोट का जुगाड़ कर अपने प्रत्याशी को जीता सकती है.

राज्यसभा की दोनों सीटें जीतने की तैयारी में महागठबंधन: झारखंड में महागठबंधन दोनों राजसभा सीट को UPA की झोली में डालने की रणनीति बना रहा है, महागठबंधन के नेता भले ही अभी इस मुद्दे पर कुछ नहीं बोल रहे हों पर इशारा जरूर करते हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडे और झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता कहते हैं कि भाजपा के पास 25+1 के बाद अंक ही कहां है, मनोज पांडे कहते हैं कि झारखंड से राज्यसभा चुनाव के नतीजे इस बार चौकानें वाले होंगे और वर्ष 2016 में जैसी मात झामुमो विधायक को मिली थी उसका भी हिसाब लिया जाएगा.


वहीं, झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता ने राज्यसभा की आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव में दोनों सीट महागठबंधन की झोली में जाने का दावा करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि आगे आगे देखिए, होता है क्या? सीपी सिंह महागठबंधन द्वारा राज्यसभा के आगामी चुनाव में दोनों सीटें जीत लेने के बयान को गलतफहमी में सपना देखने जैसा करार देते हैं. उनका कहना है कि सत्तारूढ़ दलों का मृगतृष्णा से अधिक कुछ नहीं है. सीपी सिंह ने कहा कि एक सीट सत्ताधारी दल को जाएगा और दूसरा भाजपा को, इसमें कहां कोई दिक्कत है.

7 जुलाई 2022 को राज्यसभा के कार्यकाल सांसद मुख्तार अब्बास नकवी और महेश पोद्दार का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उससे पहले राज्यसभा की दो सीटों के लिए चुनाव होना तय है. ऐसे में यह देखना रोचक होगा कि राज्यसभा चुनाव बिना किसी राजनीतिक किचकिच के होगा या दो सीटों के लिए मुकाबला 2016 की तरह ही हाई वोल्टेज वाला होगा.

Last Updated : Apr 9, 2022, 9:21 PM IST
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