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अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कितना हुआ विकास

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Published : Aug 5, 2020, 5:02 AM IST

केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने से पहले राज्य में आर्थिक और विकास का संकट पैदा हो गया है. विश्लेषकों का कहना है कि वहां केवल एकमात्र चिंता का विषय निजी निवेश का अभाव था और यह अभाव 370 के अस्तित्व के कारण नहीं, बल्कि दशकों से वहां चली आ रही अनिश्चित राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति के कारण था.

कॉन्सेप्ट इमेज
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श्रीनगर : केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के ऐतिहासिक फैसले के बाद कश्मीर में अभूतपूर्व लॉकडाउन लगाने के कारण वहां आर्थिक और विकास संकट पैदा हो गया है.

अनुच्छेद के निरस्त होने से पहले, जम्मू -कश्मीर के विकास संकेतक - जीवन प्रत्याशा से लेकर शिशु मृत्यु दर, साक्षरता और गरीबी से आर्थिक विकास तक - राष्ट्रीय औसत और भारत के कई अन्य शीर्ष राज्यों से बेहतर थे.

विश्लेषकों का कहना है कि वहां केवल एकमात्र चिंता का विषय निजी निवेशों का अभाव था और यह अभाव 370 के अस्तित्व के कारण नहीं, बल्कि दशकों से वहां चली आ रही अनिश्चित राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति के कारण था.

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भाजपा के एकतरफा फैसले का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया गया. अनुच्छेद के निरस्त करने के ठीक एक साल बाद भाजपा अपने फैसले का बचाव कर रही है, हालांकि विपक्ष कश्मीर में एक वर्ष में हुए विकास पर सवाल उठा रहा है.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जो अब भी जम्मू -कश्मीर की विशेष स्थिति और 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करने की मांग कर रही है. पार्टी का कहना है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद जम्मू और कश्मीर ने भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को पूरा होते देखा है, लेकिन कोई विकास नहीं हुआ है.

पीडीपी नेता रऊफ डार ने कहा ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर विकास का गवाह बनेगा का, जो वादा किया था. परिस्थितियां उसके विपरीत हैं. हम केवल बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे को पूरा होते देख रहे हैं. पिछले एक वर्ष में बेरोजगारी बढ़ी है. अर्थव्यवस्था अपंग हो गई है और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पहले से और खराब हो गई है.

आर्थिक विकास विश्लेषक एजाज अय्यूब ने कहा कि 5 अगस्त के कोरोना के कारण जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन लगा दिया गया, जिससे यहां के विकास और आर्थिक गतिविधियों में रुकावट आ गई.

जम्मू कश्मीर में कितना हुआ विकास

पढ़ें - जम्मू कश्मीर : श्रीनगर और अन्य दो जिलों में दो दिनों के लिए कर्फ्यू का एलान

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 40-45 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से लोगों की नौकरी चली गई. जम्मू- कश्मीर की अर्थव्यवस्था अपंग हो गई है. यहां की घरेलू उत्पाद की जीडीपी-20 है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्र के अनुसार यहां बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से अधिक हो गई है. इसके अलावा कोई निवेश नहीं आया है. यहां तक ​​कि वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन भी आयोजित नहीं किया जा सका है.

उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए राजनीतिक स्थिरता और बुनियादी ढांचा होना चाहिए. अनुच्छेद 370 का हनन आर्थिक स्थिरता या निवेश नहीं लाएगा, जब तक कि राजनीतिक स्थिरता न हो.'

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

आर्थिक संकेतक

राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश: गरीबी दर प्रति व्यक्ति आय

जम्मू और कश्मीर 10.35 62,145

बिहार 33.98 25,590

असम 31.74 52,416

उत्तराखंड 11.26 1,32,464

राजस्थान 14.71 72,072

मध्य प्रदेश 31.65 53,047

महाराष्ट्र 17.35 1,33,1461

गुजरात 16.63 1,31,853

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

पूंजी निवेश

राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश जीडीपी अनुपात का ऋण निवेशित पूंजी

जम्मू और कश्मीर 49.2 139, 186

बिहार 49.2 139, 186

असम 17.1 373,614

राजस्थान 33.6 1,412,186

मध्य प्रदेश 25.4 1,797,608

महाराष्ट्र 16.7 5,028,025

गुजरात 17.2 8,161,

जीवन प्रत्याशा: भारत के 57 वर्ष (2012-2016) के औसत से 73.5 वर्ष

शिशु मृत्यु दर: 2017 में भारत के औसत 33 के मुकाबले 23

साक्षरता दर: 2011 में भारत के औसत 72 प्रतिशत के मुकाबले 67 प्रतिशत

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

स्त्री विवाह

2015-16 में, जम्मू और कश्मीर की 8.7 प्रतिशत स्त्रियों की शादी 20 से 24 साल की उम्र के बीच हुई.

जबकि राष्ट्रीय औसत 26.8 प्रतिशत (2015-16 में) थी. बिहार में दर 42.5 फीसदी और गुजरात में 24.9 फीसदी थी.

शिक्षा

जम्मू कश्मीर के पास शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2005 था, जो सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा 8 तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता था.

