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झारभूमि में हेरफेर कर हो रही है सरकारी जमीन की बिक्री, कई सीओ CID के रडार पर

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Published : Feb 18, 2020, 11:32 PM IST

झारखंड में सरकारी जमीनों की नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि सीआईडी जांच में हुई है. सीआईडी के एसपी पी जनार्दन के नेतृत्व में टीम ने जांच में पाया कि एनआईसी की ओर से कई अभिलेख में सुधार नहीं किया गया है. पूरे मामले में एनआईसी के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है.

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झारखंड सीआईडी

रांची: Jharbhoomi.nic.in वेबसाइट में छेड़छाड़ कर राजस्व अभिलेखों से छेड़छाड़ और उसी आधार पर सरकारी जमीनों की नेचर बदल कर बेचे जाने के मामले में गड़बड़ी की पुष्टि सीआईडी जांच में हुई है. राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन के पत्र के आधार पर सीआईडी मुख्यालय ने मामले की जांच की है. जिसमें बड़े पैमाने पर सरकारी जमीनों को बेचे जाने का मामला सामने आया है.

राजस्व विभाग ने लिखा था सीआईडी जांच के लिए पत्र

राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन ने सीआईडी मुख्यालय को एक पत्र लिखा था, जिसमें वेबसाइट में छेड़छाड़ कर सरकारी जमीनों का नेचर बदल उन्हें बेचे जाने की बात कही गई थी. सीआईडी मुख्यालय को पत्र मिलने के बाद मामले की जांच की जिम्मेवारी सीआईडी के एसपी पी जनार्दन को दी गई थी.

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कई अभिलेख में सुधार नहीं किया गया

सीआईडी के एसपी पी जनार्दन के नेतृत्व में टीम ने जांच में पाया कि एनआईसी की ओर से कई अभिलेख में सुधार नहीं किया गया है. पूरे मामले में एनआईसी के अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है. जांच में यह बात भी सामने आई है कि अभिलेखों में छेड़छाड़ कर सर्वाधिक सरकारी जमीनों को नामकुम और बड़गाईं अंचल में बेचा गया है.

क्या है पूरा मामला

राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव केके सोन ने पूर्व में सीआईडी मुख्यालय को भेजे पत्र में यह लिखा था कि झारभूमि वेबसाइट का संचालन एनआईसी की ओर से किया जाता है. कई जिलो ने यहां बताया है कि वेबसाइट से संबंधित समस्याओं को समय-समय पर एनआईसी को समाधान के लिए भेजा जाता है, लेकिन एनआईसी के असहयोग के कारण अधिकांश समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता है. संशोधन नहीं होने के कारण जमीन संबंधी मामलों के दुरुपयोग की संभावना बढ़ जाती है.

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एनआईसी की भूमिका भी संदेहास्पद

कई मामलों में शिकायत आई है कि झारभूमि वेबसाइट पर बिना अंचल अधिकारी के रिपोर्ट के ही कई तरह के राजस्व अभिलेखों की स्वीकृति दर्ज की गई है. मामले में एनआईसी की भूमिका भी संदेहास्पद है. राजस्व विभाग ने रांची में जमीन के अभिलेखों में छेड़छाड़ का ऐसा ही एक मामला पाया था. जिसमें जालसाजी कर दो सौ एकड़ गैरमजरूआ और बकाश्त जमीन का लगान निर्धारित किया गया था.

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एनआईसी के अफसर झाड़ रहे पल्ला

पूरे मामले में एनआईसी के अधिकारी सॉफ्टवेयर की गलती मान कर पल्ला झाड़ रहे हैं. सीआईडी सूत्रों के मुताबिक, एनआईसी के अधिकारियों का कहना है कि सॉफ्टवेयर में जो भी एंट्री थी वह अंचल के स्तर से की गई थी. सीआईडी अब इस मामले में सॉफ्टवेयर बनाने वाली कंपनी से भी जानकारी लेगी. वहीं अंचल अधिकारियों की भूमिका भी इस मामले में जांच के घेरे में है. उनसे भी जल्द ही सीआईडी की टीम पूछताछ करेगी.

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