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Chandrayaan-3: चांद के सफर पर निकला 'चंद्रयान-3', PM मोदी ने कहा 'गुडलक'

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Published : Jul 14, 2023, 6:50 AM IST

Updated : Jul 14, 2023, 3:03 PM IST

chandrayaan 3
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14:34 July 14

चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया गया

  • #WATCH | Indian Space Research Organisation (ISRO) launches #Chandrayaan-3 Moon mission from Satish Dhawan Space Centre in Sriharikota.

    Chandrayaan-3 is equipped with a lander, a rover and a propulsion module. pic.twitter.com/KwqzTLglnK

    — ANI (@ANI) July 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

इसरो ने श्रीहरि कोटा स्पेस सेंटर से चंद्रयान-3 को लॉन्च कर दिया गया है. इस रॉकेट को लैंडर के साथ चांद की सतह पर उतरने में करीब 45 दिनों का समय लगेगा और 24 अगस्त को यह चंद्रमा की सतह को स्पर्श करेगा. इस मौके पर पीएम मोदी ने इसरो को गुडलक भी विश किया. इसरो से मिली जानकारी के अनुसार चंद्रयान-3 का लॉन्च सफल रहा है.

13:31 July 14

'चंद्रयान-3' की लॉन्चिंग LIVE देखने के लिए यहां क्लिक करें

  • " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="">

12:40 July 14

चंद्रयान-3 का 80-90 प्रतिशत हिस्सा 'स्वदेशी'

गोदरेज एयरोस्पेस के सहायक वीपी मानेक बेहरामकमदीन.

गोदरेज एयरोस्पेस के सहायक वीपी और बिजनेस हेड मानेक बेहरामकमदीन ने कहा कि बहुप्रतीक्षित चंद्रमा मिशन चंद्रयान-3 का 80-90 प्रतिशत हिस्सा 'स्वदेशी' है, जो इसरो के 'संस्थापकों और कड़ी मेहनत करने वाले वैज्ञानिकों' को श्रद्धांजलि है. उन्होंने कहा, 'हर मिशन देश के लिए मील का पत्थर है. ये तकनीकी रूप से बहुत ही चुनौतीपूर्ण मिशन है, लेकिन पहली बार किसी देश ने चंद्रमा के उस हिस्से में उतरने की कोशिश की है. ये महान पल होगा.

12:30 July 14

'चंद्रयान-3' मिशन के लिए नितिन गडकरी ने ISRO को दी बधाई

  • Best wishes to the @isro for #Chandrayaan3, a remarkable mission pushing the boundaries of space exploration!

    Let's celebrate the strides in science, innovation, and human curiosity that have brought us this far. May this mission inspire us all to dream bigger and reach for… pic.twitter.com/63sJwonVcz

    — Nitin Gadkari (@nitin_gadkari) July 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने 'चंद्रयान-3' के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को बधाई दी है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि अंतरिक्ष अन्वेषण की सीमाओं को आगे बढ़ाने वाले एक उल्लेखनीय मिशन चंद्रयान-3 के लिए इसरो को शुभकामनाएं. उन्होंने कहा कि आइए विज्ञान, नवाचार और मानवीय जिज्ञासा में हुई प्रगति का जश्न मनाएं, यह मिशन हम सभी को बड़े सपने देखने और सितारों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करें.

11:35 July 14

पीएम मोदी ने ट्वीट कर दी बधाई

  • Best wishes for Chandrayaan-3 mission! I urge you all to know more about this Mission and the strides we have made in space, science and innovation. It will make you all very proud. https://t.co/NKiuxS0QaE

    — Narendra Modi (@narendramodi) July 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तीसरे चंद्रयान मिशन के लिए शुभकामनाएं दीं और कहा कि भारतीय अंतरिक्ष के क्षेत्र में 14 जुलाई 2023 का दिन हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा तथा यह राष्ट्र की आशाओं और सपनों को आगे बढ़ाएगा. उन्होंने कहा कि 'चंद्रयान-3 मिशन के लिए शुभकामनाएं ! मैं आप सभी से इस मिशन और अंतरिक्ष, विज्ञान और नवाचार में हमारे द्वारा की गई प्रगति के बारे में अधिक से अधिक जानने का आग्रह करता हूं. यह आप सभी को बहुत गौरवान्वित करेगा.'

