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Himachal News: हिमाचल के इस गांव के लोगों का छलका दर्द, PWD मंत्री से पूछा- क्या हमारे और जानवरों में कोई फर्क नहीं?

हिमाचल प्रदेश में एक ओर नेशनल हाईवे का निर्माण किया जा रहा है. पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पहाड़ी इलाकों में रोपवे बनाए जा रहे हैं. वहीं, आज भी प्रदेश में ऐसे इलाके हैं, जहां सड़क सुविधा तक लोगों को नसीब नहीं है. सालों से लोग सड़क बनने के इंतजार में बैठे हैं और बेहद चुनौतीपूर्ण जिंदगी जीने को मजबूर हैं. (Road Problem in Sirmaur) (Himachal News)

Road Problem in Sirmaur.
सिरमौर के देवना गांव में नहीं है सड़क सुविधा.
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Published : Jul 30, 2023, 1:40 PM IST

सिरमौर: आज जहां एक ओर हिमाचल प्रदेश में हाईवे बनाए जा रहे हैं. हर ओर सड़कों का जाल फैल रहा है. वहीं, हिमाचल के कुछ पहाड़ी इलाके ऐसे हैं जो आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. जिन्हें अब भी दुर्गम और बेहद चुनौतीपूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत करना पड़ता है. जिला सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत गनोग का देवना गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है. हालांकि कुछ गांवों तक सड़क पहुंच चुकी हैं, लेकिन देवना गांव के लोग आज भी सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं.

देवना में अब तक नहीं पहुंची सड़क: देवना गांव में सड़क सुविधा न होने से मजबूर ग्रामीण अपनी पीठ पर और खच्चरों पर सामान ढोने को विवश हैं. स्कूली बच्चे व ग्रामीण पहाड़ों के बीच गहरी खाई के साथ बनी पतली पगडंडियों पर जोखिमपूर्ण पैदल सफर करते हैं. सालों से सड़क का इंतजार कर रहे देवना के ग्रामीणों का दर्द अब पूरी तरह से छलका है. ग्रामीणों ने प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह को एक भावुक पत्र लिखा. पत्र में ग्रामीणों ने मंत्री से उनकी समस्या का जल्द समाधान करने की गुहार लगाई है.

Road Problem in Sirmaur.
देवना गांव के लोग पीठ पर सामान लाद कर खड़ी पहाड़ी चढ़ते हुए.

पीडब्ल्यूडी मंत्री को लिखा पत्र: जानकारी के अनुसार देवना गांव के ग्रामीण विनोद कुमार ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह को पत्र लिया. जिसमें विनोद कुमार ने लिखा कि 'थक गया वह मेरे गांव का बुजुर्ग, जो अपने बच्चे के लिए अच्छा भविष्य देख रहा था. थक गया मेरे गांव का युवा, पिछले 5-6 सालों से लगातार एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय और एक मंत्री से दूसरे मंत्री तक चक्कर काटते-काटते, लेकिन अब तक गांव तक सड़क नहीं पहुंची.' पत्र में आगे विनोद कुमार ने लिखा कि 'पूर्व में भाजपा के मंत्रियों को भी अवगत करवाया गया. सब मंत्रियों ने कागज पर साइन किए और फाइल के अंदर कागज डाल दिया. बस यही तक उनका काम रहा. सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन आज भी समस्या जस की तस है. सड़क की समस्या आज भी कार्यालयों की फाइल में दबी है.'

ग्रामीणों की PWD मंत्री से गुहार: विनोद कुमार सहित देवना गांव के पूर्व उपप्रधान गोपाल ठाकुर, पूर्व वार्ड सदस्य हरिचंद व अन्य ग्रामीण पवन कुमार, दलीप ठाकुर, कुलदीप, सुशीला, प्रियंका इत्यादि ने पीडब्ल्यूडी मंत्री से उम्मीद जताई कि जल्द से जल्द देवना गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए. साथ ही इस बात से भी अवगत करवाया जाए कि सड़क बनाने में अब कहां समस्या आ रही है. जल्द ही गांव का एक डेलिगेशन पीडब्ल्यूडी मंत्री से व्यक्तिगत तौर पर भी मिलने पहुंचेगा. ग्रामीणों ने कहा कि साल 2016 में सड़क के लिए बजट का प्रावधान भी कर दिया था, लेकिन आज भी यह सड़क आधी अधूरी है. पत्र के साथ ग्रामीणों ने समस्या से संबंधित तस्वीरें भी भेजी हैं.

