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पश्चिमी सिंहभूम के वैध-अवैध गांवों में रह रहे ग्रामीणों को मिलेगी मूलभूत सुविधाएं, जिला प्रशासन बना रहा एक्शन प्लान

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Published : Aug 26, 2020, 12:09 PM IST

पश्चिमी सिंहभूम में मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांवों को सुविधा पहुंचाने के लिए सरकार प्लान तैयार कर रही है. उपायुक्त आरवा राजकमल ने बताया कि जिले के सरांडा के बीहड़ स्थित रांगरिंग और नुईयागढ़ा गांव का दौरा जिला प्रशासन के द्वारा किया गया था, जो जिला प्रशासन के सभी पदाधिकारियों के लिए काफी अच्छा रहा. पदाधिकारियों ने काफी करीब से ग्रामीणों की समस्याओं को देखा और जाना.

Villagers living in legal-illegal villages will get basic facilities in West Singhbhum
डीसी अरवा राजकमल

चाईबासा: पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन सारंडा के बीहड़ स्थित गांव का दौरा कर सारंडा के मूलभूत सुविधाओं से वंचित गांवों को सुविधा पहुंचाने के लिए प्लान तैयार कर रहा है. इसकी शुरुआत सारंडा के रांगरिंग और नईयागढ़ा गांव से होगी. फिलहाल, इन गांव में मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाने की जिम्मेवारी सेल खदान प्रबंधन को दी गई है.

देखिए पूरी खबर

उपायुक्त आरवा राजकमल ने बताया कि जिले के सरांडा के बीहड़ स्थित रांगरिंग और नुईयागढ़ा गांव का दौरा जिला प्रशासन के द्वारा किया गया था, जो जिला प्रशासन के सभी पदाधिकारियों के लिए काफी अच्छा रहा. पदाधिकारियों ने काफी करीब से ग्रामीणों की समस्याओं को देखा और जाना. गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव के ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधा पहुंचाने को लेकर एक विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है, जिसमें न केवल सारंडा के रांगरिंग और नुईयागढ़ा गांव बल्कि सारंडा के वैसे गांव हैं, जिसमें एक भी वन अधिकार पट्टा पूर्व के दिनों में दिया गया हो या फिर पटा का अधिकार सही साबित होता है.

मंत्री जोबा मांझी ने भी लिया संज्ञान
मनोहरपुर विधायक सह मंत्री जोबा मांझी इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सारंडा के अलावा पूरे क्षेत्र के सोनुवा, गोइलकेरा, गुदड़ी आदि क्षेत्र में भी कई वन ग्रामों में मूल सुविधाओं पहुंचाने का निर्देश दी है, जिसे लेकर पूरे जिले के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में बसे ऐसे गांवों को चिन्हित किया जा रहा है.

वैध वनग्रामों में बनेगें डेवलपमेंट सेंटर
विशेषकर जिले के 670 ऐसे वनग्राम हैं, जहां वन पट्टा दिया गया है. वैसे गांव को चिन्हित किया जाएगा. किन-किन गांव और टोला में लोग बसे हैं. उनके लिए एक डेवलपमेंट सेंटर बनाते हुए वहां के लोगों को समुदाय का अधिकार दिया जाएगा. वैध वनग्रामों में डेवलपमेंट सेंटर बनाते हुए आस-पास के गांव जिन्हें वन पट्टा नहीं दिया गया है और अवैध ग्राम में आते हैं, लेकिन ग्रामीण उन गांव में रह रहे हैं. वैसे गांव के ग्रामीणों को भी मूलभूत सुविधा उपलब्ध करवाया जाएगा.

दशकों से चला आ रहा है वैध अवैध का मामला
उपायुक्त ने कहा कि यह मामला कई दशकों से चला आ रहा है. इसलिए इस मामले के समाधान करने में कुछ समय लग सकता है. इसके बावजूद भी जिला प्रशासन इसके लिए तत्पर है. इसे लेकर सरकार भी काफी गंभीर है. खुद मुख्यमंत्री ने भी इसे संज्ञान में लिया है और इस मामले के समाधान के लिए जिला प्रशासन को सरकार से भी पूरी मदद मिलेगी.

सेल प्रबंधन के साथ हुई विस्तृत चर्चा
इसकी शुरुआत स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के आसपास के क्षेत्रों में बसे गांव से की जाएगी. इसके बाद उसी मॉडल के आधार पर अन्य गांव के ग्रामीणों तक मूलभूत सुविधा पहुंचाई जाएगी. इस संबंध में सेल प्रबंधन के अधिकारियों से विस्तृत रूप से चर्चा की गई है.

देखभाल सेल की जिम्मेदारी
सेल खदान क्षेत्र के आसपास बसे गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और पेयजल तीनों मुद्दों पर जिला प्रशासन का फोकस रहा है. वन क्षेत्र में बसे गांव के लिए मूलभूत सुविधाओं के लिए मूलत: वन विभाग को जिम्मेदार मानते हैं. उसी तरह विशेषकर सेल लीज क्षेत्र के आसपास बसे गांव के ग्रामीणों की देखभाल करना सेल प्रबंधन की जिम्मेदारी है.

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शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल की व्यवस्था करेगी सेल
सेल प्रबंधन के द्वारा मोबाइल स्वास्थ्य सेवा दिया जा रहा था, लेकिन ग्रामीण उससे नाखुश हैं. जिसे लेकर सेल प्रबंधन एक अलग व्यवस्था करते हुए स्वास्थ्य केंद्र बनाने के लिए कहा गया है. जिस पर सेल प्रबंधन के द्वारा यह आश्वासन दिया गया है कि 5 गांव मिलाकर एक हेल्थ सेंटर 5 जगहों पर निर्माण कराया जाएगा. उन स्वास्थ्य केंद्रों में एएनएम भी सेल प्रबंधन के द्वारा नियुक्त की जाएंगी. इसके साथ ही गांव के बच्चों को स्कूल तक स्कूल बस के माध्यम से पहुंचाने की भी व्यवस्था सेल प्रबंधन करेगी. सेल लीज क्षेत्र में बसे गांव में पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करेगी.

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