09:27 July 14

'चंद्रयान-2 के मुकाबले चंद्रयान-3 का लैंडर ज्यादा मजबूत'

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक एस. पांडियन

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पूर्व निदेशक एस. पांडियन ने कहा है कि चंद्रयान 2 के मुकाबले चंद्रयान 3 का लैंडर ज्यादा मजबूत है. इस बार हमने एक सेंसर के बजाए दो सेंसर लगाएं हैं. अगर एक सेंसर बंद हो जाता है तो हम दूसरे सेंसर का इस्तेमाल कर पाएंगे. हम कई उपकरण और सॉफ्टवेयर लाए हैं जो व्यापक फैलाव को संभाल सकते हैं और इसमें अधिक लचीलापन है.

09:16 July 14

  • आंध्र प्रदेश: इसरो आज श्रीहरिकोटा से चंद्रयान 3 लॉन्च करेगा।

    लॉन्च देखने आए प्रिंस संस्था के एक सदस्य ने बताया, "हम चंद्रयान 3 के लॉन्च इवेंट में आए हैं। मेरे कॉलेज से 300 छात्र यहां आए हैं। हम ईश्वर से कार्यक्रम के सफल होने की प्रार्थना करते हैं। यह क्षण सभी भारतीयों को… pic.twitter.com/51mYcOwQee

    — ANI_HindiNews (@AHindinews) July 14, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

06:53 July 14

06:40 July 14

चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण के लिए उलटी गिनती शुरू

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चंद्रयान-3 मिशन 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 का फॉलोअप मिशन

श्रीहरिकोटा: Chandrayaan-3 की लॉन्चिंग के लिए काउंटडाउन शुरू हो चुका है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि देश के तीसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' के प्रक्षेपण के लिए 25.30 घंटे की उलटी गिनती गुरुवार को यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र में शुरू हो गई. 'चंद्रयान-3' मिशन 'चंद्र मिशन' वर्ष 2019 के 'चंद्रयान-2' का अनुवर्ती (फॉलोअप) मिशन है. भारत के इस तीसरे चंद्र मिशन में भी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की 'सॉफ्ट लैंडिंग' का है. 'चंद्रयान-2' मिशन के दौरान अंतिम क्षणों में लैंडर 'विक्रम' पथ विचलन के चलते 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में सफल नहीं हुआ था. अगर इस बार इस मिशन में सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा.

इसरो ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, 'एलवीएम3एम4-चंद्रयान-3 मिशन अपराह्न दो बजकर 35 मिनट पर किए जाने वाले प्रक्षेपण की उलटी गिनती शुरू हो गई है.' चंद्रयान-3' कार्यक्रम के तहत इसरो अपने चंद्र मॉड्यूल की मदद से चंद्र सतह पर 'सॉफ्ट-लैंडिंग' और चंद्र भूभाग पर रोवर के घूमने का प्रदर्शन करके नई सीमाएं पार करने जा रहा है. एलवीएम3एम4 रॉकेट इसरो के महत्वाकांक्षी 'चंद्रयान-3' को चंद्र यात्रा पर ले जाएगा. इस रॉकेट को पूर्व में जीएसएलवीएमके3 कहा जाता था. भारी उपकरण ले जाने की इसकी क्षमता के कारण अंतरिक्ष वैज्ञानिक इसे 'फैट बॉय' भी कहते हैं.

इसरो की 'सॉफ्ट लैंडिंग' की योजना: इसरो ने अगस्त के अंत में 'चंद्रयान-3' की 'सॉफ्ट लैंडिंग' की योजना बनाई गई है. उम्मीद है कि यह मिशन भविष्य के अंतरग्रही अभियानों के लिए सहायक होगा. चंद्रयान-3 मिशन में एक स्वदेशी प्रणोदन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और एक रोवर शामिल है जिसका उद्देश्य अंतर-ग्रहीय अभियानों के लिए आवश्यक नई प्रौद्योगिकियों को विकसित करना और प्रदर्शित करना है. मिशन एलवीएम3 की चौथी उड़ान, है जिसका उद्देश्य 'चंद्रयान-3' को भू-समकालिक कक्षा में प्रक्षेपित करना है.

