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नौणी विवि के 36वें स्थापना दिवस पर बोले सीएम: अभी भी क्लासरूम से खेतों तक पहुंचने की जरूरत

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Published : Dec 1, 2020, 6:18 PM IST

36th Foundation Day of Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry
फोटो.

सोलन जिला में स्थापित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी अपना 36वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस बार कोरोना महामारी की एहतियात बरतते हुए विश्वविद्यालय द्वारा वर्चयुल कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और विश्विद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए.

सोलन: हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला में स्थापित डॉ. यशवंत सिंह परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय नौणी अपना 36वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस बार कोरोना महामारी की एहतियात बरतते हुए विश्वविद्यालय द्वारा वर्चयुल कार्यक्रम का आयोजन किया गया.

जिसमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और विश्विद्यालय के कुलाधिपति बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बतौर मुख्यातिथि शामिल हुए. इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि नौणी विश्विद्यालय अपनी तरह का एशिया में पहला विश्वविद्यालय होने का गौरव इस स्थान को हासिल है. यह संस्थान आज अपने 35 वर्ष पूरे कर रहा है.

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डॉ. परमार की दूरदर्शी सोच का नतीजा है नौणी विश्विद्यालय

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस शुभ अवसर पर विश्वविद्यालय की स्थापना में जुड़े सभी व्यक्तियो को मैं नमन करता हूं. विशेषकर प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार जिनकी दूरदर्शी साथ पूरे भारतवर्ष में हिमाचल प्रदेश को बागवानी एक अलग दर्जा हासिल है.

चाहे वो सेब, मशरूम, बेमौसमी सब्जी एवं खुम्भ उत्पादन हो या फिर फूल एवं. सुंगधित तथा औषधीय पौधों की बात हो, हिमाचल की हमेशा से ही अपनी एक अलग पहचान है. वर्षों से कृषि अर्थ व्यवस्था को गति देने में बागवानी एक सम्भावित उद्यम के रूप में उभरा है.

वर्तमान में कृषि उत्पादन में बागवानी फसलों की लगभग 33 प्रतिशत भागीदारी है. अकेला सेब का ही सालाना कारोबार 5 हजार करोड़ रूपये का है. कृषि बागवानी का रोजगार सृजन, पोषण सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों में भूमिका लगातार महत्वपूर्ण हो रही है. ऐसे में यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि इस विश्वविद्यालय जैसे उच्च शिक्षा संस्थान, नवीनतम ज्ञान एवं तकनीक का विकास करें और यह सुनिश्चित करें की यह कृषक समुदाय तक पहुंचे.

नई शिक्षा नीति को लागू करने के लिए हिमाचल मे किया गया है टास्क फोर्स का गठन

भारत सरकार की एतिहासिक नई शिक्षा नीति 2020 को हिमचाल प्रदेश सरकार ने इसे सफलतापूर्वक लागू करने के लिए एक टास्क फोर्स का गठन भी किया है. विश्वविद्यालय द्वारा भी इस नीति को लागू करने के लिए एक विज़न डाक्यूमेंट बनाया गया है और उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले समय में इस नीति का फायदा छात्रों तक पहुंचेगा और देश में नयी शिक्षा क्रांति आएगी.

36th Foundation Day of Dr. Yashwant Singh Parmar University of Horticulture and Forestry
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ईको टूरिज्म मॉडल स्थापित करने की जरूरत

हिमाचल प्रदेश अपनी सुंदरता के लिए विश्वविख्यात है. बागवानी के साथ - साथ पर्यटन का भी हमारी अर्थव्यवस्था में एक मुख्य भुमिका रहती है. बागवानी और पर्यटन को अगर साथ में जोड़ा जाए तो रोजगार के नए द्वार प्रदेश में खुलने की सम्भावनाएं बढ़गी. इसके लिए विश्वविद्यालय द्वारा कृषि बागवानी आधारित इकोटूरिजम मॉडल स्थापित करने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है.

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए वैज्ञानिकों को क्लासरूम से खेतों तक पहुंचने की जरूरत

उन्होंने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसान-बागवान, उच्च गुणवत्ता वाले फल-सब्जी आदि का उत्पादन बड़ी ही मेहनत से करते है पर बाजार के उतार-चढ़ाव में कभी-कभी उन्हें उचित मूल्य न मिलने के कारण वो निराश हो जाते है. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय द्वारा खाद्य प्रसंस्करण के बारे में ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित करवायें ताकि वह अपने उत्पादन से अच्छा लाभ कमा सके.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष सेब के बागीचों में स्कैब रोग का प्रकोप देखा गया. विश्वविद्यालय द्वारा इससे निपटने के लिए समय पर निर्णय लिये गये जिससे प्रदेश के बागवानों को होने वाले हानि को हम सीमित कर सकें. किसानों की आय को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय को जलवायु परिवर्तन और इसका कृषि-बागवानी पर प्रभाव पर मंथन करना समय की मांग है.

कृषि-बागवानी पर प्रभाव पर मंथन करना समय की मांग

विश्वविद्यालय समकालीन मुद्दों पर अपनी बागवानी एवं वानिकी शिक्षण, अनुसन्धान और विस्तार के माध्यम से योगदान दे रहा है. बागवानी फसलों के विभिन्न पहलुओं के अनुसन्धान जैसे कि उच्च गुणवत्ता वाले पौधों की प्रजातियों का क्षमता मूल्यांकन करके बागवानों को उपलब्ध कराने में विश्वविद्यालय एक अहम भूमिका निभा रहा है. किसानों की आय को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय को जलवायु परिवर्तन और इसका कृषि-बागवानी पर प्रभाव पर मंथन करना समय की मांग है.

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