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हिमाचल की पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी, राजनीति में भी नारी शक्ति का दबदबा

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Published : Sep 20, 2022, 9:12 AM IST

Women power in Himachal politics
Women power in Himachal politics

(Himachal Assembly Election 2022 ) विधानसभा चुनाव को लेकर हचलच तेज है. हिमाचल की राजनीति में महिलाओं का कितना (Women power in Himachal politics) दबदबा रहा है. वर्तमान में महिला शक्ति प्रदेश की राजनीति की प्रथम पंक्ति में कहां (women in Himachal politics) खड़ी है. इस पर पढ़ें पूरी खबर...

शिमला : हिमाचल प्रदेश छोटा पहाड़ी राज्य है, लेकिन यहां राजनीतिक चेतना का विस्तार खूब हुआ है. ग्राम संसद में तो महिला शक्ति की रिकार्ड भागीदारी रही (Women power in Himachal politics) है. वहीं, चुनावी राजनीति में भी महिलाओं ने अपना दबदबा कायम किया है. हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं में तो महिलाओं की भागादारी 50 फीसदी से अधिक है. चुनावी राजनीति में भी हिमाचल की नारी शक्ति ने मजबूती से कदम बढ़ाए हैं. इस समय हिमाचल में विधानसभा चुनाव की हलचल (Himachal Assembly Election 2022 ) तेज हो रही है. ऐसे में राजनीति में महिलाओं के योगदान की चर्चा (women in Himachal politics) लाजमी है.

इस समय हिमाचल राजनीति में नारी शक्ति: मौजूदा विधानसभा में इस समय भाजपा की महिला विधायकों की बात की जाए तो उनमें सरवीण चौधरी, कमलेश कुमारी, रीता धीमान और रीना कश्यप का नाम शामिल है. सरवीण चौधरी कैबिनेट मंत्री हैं और कमलेश कुमारी डिप्टी चीफ व्हिप हैं. कांग्रेस की तरफ से आशा कुमारी सीनियर लीडर हैं. मौजूदा समय में मंडी लोकसभा सीट से कांग्रेस की प्रतिभा सिंह सांसद (Pratibha Singh Member of Parliament) हैं. वहीं, भाजपा की इंदु गोस्वामी राज्यसभा सांसद हैं. इसके अलावा प्रतिभा सिंह प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष भी हैं.

महिला प्रतिनिधियों की संख्या 50 फीसदी से अधिक: हिमाचल में पंचायती राज संस्थाओं में महिला प्रतिनिधियों की संख्या 50 फीसदी से अधिक है. राज्य में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 फीसदी सीटें रिजर्व हैं. हिमाचल के लिए ये खुशी की बात है कि यहां तय प्रतिशत से अधिक महिला प्रतिनिधि हैं. हिमाचल में 7 साल पहले की स्थिति देखें तो उस समय महिला प्रतिनिधियों पर पंचायती राज विभाग ने एक सर्वे किया था. सर्वे के अनुसार 50 फीसदी आरक्षण से आगे बढ़कर महिलाओं ने 8 फीसदी ओपन सीटों पर भी पुरुषों को टक्कर देते हुए जीत हासिल की थी. उस समय पंचायती राज विभाग ने राज्य की 3243 पंचायतों में से 3213 में सर्वे किया था. सर्वे में पाया गया कि पंचायत प्रधान के तौर पर महिलाओं की संख्या 1622 थी. इनमें से 278 महिला प्रधान उच्च शिक्षित थीं.

136 महिला प्रधान एमए डिग्री धारक पाई गई : कुल 136 महिला प्रधान एमए डिग्री धारक पाई गई और 146 ने ग्रेजुएशन की थी. इसके अलावा मैट्रिक पास महिला प्रधानों की संख्या 700 और बारहवीं पास महिलाओं की संख्या 152 थी. वहीं, 492 पंचायत प्रधान महिलाएं दसवीं से कम शिक्षा प्राप्त करने वाली पाई गई. पिछले साल हुए पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में भी महिलाओं ने 50 फीसदी से अधिक सीटों पर जीत हासिल की.

चुनावी राजनीति में भी सफल हैं महिलाएं: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की कद्दावर नेता विद्या स्टोक्स किसी समय सीएम पद की मजबूत दावेदार थी. ये अलग बात है कि वे सीएम नहीं बन पाई, लेकिन वीरभद्र सिंह सरकार में नंबर दो की ताकतवर कैबिनेट मंत्री रहीं. इसी तरह कांग्रेस में विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, आशा कुमारी का नाम प्रथम पंक्ति में है. वैसे हिमाचल प्रदेश और राज्यसभा का नाता 1956 से आरंभ होता है.

