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SPECIAL: राष्ट्रीय शूटर सुविधा के अभाव में नहीं लगा पा रहा निशाना

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Published : Jul 14, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Jul 14, 2020, 8:26 PM IST

हजारीबाग: जिले के दारू प्रखंड का रहने वाला राष्ट्रीय निशानेबाज यशवंत इन दिनों आर्थिक अभाव के कारण परेशान हैं. उन्हें प्रैक्टिस करने में हर दिन दिक्कत हो रही है, क्योंकि उनके पास साधन की कमी है.

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राष्ट्रीय शूटर यशवंत कुमार

हजारीबाग: जिले के दारू प्रखंड का रहने वाला राष्ट्रीय निशानेबाज यशवंत इन दिनों मुफलिसी की जिंदगी जी रहे हैं. यशवंत के नाम दर्जनों मेडल और सर्टिफिकेट हैं. जिस ने राष्ट्रीय स्तर में भी अपनी पहचान बनाई है. अब उसका निशाना ओलंपिक है. लेकिन ओलंपिक की तैयारी करने के लिए उसके पास संसाधन का घोर अभाव है. जब वह प्रैक्टिस करता है तो कपड़े का टुकड़ा माथे में बांधता है और आंखों पर कागज का टुकड़ा लगाता है, क्योंकि उसके पास संसाधन नहीं है. यशवंत 10, 25 और 50 मीटर शूटिंग के लिए करीब 9 वर्षों से मशक्कत कर रहा है. 2019-20 में आयोजित 63 नेशनल चैंपियनशिप में ऑल इंडिया 33वां रैंक उसने पाया था. वैसे तो जमशेदपुर में जाकर प्रशिक्षण भी लिया पर लॉकडॉन के कारण इन दिनों अपने घर के छत या फिर आंगन में प्रैक्टिस करता है.

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'प्रशासन मदद करे तो देश के लिए और भी मेहनत करेंगे'
यशवंत कहते हैं कि अगर प्रशासन मदद करे तो देश के लिए और भी मेहनत करेंगे. वे कहते हैं इस गेम में पिस्टल बेहद जरूरी है. पिस्टल महंगा होने के कारण खरीदने में परेशानी आती है. निशाना साधने में प्रतिदिन काफी खर्च होता है. रोल, टारगेट पेपर, पायलट, एयर सिलेंडर रिफिल आदि गोली के साथ जुटाना पड़ता है. शूटिंग के लिए पर्याप्त किट भी नहीं है. उन्होंने कहा कि हौसला ऊंचा है और उसे विश्वास है कि देश भर में वो परचम लहराएगा. उनका कहना है कि लक्ष्य ओलंपिक में निशाना साधना है. उन्होंने कहा कि वह अभिनव बिंद्रा की तरह शूटिंग में कुछ बेहतर करना चाहते हैं. यशवंत ने बताया कि आने वाले दिनों में गोवा में नेशनल गेम्स होने वाले थे, लेकिन कोरोना के कारण खेल अभी स्थगित कर दिया गया है. इस बाबत अभी घर पर ही तैयारी कर रहे हैं.
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मेडल के साथ यशवंत कुमार

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2011 से शुरू की निशानेबाजी की तैयारी
मुफलिसी के कारण यशवंत अपने पिता की दुकान में उनका हाथ भी बंटाते हैं. यशवंत की प्रारंभिक पढ़ाई गांव के ही सरस्वती हाई स्कूल में हुआ और बीकॉम उसने अन्नदा कॉलेज से किया है. 2011 से उसने निशानेबाजी की तैयारी शुरू की.

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निशाने की तैयारी में राष्ट्रीय शूटर यशवंत
सरकार से मदद की उम्मीद
यशवंत के पिता रघुनाथ महतो भी कहते हैं कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. वे कहते हैं एक दुकान है और उसी से घर चलता है. खेतीहर होने के कारण वैसी स्थिति भी घर की नहीं है. लेकिन उन्होंने विपरीत परिस्थिति में जाकर बच्चे को जमशेदपुर और रांची में ट्रेनिंग दिलाई. किसी तरह पिस्टल खरीदा और इसके बाद उसने कई मेडल जीते हैं. उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से गुहार लगाई कि उनके बच्चे पर ध्यान दें. अगर बच्चे को सुविधा मिलेगी तो वह राज्य समेत पूरे देश का नाम रोशन कर सकता है.
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दुकान में हाथ बंटाते यशवंत

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सरकार करे प्रोत्साहित
सरकार अनेक योजनाएं खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए चला रही हैं. लेकिन अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी आर्थिक अभाव के कारण प्रतिभा निखर नहीं पा रही है. जरूरत है सरकार को ऐसे खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की, ताकि वह देश का नाम रोशन कर सकें.

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अब तक की उपलब्धि
यशवंत ने कई चैंपियनशिप में हिस्सा लिया है. वह कई पदक जीत चुके हैं. पांचवा, छठा, सातवां, आठवां टेस्ट चैंपियनशिप खेल चुके हैं. इसमें स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक भी हासिल हुआ है. 2018 में आसनसोल में आयोजित तीसरे ईस्ट जोन चैंपियनशिप में उन्हें स्वर्ण पदक मिला है. 33 में और 34 में नेशनल गेम में भाग ले चुके हैं. इसके अलावा 59, 60, 61, 62 नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने हिस्सा लिया है. 2019 में नेशनल गेम में 33वां रैंक मिला था, जो मध्य प्रदेश भोपाल में आयोजित हुआ था. वहीं रांची में भी आयोजित नेशनल गेम में वे स्थान बना चुके हैं.

Last Updated : Jul 14, 2020, 8:26 PM IST
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