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पंचायत चुनाव के बीच चर्चे में लूण लोटा प्रथा, जानिए क्यों कोई झूठ बोलने की नहीं करता हिम्मत

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Published : Dec 25, 2020, 5:44 PM IST

पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश में चुनावी गतिविधि के साथ चहल-पहल तेज हो गई है. मैदान में खड़े प्रत्याशी जनता को लुभाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच हिमाचल के कई क्षेत्रों में लूण लोटा जैसी प्रथा एक बार फिर से चर्चे में है. इस प्रथा से अपना वोट पक्का किया जाता है... देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

लूण लोटा प्रथा
लूण लोटा प्रथा

पांवटा साहिब: पंचायत चुनाव को लेकर प्रदेश में राजनीति अपने चरम पर है. चुनाव में जीत के लिए प्रत्याशी पूरी जोर-आजमाइश में जुटे हैं. प्रत्याशी जनता को लुभाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं. इसी बीच हिमाचल के कई क्षेत्रों में लूण लोटा प्रथा एक बार फिर से चर्चे में हैं और अद्भुत हिमाचल में आपको लूण और लोटा प्रथा के बारे में बताएंगे. ये प्रथा उस दौर से चली आ रही है जब सच और झूठ का फैसला करने के लिए न कोर्ट होता था न पंचायत. लूण लोटा एक समय में न्याय व्यवस्था का एक हिस्सा था. लोग लोटा लूण की प्रथा से ही खुद को सच्चा झूठा साबित करते थे.

लूण लोटा प्रथा.
लूण लोटा प्रथा.

आधुनिकता के दौर में आज भी ये प्रथा सिरमौर के गिरीपार, शिमला, मंडी समेत हिमाचल के कई इलाकों में चली आ रही है. लूण का मतलब है नमक और लोटा मतलब कलश. पानी से भरे कलश में लोग नमक डालकर अपनी सत्यता का प्रमाणा देने के साथ साथ दूसरे के साथ अपनी बफादारी साबित करते हैं.

देवता को साक्षी मानकर कसम खाते हैं कसम

दरअसल, जब एक शख्स पानी से भरे लोटे में नमक डालते हुए देवता को साक्षी मानकर कसम लेता है, तब वह एक वादा कर रहा होता, जिसे उसे निभाना ही होता है. अगर उसने नहीं निभाया तो जिस तरह पानी में नमक घुल गया और खत्म हो गया. उसी तरह अगर वचन या वादा पूरा नहीं किया तो वचन देने वाला शख्स भी इसी तरह खत्म हो जाएगा.

वीडियो रिपोर्ट.

हैरी पॉटर फिल्म की सीरीज बल्ड पैक्ट में भी परंपरा

हैरी पॉटर फिल्म की सीरीज बल्ड पैक्ट जैसे दो लोग अपने खून से शपथ लेकर एक दूसरे के साथ हमेशा के लिए बंधकर किए गए वायदे को निभाने की कसम खाते थे. ठीक उसी तरह पहले लूण लोटा मालिक नौकर और पति-पत्नी के बीच एक दूसरे के लिए वफादार रहने के लिए भी किया जाता था.

लूण लोटा से किया जाता है वोट पक्का

भारत एक लोकतांत्रिक देश है. जनता के चुने हुए प्रतिनिधि ही शासन करते हैं. पंचायत से लेकर लोकसभा तक का चुनाव मतदान के जरिए होता है. चुनाव के दौरान वोट खरीदने के लिए कई उम्मीदवार नोट का सहारा लेते हैं, लेकिन गिरीपार और हिमाचल के कुछ इलाकों में वोट नोट से नहीं लूण लोटा से पक्का किया जाता है.

विवादों को निपटाने के लिए हुई थी परंपरा की शुरुआत

जब इस प्रथा की शुरुआत हुई थी, तब इसका इस्तेमाल विवादों का निपटारा करने के लिए किया गया. विवादों को सुलझाने का यह एक शांतिपूर्ण तरीका था, लेकिन वक्त के साथ लोगों ने इसका गलत इस्तेमाल भी करना शुरू कर दिया. चुनाव के समय वोट पक्का करने के लिए लूण लोटा की ये परंपरा एकदम घातक है.

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