Road Problem in Sirmaur.
देवना गांव के लोग खच्चरों पर सामान ढोते हुए.

'सामान ढोने के लिए एक खच्चर का भाड़ा 500 रूपये': विनोद कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को खुद पीठ पर सामान ढोकर लाना पड़ता है. अधिक सामान होने की सूरत में खच्चरों का सहारा लिया जाता है. सड़क से गांव ज्यादा दूर होने के चलते एक खच्चर का भाड़ा करीब 500 रूपये होता है. अब यहां के किसान व बागवान कैसे फसल की बिजाई करेंगे और क्या कमाएंगे. विनोग कुमार ने कहा कि हमारी सारी कमाई तो भाड़ा देने में ही लग जाती है. उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री से पूछा कि क्या आज 21वीं सदी में भी हमारे और जानवरों में कोई फर्क नहीं है. कब तक हम ऐसे ही जानवरों की तरह सामान ढोते रहेंगे.

एक महिला तोड़ चुकी दम, कंधों पर मरीज: देवना गांव के स्थानीय निवासी विनोद कुमार ने बताया कि सड़क सुविधा न होने के कारण बीमार लोगों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता है. जिसके चलते कुछ साल पहले यहां पर इलाज के आभाव में एक गर्भवती महिला दम तोड़ चुकी है. वहीं, यदि गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे कंधों पर उठाकर सड़क तक लाना पड़ता है. इस सूरत में स्थिति और अधिक गंभीर बन जाती है.

Road Problem in Sirmaur.
बीमार बुजुर्ग को कंधे पर उठाकर मेन रोड की ओर ले जाते हुए.

क्या है पूरा मामला: प्राप्त जानकारी के अनुसार नाबार्ड के माध्यम से तिरमली से देवना तक करीब 9 किलोमीटर की सड़क बनाई जानी प्रस्तावित है. ग्रामीणों के मुताबिक 6 से 7 किलोमीटर पाब गांव तक 5-6 गांव के लिए सड़क बन चुकी है, लेकिन इससे आगे देवना तक सड़क नहीं पहुंची है. 2 से 3 किलोमीटर सड़क न बनने के कारण, उन्हें पहले की भांति गांव में जाना पड़ता है. इसके लिए उन्हें खड़ी चढ़ाई के साथ-साथ संकरा रास्ता व गहरी खाई पार करनी होती है. दूसरी तरफ जहां से सड़क बननी है, वहां से आगे के लिए कोई रास्ता नहीं है. देवना गांव की आबादी 400 से ज्यादा है. जिस पुराने मार्ग का इस्तेमाल वह कर रहे हैं, उस पर हमेशा अनहोनी का खतरा बना रहता है.

'फॉरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से आ रही समस्या': वहीं, पीडब्ल्यूडी के एसडीओ राजेश धीमान ने बताया कि तिरमली से देवना तक नाबार्ड के माध्यम से सड़क बनाई जा रही है. करीब 7 से 8 किलोमीटर की सड़क बन गई है. देवना तक सड़क बनाने का मामला फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण लटका है. शामलात भूमि बीच में आ रही है. साथ ही बान के जंगल भी हैं. फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए मामला आगे भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही गांव को सड़क सुविधा से जोड़ दिया जाएग.

