झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर और लंपी वायरस का खतरा, अब तक 1261 सूकर और दो पशुओं की हो चुकी है मौत

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Published : Sep 14, 2022, 8:35 PM IST

lumpi virus threat in Jharkhand

झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर और लंपी वायरस का खतरा (Lumpy Virus in Jharkhand) बढ़ गया है. अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से 1261 सकूर की मौत हो गई है. लेकिन राज्य सरकार के पास अधिकृत आंकड़ा नहीं है.

रांचीः झारखंड में सामान्य से काफी कम बारिश हुई है. इससे किसानों के खरीफ की खेती खराब हो गई है. इसके साथ ही राज्य में लंपी वायरस का खतरा (Lumpy Virus in Jharkhand) भी बढ़ गया है. इससे पशुओं में संक्रमण बीमारियां फैल रही है. खासकर सूकरों, गायों और भैसों में फैल रही वायरल बीमारियों ने पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को और खराब कर दी है. लेकिन जिलों में हो रही सूकरों की मौत और लंपी डिजीज को लेकर कोई अधिकृत आंकड़ा उपलब्ध नहीं है.

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पशु स्वास्थ्य और उत्पादन संस्थान कांके के निदेशक डॉ बिपिन महथा ने बताया कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से राज्य में 1261 सूकर की मौत हो चुकी है. अब सिर्फ 250 सूकर ही बचे हैं. उन्होंने कहा कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर में जहां 100 % मोर्टेलिटी है. वहीं राहत की बात यह है कि यह वायरस सूकरों से इंसान में नहीं फैलता है. हालांकि, सकूर पालन करने वाले लोगों को पीपीई किट पहन कर देख भाल करने की हिदायत दी गई है, ताकि यह बीमारी दूसरे सूकरों में ना फैले.

जानकारी देते पशु चिकित्सक

डॉ बिपिन महथा ने कहा कि रांची, हजारीबाग, चतरा, देवघर, जमशेदपुर और जामताड़ा में लंपी वायरस से संक्रमित संदिग्ध पशु मिले हैं. उन्होंने कहा कि इस बीमारी की रोकथाम को लेकर बकरी में दिए जाने वाले गोट पॉक्स के वैक्सीन को देने के लिए एसओपी जारी किया है. उन्होंने कहा कि राज्य के प्रत्येक जिला पशुपालन अधिकारी को 15 हजार तक के वैक्सीन खरीद की अनुमति दी है.

जानकारी देते पशु चिकित्सक

डॉ बिपिन महथा ने बताया कि लंपी वायरस या फिर स्किन डिजीज से ग्रसित पशुओं के दूध पीने से कोई खतरा इंसान को नहीं होता है. लेकिन अन्य बीमारियों से बचाव के लिए दूध को उबाल कर पीना चाहिए. बता दें कि झारखंड में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से बड़ी संख्या में सूकरों की मौत हो गई है. इसके साथ ही गाय और भैस में लंपी डिजीज को लेकर सरकार बचाव के उपाय के दावे कर रही है. लेकिन अब तक कोई मदद की घोषणा सरकार की ओर से नहीं कि गयी है.

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