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जानिए कैसे गैर सरकारी संगठनों, विदेशी दानदाताओं, खद्यानों ने ISIS (K) को वित्त पोषित किया?

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Published : Aug 29, 2021, 3:45 PM IST

इस्लामिक स्टेट-खोरासन ने अपनी स्थापना के केवल एक साल के भीतर ही अपने लिए फंड इकठ्ठा करना शुरू कर दिया था . अफगानिस्तान के प्रमुख थिंक-टैंक में से एक काबुल स्थित अफगान इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (Afghan Institute for Strategic Studies) की एक रिपोर्ट में एक विशेषज्ञ के अनुमान के अनुसार आईएसके ने अपनी स्थापना के लगभग एक साल बाद 2016 में $271 मिलियन (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) का फंड जुटाया. पढ़िए वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

ISIS
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नई दिल्ली : 2015 से पहले शुरुआत करने वाला मुख्यालय इस्लामिक स्टेट-खोरासन (ISIS-K or ISK) काबुल के हामिद करजई हवाई अड्डे (Hamid Karzai airport) पर गुरुवार के विनाशकारी विस्फोटों को अंजाम देने तक अफगानिस्तान में किस तरह अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन की नाक के नीचे इतनी तेजी से उभरा. यह एक ऐसा मामला है जिसकी गंभीर जांच की जरूरत है.

हालांकि, इससे भी अधिक दिलचस्प आईएसआईएस-संबद्ध के लिए धन की सोर्सिंग (sourcing of funds) है, जिसके लिए प्रारंभिक धन सीरिया और लेवेंट (आईएसआईएस) में मूल इस्लामिक स्टेट से आया था, लेकिन बाद में आईएसके अपने लिए खुद धन वित्तपोषण करने लगा.

यह कदम उसने उस समय उठााया, जब उसने खैबर दर्रे में तस्करी पर नियंत्रण के लिए लड़ाई लड़ी. इसके अलावा फंड जुटाने के लिए कुनार प्रांत में, तालक की खदानें और लकड़ी के संसाधन संगठन के लिए धन का एक अच्छा स्रोत रहे हैं.

हालांकि, अफगानिस्तान के प्रमुख थिंक-टैंक में से एक काबुल स्थित अफगान इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (Afghan Institute for Strategic Studies) की एक रिपोर्ट में एक विशेषज्ञ के अनुमान के अनुसार आईएसके ने अपनी स्थापना के लगभग एक साल बाद 2016 में $271 मिलियन (लगभग 2,000 करोड़ रुपये) का फंड जुटाया.

निजी दाताओं से (लगभग यूएस $ 120 मिलियन), सीरिया और इराक में आईएसआईएस (लगभग यूएस $ 78 मिलियन), अरब खाड़ी राज्यों (लगभग यूएस $ 40 मिलियन), और 'जकात' (धार्मिक कर) (लगभग यू.एस. $33 मिलियन) के रूप में प्राप्त की गई.

ISK के लिए इस फंड के प्रमुख सूत्रधारों में 'नेजात सोशल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन' (Nejaat Social Welfare Organization) नाम का एक एनजीओ था, जिसे 18 नवंबर 2019 को अमेरिका द्वारा प्रतिबंध सूची में रखा गया था. एनजीओ, ISK को भौतिक रूप से सहायता, प्रायोजित, या वित्तीय प्रदान करता है.

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि एक नेजात ISIS-K के लिए भर्तीकर्ता का काम करता था और काबुल में आईएसआईएस-के लड़ाकों की भर्ती करता था. साथ ही नंगरहार प्रांत (Nangarhar Province) की यात्रा की व्यवस्था करता था.

2016 के अंत में ISIS-K की गतिविधियों का समर्थन करने और धन के हस्तांतरण की सुविधा के लिए एक कवर कंपनी के रूप में उपयोग किया गया.

ISIS-K के अफगान नेताओं ने नेजात द्वारा प्रायोजित एक सलाफी (prominent Salafi leaders) एकजुटता बैठक की आड़ में बैठकें आयोजित कीं. इन बैठकों में नेजात के कार्यकारी सदस्यों और अफगानिस्तान में प्रमुख सलाफी नेताओं ने बैठक का नेतृत्व किया, जिनमें से कुछ नेजात के वित्तीय समर्थक शामिल थे.

नेजात ने कतर, संयुक्त अरब अमीरात, इराक और अन्य मध्य पूर्वी देशों के व्यक्तियों से ISIS-K की ओर से दान एकत्र करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तब पैसा बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से खाड़ी से एशिया में स्थानांतरित किया गया था , जहां एक आईएसआईएस-के समन्वयक हस्तांतरित धन एकत्र किया. यह धन काबुल और जलालाबाद (Kabul and Jalalabad) में नेजात के कार्यालयों ने ISIS-K कमांडरों को धन वितरित किया गया.

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नेजात चलाने वालों में कुवैत के सैयद हबीब अहमद खान (Sayed Habib Ahmad Khan), जो नेजात के निदेशक थे और नेजात के कार्यकारी सदस्य रोहुल्लाह वकील (Rohullah Wakil) थे.

ISK के लिए धन जुटाने और सुविधा के लिए काम करने वाले अन्य प्रमुख लोगों में मालदीव स्थित मोहम्मद अमीन थे, जिन्हें आईएसके ने संगठन के डिजिटल मीडिया संचालन (digital media operations ) की देखभाल करने के लिए भी कहा था. अमीन ने मालदीव से ISK के लिए लड़ाकों की भी भर्ती की थी.

कम से कम अप्रैल 2019 तक, अमीन माले में हर हफ्ते लगभग दस भर्ती सत्र (recruitment sessions) आयोजित करने में शामिल था. सीरिया के लिए लड़ाकों की भर्ती से शुरुआत करते हुए, अमीन ने बाद में केवल अफगानिस्तान में भर्ती होने वालों को भेजना शुरू किया.

भर्ती में शामिल एक अन्य महत्वपूर्ण व्यक्ति लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) का एक पूर्व आतंकवादी अब्दुल-फैक खोरासानी (Abdul-Faeq Khorasani) है, जिसने सीरिया की यात्रा से पहले 1998 में कश्मीर में काम किया था. माना जाता है कि कुनार में ISIS का बैनर सबसे पहले उन्होंने ही उठाया था.

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