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Lymphoma Awareness Day: हिमाचल में बढ़ रहा लिम्फोमा कैंसर का खतरा, हर महीने अस्पताल पहुंच रहे 10 मरीज, लापरवाही बरतने की न करें गलती

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 15, 2023, 9:28 AM IST

Updated : Sep 15, 2023, 1:09 PM IST

World Lymphoma Awareness Day 2023
वर्ल्ड लिम्फोमा जागरूकता दिवस 2023

हिमाचल में बढ़ रहा लीफोमा कैंसर के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार हर महीने करीब 10 मरीज हिमाचल में कैंसर अस्पताल शिमला में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. लिम्फोमा कैंसर गांठों का कैंसर हैं. जो कि इम्यून सिस्टम में इंफेक्शन से लड़ने वाली कोशिकाओं में होता है. (World Lymphoma Awareness Day)

शिमला: हिमाचल प्रदेश में लिम्फोमा कैंसर लगातार बढ़ता जा रहा है. आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर महीने करीब 10 लिम्फोमा कैंसर के मरीज अस्पतालों में पहुंच रहे हैं. कैंसर अस्पताल शिमला में लिम्फोमा के मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

गांठों का कैंसर: कैंसर अस्पताल शिमला के प्रोफेसर डॉक्टर विकास फोतेदार ने बताया कि यह एक गांठों का कैंसर है. जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. लिम्फोमा भी ब्लड कैंसर का ही एक प्रकार है, लेकिन यह शरीर की गांठों में होता है. उन्होंने बताया कि कैंसर अस्पताल शिमला में लिम्फोमा कैंसर के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. यह इलाज काफी लंबा चलता है, कई बार 5 साल तक भी मरीज का इलाज किया जाता है.

World Lymphoma Awareness Day 2023
हिमाचल में लिम्फोमा कैंसर

ये हैं आंकड़े: स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल 2020 में 125 लिम्फोमा के मामले कैंसर अस्पताल शिमला में आए थे. जबकि साल 2021 में 110 मामले लिम्फोमा के दर्ज किए गए थे. वहीं, साल 2022 में लिम्फोमा कैंसर के 120 मरीज कैंसर अस्पताल में इलाज के लिए आए थे. इस साल भी लिम्फोमा कैंसर के मरीजों का इलाज किया जा रहा है. कैंसर अस्पताल शिमला में विशेषज्ञ डॉक्टर ने बताया कि लिम्फोमा कैंसर के औसतन 10 मरीज हर महीने अस्पताल में इलाज के लिए आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब डायग्नोसिस करना आसान हो गया है, इसलिए अब कैंसर के अधिक मामलों का पता लग रहा है.

क्या है लिम्फोमा कैंसर: लिम्फोमा एक प्रकार का कैंसर है, जो इम्यून सिस्टम की इंफेक्शन से लड़ने वाली कोशिकाओं में होता है. जिन्हें लिम्फोसाइट्स कहा जाता है. ये कोशिकाएं लिम्फ नोड्स, प्लीहा, थाइमस, अस्थि मज्जा और शरीर के अन्य हिस्सों में होती हैं. जब कोई व्यक्ति लिम्फोमा से ग्रस्त होते हैं, तो लिम्फोसाइट्स तेजी से बदलने लगते हैं और अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं. ऐसी स्थिति में लिम्फोमा कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.

World Lymphoma Awareness Day 2023
क्या है लिम्फोमा कैंसर

लिम्फोमा के प्रकार: लिम्फोमा कैंसर में कई प्रकार होते हैं, लेकिन इनमें से दो मुख्य प्रकार हॉजकिन लिम्फोमा और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा है. हॉजकिन और नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा दोनों विभिन्न प्रकार के लिम्फोसाइटों को प्रभावित करते हैं. प्रत्येक प्रकार अलग-अलग गति से बढ़ता है और इसके इलाज के लिए अलग-अलग प्रतिक्रिया होती हैं. कैंसर होने के बावजूद, लिम्फोमा इलाज योग्य है. कई मामलों में तो लिम्फोमा कैंसर पूरी तरह ठीक भी हो जाते हैं. लिम्फोमा ल्यूकेमिया से भिन्न होता है, क्योंकि दोनों विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में शुरू होते हैं. लिम्फोमा लिम्फोसाइटों में शुरू होता है, जबकि ल्यूकेमिया अस्थि मज्जा कोशिकाओं में शुरू होता है.

World Lymphoma Awareness Day 2023
लिम्फोमा कैंसर के लक्षण

लिम्फोमा के सामान्य लक्षण: इंडोलेंट लिम्फोमा धीमी गति से बढ़ता है. इसमें कोई भी लक्षण दिखने से पहले ये कई महीनों से लेकर सालों तक विकसित हो सकता है. कुछ लोगों में कोई भी लक्षण नहीं हो सकते हैं और किसी अन्य मेडिकल कंडीशन के लिए स्कैन करते समय इसका पता लग सकता है. वहीं, लिम्फोमा के मुख्य लक्षणों में लिम्फ नोड्स में सूजन आना, शरीर में गांठ बनना, शरीर में हमेशा थकान रहना, अचानक वजन का घटाना, रात को ज्यादा पसीना आना, लगातार बुखार का आना शामिल हैं. इसके अलावा खाना न पचा पाना, भूख कम लगना, लगातार पेट दर्द होना, सीने में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी आदी भी लिम्फोमा कैंसर के ही लक्षण हो सकते हैं.

World Lymphoma Awareness Day 2023
विश्व लिम्फोमा जागरूकता दिवस

लिम्फोमा कैंसर के कारण: विशेषज्ञों की मानें को ज्यादातर मामलों में लिम्फोमा के कारण के बारे में पता नहीं चलता है. यह 60 साल से ज्यादा आयु के व्यक्तियों में देखा गया है. स्जोग्रेन सिंड्रोम, रुमेटीइड गठिया, सीलिएक रोग या ल्यूपस जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली में विकार के कारण अगर प्रतिरक्षा कमजोर हो गई है. यदि व्यक्ति हेपेटाइटिस सी, ह्यूमन हर्पिस वायरस 8 या एपस्टीन-बार जैसे वायरस से संक्रमित है. अगर आप लिम्फोमा वाले किसी व्यक्ति से संबंधित हैं. आप बेंजीन जैसे रसायनों के संपर्क में आए हैं. अगर नॉन-हॉजकिन या हॉजकिन लिम्फोमा के लिए पहले इलाज किया है. अगर आपकी उच्च बॉडी मास इंडेक्स है. कैंसर के लिए अगर आप पर रेडिएशन थेरेपी की गई है.

बता दें कि एक डॉक्टर बढ़े हुए लिम्फ नोड्स की जांच कर सकता है और लिम्फोमा के लक्षणों की तलाश करेगा. इसका आमतौर पर यह मतलब नहीं है कि ये कैंसर कोशिकाएं हैं. कैंसर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है

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Last Updated :Sep 15, 2023, 1:09 PM IST
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