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आदिवासी संगठनों ने सरना स्थल से मिट्टी उठाए जाने का किया विरोध, कहा- सद्बुद्धि दे भगवान

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Published : Jul 26, 2020, 10:53 PM IST

केंद्रीय आदिवासी सेना के नेतृत्व में विभिन्न आदिवासी संगठन के तत्वाधान में बजरा जतरा स्थल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें राम मंदिर के निर्माण के लिए सरना स्थल से मिट्टी ले जाने का विरोध किया गया. इस मौके पर विशेष पूजा की गई. जिसमें बीजेपी के पूर्व विधायकों और विहिप के सदस्यों को सद्बुद्धि देने की कामना की गई.

 tribal organizations protested against to lifting soil from sarana site in ranchi
tribal organizations protested against to lifting soil from sarana site in ranchi

रांचीः केंद्रीय आदिवासी सेना के नेतृत्व में विभिन्न आदिवासी संगठन के तत्वाधान में बजरा जतरा स्थल में आयोजित कार्यक्रम में कई पाहनों ने बीजेपी के पूर्व विधायक रामकुमार पाहन, पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर और विहिप के कार्यकर्ताओं के नाम पर काला, रंगवा, चरका मुर्गा चराया गया.

 tribal organizations protested against to lifting soil from sarana site in ranchi
आदिवासी संगठनों ने जताया विरोध
पूजा से पहले मुर्गा को चारा खिलया गया, सिंदूर-रोड़ी लगाया गया, अरवा चावल खिलाया गया और धुवन धूप दिखाकर छोड़ दिया गया. पाहनों ने बताया कि अगर विहिप और भाजपा के पूर्व विधायक और कार्यकर्ता सरना स्थल से मिट्टी उठाना नही छोड़ा तो भगवान सिंगाबोंगा का क्रोध झेलना होगा, जिससे अनिष्ट होगा. पूर्व विधायक और विहिप कार्यकर्ताओं के नाम पर मुर्गा छोड़ा गया ताकि उन्हें सद्बुद्धि मिल सके.केन्द्रीय आदिवासी सेना अध्यक्ष शिवा कच्छप ने कहा कि विहिप को आदिवासी संस्कृति और पंरपरा को अपने हाथ लेने का कोई अधिकार नहीं है. आदिवासी संस्कृति और पंरपरा इसकी इ्जाजत नहीं देता है कि उनके सर्वोच्च और पवित्र स्थल सरना से राम मंदिर के लिए मिट्टी का एक ढेला भी उठाया जाए. विहिप की सरना स्थल से मिट्टी उठाने की सोच आदिवासियों के धर्म और संस्कृति पर सीधा हमला है. विश्व हिंदू परिषद को समझना चाहिए कि यह आदिवासियों की संस्कृति, धर्म और जीवन आधार स्तंभ है. दूसरे के धर्म, संस्कृति और परंपरा का सम्मान करना चाहिए. बजरा सरना प्रार्थना सभा अध्यक्ष सोमा लकड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. जिसका नतीजा समूचे विश्व में आदिवासियों का धर्मांतरण हो रहा है. बाइस पड़हा सामाजिक उत्थान संस्थान के अध्यक्ष बुधवा उरांव ने कहा कि आदिवासी समाज अपनी पहचान के लिए सरना धर्म कोड की लड़ाई लड रहा है, लेकिन आरएसएस और भाजपा के लोग आदिवासियों को हिंदू बनाने पर तुले हुए हैं.
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