'गांव तक सड़क पहुुंचाने के प्रयास जारी': श्री रेणुका जी के विधायक विनय कुमार ने कहा कि देवना गांव तक सड़क का मामला फॉरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से लटका है. कुछ समस्या जमीन को लेकर आ रही है. फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर वन विभाग की तरफ से कुछ आर्ब्जवेशन आई थी, जिसको लेकर पीडब्ल्यूडी को इस संबंध में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि गांव तक जल्द से जल्द सड़क पहुंचाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

ये भी पढे़ं: हिमाचल प्रदेश: 2 दिन में 75 किलोमीटर पैदल चलकर जिला मुख्यालय पहुंचे ग्रामीण, बाढ़ में बह गए रास्ते और पुल, हाथ जोड़कर कहा मदद करो सरकार

सिरमौर: आज जहां एक ओर हिमाचल प्रदेश में हाईवे बनाए जा रहे हैं. हर ओर सड़कों का जाल फैल रहा है. वहीं, हिमाचल के कुछ पहाड़ी इलाके ऐसे हैं जो आज भी सड़क सुविधा से वंचित हैं. जिन्हें अब भी दुर्गम और बेहद चुनौतीपूर्ण तरीके से जीवन व्यतीत करना पड़ता है. जिला सिरमौर के संगड़ाह उपमंडल के तहत आने वाली ग्राम पंचायत गनोग का देवना गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित है. हालांकि कुछ गांवों तक सड़क पहुंच चुकी हैं, लेकिन देवना गांव के लोग आज भी सड़क बनने का इंतजार कर रहे हैं.

देवना में अब तक नहीं पहुंची सड़क: देवना गांव में सड़क सुविधा न होने से मजबूर ग्रामीण अपनी पीठ पर और खच्चरों पर सामान ढोने को विवश हैं. स्कूली बच्चे व ग्रामीण पहाड़ों के बीच गहरी खाई के साथ बनी पतली पगडंडियों पर जोखिमपूर्ण पैदल सफर करते हैं. सालों से सड़क का इंतजार कर रहे देवना के ग्रामीणों का दर्द अब पूरी तरह से छलका है. ग्रामीणों ने प्रदेश के पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह को एक भावुक पत्र लिखा. पत्र में ग्रामीणों ने मंत्री से उनकी समस्या का जल्द समाधान करने की गुहार लगाई है.

Road Problem in Sirmaur.
देवना गांव के लोग पीठ पर सामान लाद कर खड़ी पहाड़ी चढ़ते हुए.

पीडब्ल्यूडी मंत्री को लिखा पत्र: जानकारी के अनुसार देवना गांव के ग्रामीण विनोद कुमार ने मंत्री विक्रमादित्य सिंह को पत्र लिया. जिसमें विनोद कुमार ने लिखा कि 'थक गया वह मेरे गांव का बुजुर्ग, जो अपने बच्चे के लिए अच्छा भविष्य देख रहा था. थक गया मेरे गांव का युवा, पिछले 5-6 सालों से लगातार एक कार्यालय से दूसरे कार्यालय और एक मंत्री से दूसरे मंत्री तक चक्कर काटते-काटते, लेकिन अब तक गांव तक सड़क नहीं पहुंची.' पत्र में आगे विनोद कुमार ने लिखा कि 'पूर्व में भाजपा के मंत्रियों को भी अवगत करवाया गया. सब मंत्रियों ने कागज पर साइन किए और फाइल के अंदर कागज डाल दिया. बस यही तक उनका काम रहा. सत्ता परिवर्तन हो गया, लेकिन आज भी समस्या जस की तस है. सड़क की समस्या आज भी कार्यालयों की फाइल में दबी है.'

ग्रामीणों की PWD मंत्री से गुहार: विनोद कुमार सहित देवना गांव के पूर्व उपप्रधान गोपाल ठाकुर, पूर्व वार्ड सदस्य हरिचंद व अन्य ग्रामीण पवन कुमार, दलीप ठाकुर, कुलदीप, सुशीला, प्रियंका इत्यादि ने पीडब्ल्यूडी मंत्री से उम्मीद जताई कि जल्द से जल्द देवना गांव को सड़क सुविधा से जोड़ा जाए. साथ ही इस बात से भी अवगत करवाया जाए कि सड़क बनाने में अब कहां समस्या आ रही है. जल्द ही गांव का एक डेलिगेशन पीडब्ल्यूडी मंत्री से व्यक्तिगत तौर पर भी मिलने पहुंचेगा. ग्रामीणों ने कहा कि साल 2016 में सड़क के लिए बजट का प्रावधान भी कर दिया था, लेकिन आज भी यह सड़क आधी अधूरी है. पत्र के साथ ग्रामीणों ने समस्या से संबंधित तस्वीरें भी भेजी हैं.