श्रीहरिकोटा में प्रक्षेपण का अभ्यास: तीसरे चंद्र मिशन के माध्यम से इसरो के वैज्ञानिकों का लक्ष्य विभिन्न क्षमताओं का प्रदर्शन करना है, जिनमें चंद्रमा की कक्षा तक पहुंचना, लैंडर का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट-लैंडिंग करना' और चंद्रमा की सतह का अध्ययन करने के लिए लैंडर से एक रोवर का निकलना और फिर इसका चंद्र सतह पर घूमना शामिल है. मंगलवार को, संपूर्ण प्रक्षेपण तैयारी और प्रक्रिया को देखने के लिए श्रीहरिकोटा में 'प्रक्षेपण अभ्यास' हुआ, जो 24 घंटे से अधिक समय तक चला.

सफल प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार: तीसरे चंद्र मिशन के साथ इसरो का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर 'सॉफ्ट लैंडिंग' में महारत हासिल करना है. इसरो के वैज्ञानिक तीसरे चंद्र मिशन 'चंद्रयान-3' के सफल प्रक्षेपण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.

कैसे विकसित हुआ चंद्र अभियान: चंद्रयान कार्यक्रम की कल्पना भारत सरकार द्वारा की गई थी और औपचारिक रूप से 15 अगस्त 2003 को तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा इसकी घोषणा की गई थी. इसके बाद, वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत तब रंग लाई जब 22 अक्टूबर, 2008 को इसरो के विश्वसनीय पीएसएलवी-सी 11 रॉकेट के जरिए पहले मिशन 'चंद्रयान-1' का प्रक्षेपण हुआ.

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, पीएसएलवी-सी11, पीएसएलवी के मानक विन्यास का एक अद्यतन (अपडेट) संस्करण था. प्रक्षेपण के समय 320 टन वजनी इस वाहन में उच्च उपकरण क्षमता प्राप्त करने के लिए बड़ी 'स्ट्रैप-ऑन मोटर्स' का उपयोग किया गया था. इसमें भारत, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन और बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरण थे. तमिलनाडु से संबंध रखने वाले प्रसिद्ध वैज्ञानिक मयिलसामी अन्नादुरई ने 'चंद्रयान-1' मिशन के निदेशक के रूप में इस परियोजना का नेतृत्व किया था.

अंतरिक्ष यान चंद्रमा के रासायनिक, खनिज विज्ञान और फोटो-भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चंद्र सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था. मिशन ने जब सभी वांछित उद्देश्य हासिल कर लिए, तो प्रक्षेपण के कुछ महीनों बाद मई 2009 में अंतरिक्ष यान की कक्षा को 200 किमी तक बढ़ा दिया गया. उपग्रह ने चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक चक्कर लगाए, जो इसरो टीम की अपेक्षा से अधिक थे. मिशन अंततः समाप्त हुआ और अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि 29 अगस्त, 2009 को अंतरिक्ष यान से संपर्क टूट गया.

इस सफलता से उत्साहित होकर, इसरो ने एक जटिल मिशन के रूप में 'चंद्रयान-2' की कल्पना की थी. यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अन्वेषण के लिए एक 'ऑर्बिटर', 'लैंडर' (विक्रम) और 'रोवर' (प्रज्ञान) ले गया था. चंद्रयान-2 मिशन 22 जुलाई, 2019 को उड़ान भरने के बाद उसी वर्ष 20 अगस्त को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित कर दिया गया था. अंतरिक्ष यान का हर कदम सटीक था और चंद्रमा की सतह पर उतरने की तैयारी में 'लैंडर' सफलतापूर्वक 'ऑर्बिटर' से अलग हो गया.

एक सौ किलोमीटर की ऊंचाई पर चंद्रमा का चक्कर लगाने के बाद, 'लैंडर' का चंद्र सतह की ओर आना योजना के अनुसार था और 2.1 किमी की ऊंचाई तक यह सामान्य था. हालाँकि, मिशन अचानक तब समाप्त हो गया जब वैज्ञानिकों का 'विक्रम' से संपर्क टूट गया. 'विक्रम' का नाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक दिवंगत विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था. 'चंद्रयान-2' मिशन चंद्रमा की सतह पर वांछित 'सॉफ्ट लैंडिंग' करने में विफल रहा, जिससे इसरो टीम को काफी दुख हुआ.

उस समय वैज्ञानिक उपलब्धि को देखने के लिए इसरो मुख्यालय में मौजूद रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तत्कालीन इसरो प्रमुख के. सिवन को सांत्वना देते देखा गया जो भावुक हो गए थे और वे तस्वीरें आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं.

Last Updated :Jul 14, 2023, 3:03 PM IST
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