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गर्भ में पल रहे बच्चों की बीमारी का जल्द पता लगाना जरूरी, अल्ट्रासाउंड को लेकर IGMC Shimla में देशभर के डॉक्टर कर रहे मंथन

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 29, 2023, 9:02 AM IST

Updated : Oct 29, 2023, 4:10 PM IST

Workshop on Unborn Babies Health Issues in IGMC Shimla
आईजीएमसी शिमला में अजन्मे शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर कार्यशाला

आईजीएमस शिमला में दो दिवसीय कार्यशाला में गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर चर्चा की गई. डॉक्टरों के अनुसार गर्भ में ही शिशु की बीमारियों या कमियों का पता चलना जरूरी है, ताकि समय पर इसका इलाज किया जा सके. (Workshop on Unborn Babies Health Issues in IGMC Shimla)

शिमला: हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी शिमला में नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. गर्भ के अंदर पल रहे बच्चे में किसी भी तरह की छोटी या बड़ी बीमारी तो नहीं विकसित हो रही या फिर बच्चे की ग्रोथ सही हो रही है या नहीं, इसका कैसे पता लगाया जा सकता है, इसे लेकर कार्यशाला में मंथन किया गया.

डॉक्टरों के अनुसार बच्चों की बीमारी का जितनी जल्दी पता चलेगा, उतना जल्दी ही उस बीमारी का इलाज हो सकता है. इसलिए गर्भवती महिला का समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाना बहुत जरूरी होता है. अल्ट्रासाउंड के जरिए बच्चे में आ रही कमी या बीमारी का जल्द पता लगाया जा सकता है, ताकि उसका समय पर इलाज किया जा सके. अगर भ्रूण असामान्य है तो उसकी जानकारी भी बच्चे के माता-पिता को दी जा सकती है. इसके अलावा भी बहुत सी बीमारियों की पहचान की जा सकती है. सुरक्षित प्रसव के लिए ये बेहद फायदेमंद रहेगा.

Workshop on Unborn Babies Health Issues in IGMC Shimla
गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड

डॉक्टर अनुपम झोबटा ने बताया कि इस कार्यशाला में इस बात पर चर्चा की गई की कैसे गर्भ में पल रहे बच्चे की अल्ट्रासाउंड से जांच करनी है. बच्चे में किसी प्रकार की कोई कमी है तो उसको समय रहते दूर किया जा सकता है. बच्चे की कमी व उसकी ग्रोथ को देखने के लिए ये जरूरी है. गर्भावस्था में प्रत्येक महिला का अल्ट्रासाउंड करना जरूरी होता है. इस कार्यशाला में यह बताया जाएगा कि कैसे दो तीन महीने में ही बच्चे की बीमारी का पता कर सकते हैं.

डॉक्टर विवेक कश्यप ने बताया कि अल्ट्रासाउंड के जरिए से हमें बच्चे की कमी के बारे में पता लगाना है. बच्चे में दो तरह की कमी, मेजर व माइनर होती है. अगर बच्चे में किसी प्रकार की माइनर कमी है तो उसको ठीक किया जा सकता है. हमारे पास आज बहुत सारी टेक्नोलॉजी है, जिससे इसका आसानी से पता किया जा सकता है.

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Last Updated :Oct 29, 2023, 4:10 PM IST
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