पलामू: जिले के पलामू टाइगर रिजर्व किला के इलाके में टाइगर सफारी की शुरुआत होने वाली है. पीटीआर के बफर एरिया से बाहर करीब 100 हेक्टेयर में टाइगर सफारी बनाने का प्रस्ताव है. यह टाइगर सफारी बेतला नेशनल पार्क से सटा हुआ होगा. पीटीआर प्रबंधन ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर एनटीसीए और सेंट्रल जू अथॉरिटी को भेजा है. सेंट्रल जू अथॉरिटी की स्वीकृति मिलने के साथ ही पीटीआर के इलाके में एक बाघ और दो बाघिन को लाया जाएगा.
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टाइगर सफारी को लेकर पीटीआर प्रबंधन ने तैयारी शुरू कर दी है. करीब 100 हेक्टेयर जंगली इलाकों को बाड़ से घेरने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. पीटीआर के निदेशक कुमार आशुतोष ने बताया कि टाइगर सफारी कमलदल झील से कुछ दूरी पर बनाया जाएगा, जो पीटीआर के बफर एरिया से बाहर पीएफ एरिया में होगा. कोविड-19 काल के बाद पीटीआर के इलाके में पर्यटकों की संख्या बढ़ गई है. हालांकि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में फिलहाल वन्य जीवों के ब्रीडिंग को लेकर पर्यटन गतिविधि पर रोक लगा दी गई है. पीटीआर के इलाके में प्रतिवर्ष 33 से 36 के बीच पर्यटक पहुंचते हैं. जिनमें 11 हजार के करीब बेतला नेशनल पार्क इलाके में आते हैं. अकेले अक्टूबर-नवंबर 2021 में पर्यटकों का आंकड़ा 11 से हजार से अधिक था. पर्यटक अजीत तिवारी ने बताया कि यह खुशी की बात है कि पीटीआर के इलाके में टाइगर सफारी शुरू हो रही है. इससे इलाके में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा.
पलामू टाइगर रिजर्व पूरे विश्व भर में बाघों के लिए प्रसिद्ध रहा है. हालांकि पिछले पांच वर्षों में पर्यटकों को बाघ नजर नहीं आया है. फिलहाल पीटीआर के इलाके में बाघों की गिनती का काम पूरा हो गया है. गिनती के बाद पीटीआर प्रबंधन द्वारा या दावा किया गया है कि इलाके में 2 बाघ मौजूद हैं. पलामू टाइगर रिजर्व देश के पुराने टाइगर रिजर्व में से एक है जो 1971-72 में बना था. करीब 1129 वर्ग किलोमीटर में फैले पीटीआर में लोग बाघ देखने के लिए पंहुचते हैं. टाइगर सफारी बन जाने के बाद लोगों को आसानी से बाघ देखने को मिलेगा. पर्यटक गौरव बताते हैं कि वह अक्सर बेतला नेशनल पार्क के इलाके में जाते हैं लेकिन उन्हें बाघ नजर नहीं आता है, टाइगर सफारी बन जाने से लोगों को बाघ देखने के लिए आसानी से मिल जाएगी.