Road Problem in Sirmaur.
देवना गांव के लोग खच्चरों पर सामान ढोते हुए.

'सामान ढोने के लिए एक खच्चर का भाड़ा 500 रूपये': विनोद कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को खुद पीठ पर सामान ढोकर लाना पड़ता है. अधिक सामान होने की सूरत में खच्चरों का सहारा लिया जाता है. सड़क से गांव ज्यादा दूर होने के चलते एक खच्चर का भाड़ा करीब 500 रूपये होता है. अब यहां के किसान व बागवान कैसे फसल की बिजाई करेंगे और क्या कमाएंगे. विनोग कुमार ने कहा कि हमारी सारी कमाई तो भाड़ा देने में ही लग जाती है. उन्होंने पीडब्ल्यूडी मंत्री से पूछा कि क्या आज 21वीं सदी में भी हमारे और जानवरों में कोई फर्क नहीं है. कब तक हम ऐसे ही जानवरों की तरह सामान ढोते रहेंगे.

एक महिला तोड़ चुकी दम, कंधों पर मरीज: देवना गांव के स्थानीय निवासी विनोद कुमार ने बताया कि सड़क सुविधा न होने के कारण बीमार लोगों को समय पर इलाज भी नहीं मिल पाता है. जिसके चलते कुछ साल पहले यहां पर इलाज के आभाव में एक गर्भवती महिला दम तोड़ चुकी है. वहीं, यदि गांव में कोई बीमार हो जाए, तो उसे कंधों पर उठाकर सड़क तक लाना पड़ता है. इस सूरत में स्थिति और अधिक गंभीर बन जाती है.

Road Problem in Sirmaur.
बीमार बुजुर्ग को कंधे पर उठाकर मेन रोड की ओर ले जाते हुए.

क्या है पूरा मामला: प्राप्त जानकारी के अनुसार नाबार्ड के माध्यम से तिरमली से देवना तक करीब 9 किलोमीटर की सड़क बनाई जानी प्रस्तावित है. ग्रामीणों के मुताबिक 6 से 7 किलोमीटर पाब गांव तक 5-6 गांव के लिए सड़क बन चुकी है, लेकिन इससे आगे देवना तक सड़क नहीं पहुंची है. 2 से 3 किलोमीटर सड़क न बनने के कारण, उन्हें पहले की भांति गांव में जाना पड़ता है. इसके लिए उन्हें खड़ी चढ़ाई के साथ-साथ संकरा रास्ता व गहरी खाई पार करनी होती है. दूसरी तरफ जहां से सड़क बननी है, वहां से आगे के लिए कोई रास्ता नहीं है. देवना गांव की आबादी 400 से ज्यादा है. जिस पुराने मार्ग का इस्तेमाल वह कर रहे हैं, उस पर हमेशा अनहोनी का खतरा बना रहता है.

'फॉरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से आ रही समस्या': वहीं, पीडब्ल्यूडी के एसडीओ राजेश धीमान ने बताया कि तिरमली से देवना तक नाबार्ड के माध्यम से सड़क बनाई जा रही है. करीब 7 से 8 किलोमीटर की सड़क बन गई है. देवना तक सड़क बनाने का मामला फॉरेस्ट क्लीयरेंस के कारण लटका है. शामलात भूमि बीच में आ रही है. साथ ही बान के जंगल भी हैं. फॉरेस्ट क्लीयरेंस के लिए मामला आगे भेजा गया है. स्वीकृति मिलते ही गांव को सड़क सुविधा से जोड़ दिया जाएग.

'गांव तक सड़क पहुुंचाने के प्रयास जारी': श्री रेणुका जी के विधायक विनय कुमार ने कहा कि देवना गांव तक सड़क का मामला फॉरेस्ट क्लीयरेंस की वजह से लटका है. कुछ समस्या जमीन को लेकर आ रही है. फॉरेस्ट क्लीयरेंस को लेकर वन विभाग की तरफ से कुछ आर्ब्जवेशन आई थी, जिसको लेकर पीडब्ल्यूडी को इस संबंध में उचित कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि गांव तक जल्द से जल्द सड़क पहुंचाने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं.

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