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पोकलेन से बनी बरही की पहचान, देश के कोने-कोने में यहां के ऑपरेटर और मशीन

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Published : Oct 31, 2020, 4:16 PM IST

हजारीबाग के बरही में बड़े स्तर पर लोग पोकलेन के व्यापार से जुडे हैं. बरही का पोकलेन पूरे देश भर में देखा जाता है. आलम यह है कि बरही का पोकलेन देश के कोने-कोने में है. यहां तक कि वहां पोकलेन ऑपरेटर भी बरही क्षेत्र के ही होते हैं.

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हजारीबाग: बरही पूरे देश के मानचित्र पर विशेष महत्व रखता है. बरही एक ऐसा चौराहा है, जहां से चार महानगर एक-दूसरे से जुड़ते हैं. इस कारण इस क्षेत्र का व्यवसायिक महत्व भी है, लेकिन इससे हटकर बरही इन दिनों पूरे देश भर में अलग पहचान बना रहा है. बरही का पोकलेन पूरे देश भर में देखा जाता है. कोई भी ऐसा काम जिसमें पोकलेन की जरूरत हो वहां बरही के ऑपरेटर और मशीन नजर आते हैं. ऐसे में बरही पोकलेन की राजधानी के रूप में भी देखा जा रहा है.

देखिए पूरी खबर

विकास मशीन पोकलेन

पोकलेन एक ऐसा मशीन जो विकास कार्य के लिए सबसे अधिक जरूरतमंद होता है, जिसके बिना शायद ही कोई कार्य पूरा हो सके. इस कारण इसे विकास का मशीन भी कहा जा सकता है. हजारीबाग का बरही अनुमंडल पूरे देश भर में पोकलेन के लिए इन दिनों जाना जा रहा है. आलम यह है कि बरही का पोकलेन देश के कोने-कोने में है. यहां तक कि वहां पोकलेन ऑपरेटर भी बरही क्षेत्र के ही होते हैं.

देश के कोने-कोने में बरही का मशीन

बरही एसडीओ का कहना भी है कि जब लॉक डॉउन हुआ तो कई ऑपरेटर हमारे पास आए और उन्होंने देश के कोने-कोने में उनके पोकलेन मशीन फंसे होने की बात कही. ऐसे में हमें ताज्जुब हुआ कि आखिर बरही का पोकलेन देश के कोने-कोने में कैसे पहुंचा. तब पता चला कि यह क्षेत्र पोकलेन के लिए ही विशेष रूप से जाना जाता है. उनका कहना है कि यह बेहद आश्चर्यचकित करने वाली बात है एक छोटा सा क्षेत्र किस तरह से पोकलेन में अपना हब बनाया है.

पोकलेन मशीन की कीमत 70 लाख रुपया

यही नहीं पोकलेन ऑपरेटर भी कहते हैं कि हम लोग पूरे देश भर में अपना मशीन भेजते हैं. इसकी कीमत लगभग 70 लाख रुपया है. सिर्फ बरही में 10 हजार से अधिक पोकलेन है. पोकलेन एक तरह का मशीन है, जो मिट्टी निकालने का काम करता है. जितने भी विकास कार्य होते हैं चाहे वह सड़क निर्माण हो पुल निर्माण हो या फिर भवन निर्माण उसमें पोकलेन का आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में बरही देश के विकास में अपनी हिस्सेदारी तय कर रहा है.

सरकार से ट्रेनिंग देने की मांग

एसडीओ बरही का यह भी कहना है कि जिस तरह से क्षेत्र में पोकलेन की संख्या बढ़ी है. ऐसे में हम लोग अब यह प्रयास कर रहे हैं कि कौशल विकास योजना के तहत इसकी भी ट्रेनिंग दी जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इसका फायदा उठा सकें और अपने आय को आर्थिक रूप से मजबूत कर सकें. उनका यह भी कहना है कि पोकलेन कुंभ का मेला हो या फिर निर्माण कार्य हर जगह देखने को मिलता है. ऐसे में हम लोग कोशिश कर रहे हैं कि जल्द से जल्द यहां ट्रेनिंग कार्य भी शुरू कर सकें.

हर क्षेत्र की अपनी एक अलग पहचान होती है, लेकिन बरही अपना पहचान इन दिनों कुछ अलग रूप में बना रहा है, जो पूरे देश भर में सुर्खियां भी बटोर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को भी बरही का पोकलेन पूरा कर रहा है. जरूरत है स्थानीय प्रशासन को इस व्यवसाय को और भी अधिक सशक्त करने कि ताकि इसका लाभ स्थानीय स्तर के लोगों को और भी अधिक मिल सके.

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