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रेलवे सभी यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर लगाएगी आरएफआईडी टैग

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Published : Jan 29, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 10:32 AM IST

रेलवे के करीब 3,50,000 यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर आरएफआईडी टैग लगाए जाएंगे ताकि इन पर निगाह रखी जा सके. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना पर करीब 112 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

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नई दिल्ली : रेलवे के करीब 3,50,000 यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर आरएफआईडी टैग लगाए जाएंगे ताकि इन पर निगाह रखी जा सके. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि परियोजना पर करीब 112 करोड़ रुपये की लागत आएगी.

रेलवे बोर्ड के रॉलिंग स्टॉक के सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि अब तक मालगाड़ी के करीब 22 हजार डिब्बों और यात्री ट्रेनों के 1200 कोचों पर रेडियो आवृत्ति पहचान (आरएफआईडी) टैग लगाए जा चुके हैं.

राजेश अग्रवाल ने कहा कि तकरीबन 3500 स्थिर आरएफआईडी रीडर लगाए जाने की संभावना है, जो जीएस 1 बारकोड के एलएलआरपी मानक का इस्तेमाल करते हुए एक केंद्रीय नियंत्रण केंद्र को आंकड़े भेजेगा.

वही अग्रवाल ने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे की सूचना प्रौद्योगिकी इकाई क्रिस द्वारा संचालित उक्त परियोजना में ट्रेन की रफ्तार 182 किलोमीटर होने पर भी डेटा पढ़ा जा सकता है.

यह भी पढ़ें- जानिए 90 वर्षों से भी अधिक समय तक परंपरा में रहे रेलवे बजट का इतिहास

आपको बता दें कि यह तकनीक रेलवे को प्रत्येक यात्री डिब्बे और मालगाड़ियों के डिब्बों पर नजर रखने में मदद प्रदान करेगी.

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पीटीआई-भाषा संवाददाता 17:31 HRS IST




             
  • वर्ष 2021 तक सभी यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर आरएफआईडी टैग लगेंगे : रेलवे



नयी दिल्ली, 29 जनवरी (भाषा) रेलवे के करीब 3,50,000 यात्री कोचों और मालगाड़ी के डिब्बों पर आरएफआईडी टैग लगाए जाएंगे ताकि इन पर निगाह रखी जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी देते हुए कहा कि परियोजना पर करीब 112 करोड़ रुपये की लागत आएगी।



रेलवे बोर्ड के रॉलिंग स्टॉक के सदस्य राजेश अग्रवाल ने कहा कि अभी तक करीब 22 हजार मालगाड़ी के डिब्बों और यात्री ट्रेनों के 1200 कोचों पर रेडियो आवृत्ति पहचान (आरएफआईडी) टैग लगाये जा चुके हैं।



उन्होंने कहा कि तकरीबन 3500 स्थिर आरएफआईडी रीडर लगाये जाने की संभावना है जो जीएस 1 बारकोड के एलएलआरपी मानक का इस्तेमाल करते हुए एक केंद्रीय नियंत्रण केंद्र को आंकड़े भेजेंगे।



अग्रवाल ने कहा कि भारतीय रेलवे की सूचना प्रौद्योगिकी इकाई क्रिस द्वारा संचालित उक्त परियोजना में ट्रेन की रफ्तार 182 किलोमीटर होने पर भी डेटा पढ़ा जा सकता है।



यह तकनीक रेलवे को प्रत्येक यात्री डिब्बे और मालगाड़ियों के डिब्बों पर नजर रखने में मदद प्रदान करेगी।


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Last Updated : Feb 28, 2020, 10:32 AM IST
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