भारत के 56.6 प्रतिशत की तुलना में हायर सेकंडरी स्कूलों में सकल नामांकन 58.6 प्रतिशत बच्चों ने दर्ज किया (2015-2016 के आंकड़े)

श्रीनगर : केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के ऐतिहासिक फैसले के बाद कश्मीर में अभूतपूर्व लॉकडाउन लगाने के कारण वहां आर्थिक और विकास संकट पैदा हो गया है.

अनुच्छेद के निरस्त होने से पहले, जम्मू -कश्मीर के विकास संकेतक - जीवन प्रत्याशा से लेकर शिशु मृत्यु दर, साक्षरता और गरीबी से आर्थिक विकास तक - राष्ट्रीय औसत और भारत के कई अन्य शीर्ष राज्यों से बेहतर थे.

विश्लेषकों का कहना है कि वहां केवल एकमात्र चिंता का विषय निजी निवेशों का अभाव था और यह अभाव 370 के अस्तित्व के कारण नहीं, बल्कि दशकों से वहां चली आ रही अनिश्चित राजनीतिक और सुरक्षा स्थिति के कारण था.

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भाजपा के एकतरफा फैसले का विपक्षी दलों द्वारा विरोध किया गया. अनुच्छेद के निरस्त करने के ठीक एक साल बाद भाजपा अपने फैसले का बचाव कर रही है, हालांकि विपक्ष कश्मीर में एक वर्ष में हुए विकास पर सवाल उठा रहा है.

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, जो अब भी जम्मू -कश्मीर की विशेष स्थिति और 5 अगस्त 2019 से पहले की स्थिति को बहाल करने की मांग कर रही है. पार्टी का कहना है कि अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद जम्मू और कश्मीर ने भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को पूरा होते देखा है, लेकिन कोई विकास नहीं हुआ है.

पीडीपी नेता रऊफ डार ने कहा ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा है कि अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से पहले, बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर विकास का गवाह बनेगा का, जो वादा किया था. परिस्थितियां उसके विपरीत हैं. हम केवल बीजेपी और आरएसएस के एजेंडे को पूरा होते देख रहे हैं. पिछले एक वर्ष में बेरोजगारी बढ़ी है. अर्थव्यवस्था अपंग हो गई है और जम्मू-कश्मीर की स्थिति पहले से और खराब हो गई है.

आर्थिक विकास विश्लेषक एजाज अय्यूब ने कहा कि 5 अगस्त के कोरोना के कारण जम्मू-कश्मीर में लॉकडाउन लगा दिया गया, जिससे यहां के विकास और आर्थिक गतिविधियों में रुकावट आ गई.

जम्मू कश्मीर में कितना हुआ विकास

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उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था को 40-45 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसकी वजह से लोगों की नौकरी चली गई. जम्मू- कश्मीर की अर्थव्यवस्था अपंग हो गई है. यहां की घरेलू उत्पाद की जीडीपी-20 है.

उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्र के अनुसार यहां बेरोजगारी दर 22 प्रतिशत से अधिक हो गई है. इसके अलावा कोई निवेश नहीं आया है. यहां तक ​​कि वैश्विक निवेश शिखर सम्मेलन भी आयोजित नहीं किया जा सका है.

उन्होंने कहा, 'निवेश के लिए राजनीतिक स्थिरता और बुनियादी ढांचा होना चाहिए. अनुच्छेद 370 का हनन आर्थिक स्थिरता या निवेश नहीं लाएगा, जब तक कि राजनीतिक स्थिरता न हो.'

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

आर्थिक संकेतक

राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश: गरीबी दर प्रति व्यक्ति आय

जम्मू और कश्मीर 10.35 62,145

बिहार 33.98 25,590

असम 31.74 52,416

उत्तराखंड 11.26 1,32,464

राजस्थान 14.71 72,072

मध्य प्रदेश 31.65 53,047

महाराष्ट्र 17.35 1,33,1461

गुजरात 16.63 1,31,853

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

पूंजी निवेश

राज्य / केन्द्र शासित प्रदेश जीडीपी अनुपात का ऋण निवेशित पूंजी

जम्मू और कश्मीर 49.2 139, 186

बिहार 49.2 139, 186

असम 17.1 373,614

राजस्थान 33.6 1,412,186

मध्य प्रदेश 25.4 1,797,608

महाराष्ट्र 16.7 5,028,025

गुजरात 17.2 8,161,

जीवन प्रत्याशा: भारत के 57 वर्ष (2012-2016) के औसत से 73.5 वर्ष

शिशु मृत्यु दर: 2017 में भारत के औसत 33 के मुकाबले 23

साक्षरता दर: 2011 में भारत के औसत 72 प्रतिशत के मुकाबले 67 प्रतिशत

जम्मू-कश्मीर में  विकास
जम्मू-कश्मीर में विकास

स्त्री विवाह

2015-16 में, जम्मू और कश्मीर की 8.7 प्रतिशत स्त्रियों की शादी 20 से 24 साल की उम्र के बीच हुई.

जबकि राष्ट्रीय औसत 26.8 प्रतिशत (2015-16 में) थी. बिहार में दर 42.5 फीसदी और गुजरात में 24.9 फीसदी थी.

शिक्षा

जम्मू कश्मीर के पास शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2005 था, जो सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में कक्षा 8 तक के सभी बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करता था.

भारत के 56.6 प्रतिशत की तुलना में हायर सेकंडरी स्कूलों में सकल नामांकन 58.6 प्रतिशत बच्चों ने दर्ज किया (2015-2016 के आंकड़े)

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