पहली राज्यसभा सांसद लीला देवी: हिमाचल से राज्यसभा में पहली बार सांसद के रूप में महिला ने ही उपस्थिति दर्ज की थी. प्रथम बार राज्यसभा सांसद होने का गौरव लीला देवी को मिला (Lili Devi first Himachal Rajya Sabha MP) था. लीला देवी कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर राज्यसभा पहुंची थीं. लीला देवी अप्रैल 1956 से अप्रैल 1962 तक राज्यसभा सांसद रहीं. वहीं, कांग्रेस नेत्री विप्लव ठाकुर दो बार राज्यसभा सांसद चुनी गई. ये भी दिलचस्प बात है कि विपल्व ठाकुर का कार्यकाल पूरा होने के बाद उनकी जगह भी महिला नेत्री ने भरी. इंदु गोस्वामी भाजपा प्रत्याशी के (Rajya Sabha MP Indu Goswami) तौर पर राज्यसभा के लिए चुनी गई.

राज्या सभा ये भी पहुंचीं: हिमाचल से राज्यसभा में जाने वाली महिला राजनेताओं में लीला देवी के अलावा सत्यावती डांग, मोहिंद्र कौर, उषा मल्होत्रा, चंद्रेश कुमारी कुमारी, बिमला कश्यप सूद का नाम शामिल है. सत्यावती डांग 1968 से 1974 के बीच राज्यसभा सांसद रहीं. वे कांग्रेस पार्टी से जुड़ी थीं. इसके अलावा कांग्रेस नेता और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर कौर की माता मोहिंद्र कौर भाजपा से राज्यसभा सांसद रहीं. उनका कार्यकाल 1978 से 1984 तक रहा. वे एक बार 1964 से 1970 के बीच पंजाब से भी सांसद चुनी गई थीं. इसी तरह 1980 से 1986 के समय अंतराल में उषा मल्होत्रा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद बनी. विप्लव ठाकुर दो बार राज्यसभा के लिए चुनी गई.

धूमल सरकार के समय 6 महिला विधायक: बिमला कश्यप सूद 2010 से 2016 के बीच राज्यसभा की सांसद रही. यदि हिमाचल विधानसभा में महिला विधायकों के लिहाज से वर्ष 1998 सबसे बेहतर रहा है. उस समय कुल 6 महिला विधायक पहुंची थीं. तब विद्या स्टोक्स, विप्लव ठाकुर, आशा कुमारी कांग्रेस तथा सरवीण चौधरी व उर्मिल ठाकुर के बाद उप चुनाव में भाजपा की ही निर्मला देवी विधायक रही. इस तरह पहली धूमल सरकार के समय 6 महिला विधायक प्रदेश विधान सभा में थी.

1972 में विधानसभा में महिला शक्ति: साल 1972 में भी विधान सभा में पदमा, सरला शर्मा, चंद्रेश कुमारी, लता ठाकुर और उनके बाद उप चुनाव में जीत हासिल कर विद्या स्टोक्स विधान सभा पहुंची थीं. हिमाचल में 6 महिला विधायक मंत्री रह चुकी हैं. विद्या स्टोक्स, आशा कुमारी, विप्लव ठाकुर, चंद्रेश कुमारी, सरला शर्मा कांग्रेस सरकारों में मंत्री रहीं. वहीं, भाजपा में ये मौका सरवीण चौधरी को मिला. सरवीण दूसरी बार मंत्री बनी है. प्रतिभा सिंह दो बार सांसद बनी हैं.

मतदान में भी महिलाओं का नाम टॉप पर: बेशक चुनावी राजनीति में महिलाओं को राजनीतिक दल बेहतर अनुपात में टिकट नहीं दे रहे, लेकिन महिलाएं सरकार चुनने में वोटिंग के तौर पर योगदान देने में सबसे आगे हैं. वर्ष 2017 के चुनाव में महिला मतदाताओं का प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 6 फीसदी अधिक रहा (Women top in Himachal in voting) था. तेरहवीं विधानसभा के लिए हुए मतदान में कुल 50 लाख से अधिक मतदाताओं में से 37 लाख, 21 हजार, 665 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

इनमें 18 लाख, 11 हजार, 061 पुरुष मतदाता और 19 लाख, 10 हजार, 582 महिला मतदाता शामिल थीं. महिलाओं का मतदान प्रतिशत 77.76 रहा था और ये पुरुषों के 71.55 से 6 फीसदी अधिक रहा. इससे पहले वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में 46 लाख से कुछ अधिक मतदाताओं में से 33 लाख 87 हजार ने मताधिकार का प्रयोग किया था. इनमें 17 लाख 2953 महिला व 16 लाख 46 हजार,899 पुरुष मतदाता शामिल रहे. 2007 के चुनाव में भी 32 लाख, 97 हजार, 252 मतदाताओं ने वोट किया था. इनमें भी महिलाओं की संख्या 16 लाख, 78 हजार से अधिक तथा पुरुष मतदाताओं की संख्या 15 लाख, 97 हजार से कुछ अधिक थी.

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