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खुद के उपजाए तरबूज पर किसान चलवा रहे ट्रक, जानिए क्या है वजह?

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Published : Jun 8, 2021, 1:54 PM IST

हजारीबाग में चुरचु प्रखंड के किसान अपने हाथों से तरबूज फेंक रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि लॉकडाउन और यास तूफान की वजह से उन्हें बाजार नहीं मिल रहा है और ना ही फसल की कीमत मिल रही है. इसलिए किसान 20 एकड़ जमीन में लगाया तरबूज अपने हाथ से नष्ट कर रहे हैं.

farmers watermelon ruined due to lockdown and yaas cyclone in Hazaribag
खेती बर्बाद

हजारीबागः किसान खून-पसीना बहाकर खेतों में अनाज लगाते हैं. जब खेत अनाज से भरा हो तो किसान भी मुस्कुरा उठता है और कहता है कि हमने कर दिखाया. जब खेत अनाज और फल से भरे हुए हों लेकिन खरीदार ना हो तो किसान घुट-घुटकर मर जाता है, और कहता है कि मेरी मेहनत बर्बाद हो गई, हम सड़क पर आ गए. ऐसा ही हजारीबाग के चुरचु प्रखंड में देखने को मिल रहा है. किसानों ने मेहनत करके 20 एकड़ जमीन में तरबूज लगाया और आज अपना ही उपजाया हुआ फल खुद ही नष्ट कर रहे है. उस पर ट्रैक्टर चलवा दे रहा है क्योंकि खरीददार नहीं है.

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हजारीबाग कृषि प्रधान क्षेत्र है. यहां छोटे-छोटे किसान हैं, जो किराए पर जमीन लेकर खेती करते हैं. अपनी मेहनत की बदौलत ये किसान देशभर में अपनी पहचान बना रहे हैं. तरबूज और टमाटर की खेती के लिए इन दिनों हजारीबाग आसपास के राज्यों में जाना जा रहा है. इस बार लॉकडाउन और यास चक्रवात ने किसानों को बर्बाद कर दिया. हजारीबाग के चुरचू प्रखंड में लगभग 20 एकड़ भू-भाग में तरबूज की खेती की गई थी. किसान ने जी-तोड़ मेहनत किया और पैसा खर्चा किया. आलम यह रहा कि पूरा खेत तरबूज से भर गया और किसान भी गदगद हो गए कि इस बार पैसा से लाल हो जाएंगे.

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लॉकडाउन और यास चक्रवात की मार

लेकिन संक्रमण के कारण राज्य में लॉकडाउन लगा दिया गया. बाहर से व्यापारी पहुंचे नहीं और दुकान बंद रहा. ऐसे में खरीदार भी घर से बाहर नहीं निकले. इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ा. पूरा का पूरा तरबूज खेत में ही पड़ा रह गया. जहां किसान ने 15 लाख रुपया पूंजी खेती में लगाया था, एक रुपया भी वापस नहीं आया. कोरोना के बाद प्रकृति की ऐसी मार पड़ी कि किसान के पास जो रहा बची ताकत थी, वह भी खत्म हो गई. यास चक्रवात ने किसानों का कमर ही तोड़ दिया. खेतों में पानी भर गया और तरबूज खराब हो गया. ऐसे में किसान अपने हाथों से ही अपना उपजाया हुआ तरबूज बर्बाद कर रहे हैं और खून के आंसू रो रहे हैं.

नहीं बिका एक भी तरबूज

जो तरबूज बचा है, उसका भी खरीदार नहीं मिल रहा है. एक छोटा गाड़ी तरबूज बेचने पर 50 हजार रुपया मिलता था, अब वह 2000 रुपये में भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में गांव के लोग ही तरबूज उठाकर अपने घर ले जा रहे हैं और किसान भी उसे खुला छोड़ दिया है.
जिस व्यक्ति ने किसान को जमीन लीज में दिया था, वो भी किसान की किस्मत पर रो रहे हैं. वो भी कहते हैं कि जमीन हमने भाड़े पर जमीन किसान को दिया था. ऐसी बर्बादी मैंने जीवन में कभी नहीं देखी. जहां पूरा का पूरा फसल बर्बाद हो गया. अगर तरबूज बाजार में जाता तो अच्छी आमदनी होती. लगभग 10 ट्रक तरबूज खेत में सड़ गया है, ऐसे में हमें काफी दुख है. हम किसानों को देखते हैं कि क्या मदद कर पाते हैं.

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नुकसान की वजह से नहीं मिली मजदूरी

खेत में काम करने वाले मजदूर भी कहती है कि हम लोगों को एक रुपया भी नहीं मिला. हम लोग यही उम्मीद करते थे कि तरबूज बिकेगा, उससे पैसा आएगा और हम लोगों को मजदूरी मिल जाएगी. लेकिन इस बार हम लोगों को मजदूरी भी नहीं मिली. हम लोग सुबह से लेकर शाम तक खेत में ही मेहनत करते हैं. ऐसे में हमें भी काफी अफसोस है. उनका यह भी कहना है कि हम लोग भी किस मुंह से किसान से पैसा मांगे, उसके बाद भी पैसा नहीं है. अगर पैसा रहता तो हम लोगों को मिल जाता है. हम लोग देख भी रहे कि एक भी गाड़ी क्षेत्र से बाहर नहीं निकला है.

जब अपनी फसल खुद से खेतों में बर्बाद किया जाए, उस पर गाड़ी चढ़ा दी जाए तो समझा जा सकता है कि किसान किस दर्द से गुजर रहा है. केंद्र एवं राज्य सरकार ने कई योजनाएं चलाया हैं. लेकिन उस योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. जरूरत है सरकार को ऐसे किसानों की ओर ध्यान देने की ताकि है फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सके.

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