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नई सरकार क्यों पलटती है पुरानी सरकार के फैसले ? जयराम के बाद सुक्खू सरकार में भी जारी रिवाज

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Published : Dec 24, 2022, 2:36 PM IST

हिमाचल में कांग्रेस सरकार को बने 2 हफ्ते भी नहीं हुए हैं. पहली कैबिनेट से पहले ही सरकार ने जो सबसे बड़ा फैसला लिया उसपर बीजेपी सवाल उठा रही है. दरअसल नई कांग्रेस सरकार ने पुरानी बीजेपी सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2022 के बाद लिए फैसलों का रिव्यू करने का फैसला लिया और इस दौरान नए या अपग्रेड हुए संस्थानों को डिनोटिफाई कर दिया है. सवाल है कि सरकारें ऐसा क्यों करती हैं? जानने के लिए पढ़े पूरी ख़बर (Sukhu Govt denotified more than 500 institutions) (denotification of institutions in HP)

सुखविंदर सुक्खू बनाम जयराम ठाकुर
सुखविंदर सुक्खू बनाम जयराम ठाकुर

शिमला: हिमाचल में हर 5 साल में सत्ता बदलने के रिवाज के साथ एक और रिवाज जारी है. ये रिवाज है पिछली सरकार के फैसले बदलने का रिवाज. जो पिछली सरकार की तरह इस सरकार में भी जारी है. सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने राज्य में 500 के करीब संस्थानों को बंद कर दिया है, ये वो संस्थान हैं जो कि पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल में खोले गए थे. जयराम सरकार के आखिरी 9 महीनों के फैसलो का रिव्यू किया जा रहा है जिसके तहत विभिन्न विभागों के नए दफ्तर खुलने और अपग्रेड करने के फैसले को पलट दिया गया है. (Sukhu Govt denotified more than 500 institutions) (denotification of institutions in HP)

रिवाज बन गया है फैसले पलटना ?- सरकार के इस फैसले के बाद सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी नेता कांग्रेस सरकार पर बदले की भावना का आरोप लगा रहे हैं. तो कांग्रेस के मुताबिक पूर्व की जयराम सरकार ने ये फैसले सिर्फ चुनाव को देखते हुए लिए थे. हिमाचल में सुक्खू सरकार का फैसला बीजेपी को रास नहीं आ रहा है लेकिन 5 साल पहले जब बीजेपी की सरकार हिमाचल में बनी तो जयराम ठाकुर सरकार ने भी पूर्व की वीरभद्र सरकार के आखिरी 6 महीनों का रिव्यू किया और उस वक्त कांग्रेस ने इसका विरोध किया था. अब टेबल घूम गई है और सत्ता में कांग्रेस है जिसने जयराम सरकार के फैसलों की समीक्षा के आदेश दिए हैं और बीजेपी विपक्ष में है, जो बदले की भावना से काम करने का आरोप लगा रही है. ऐसे में ये सवाल है कि क्या फैसले पलटना भी हिमाचल में रिवाज बन गया है ? आखिर नई सरकार पुरानी सरकार के फैसलों को क्यों पलटती है ? क्या सरकारें ऐसा कर सकती हैं ? अगर सरकारें फैसले पलटती रही तो फिर जनसरोकार की नीतियों का क्या होगा ? (Sukhu govt vs Jairam Govt) (Cong vs BJP on Denotification of institutions) (CM Sukhu orders review of BJP govt decisions)

हिमाचल में रिवाज बन रहा फैसले पलटना ?
हिमाचल में रिवाज बन रहा फैसले पलटना ?

राजनीतिक फैसले पलटने के लिए सरकार स्वतंत्र- चुनावी साल में सरकारों की बंपर घोषणाएं एक रिवाज रहा है. चुनाव में जनता को लुभाने के लिए सरकारें ऐसी घोषणाएं करती है. वैसे तो कोई भी संस्थान खोलना और बंद करना सरकार का अपना नीतिगत फैसला होता है. मगर जब कोई भी संस्थान बिना किसी प्रस्ताव, तैयारी, स्टाफ और बजट के खोले जाएं. तो यह राजनीतिक फैसला बन जाता है. हिमाचल में सरकारें संस्थान खोलते समय इसके लिए जरूरी मापदंडों और अन्य प्रक्रियाओं को नहीं अपनाती. यह अब तक की सरकारों में होता रहा है. हिमाचल में जिन संस्थानों को इन दिनों बंद किया जा रहा है उसके लिए इन सभी प्रक्रियाओं का कोई पालन नहीं किया गया. साफ है कि बिना किसी नियमों, मानदंड और प्रक्रिया के पूर्व सरकार ने संस्थान खोले थे. यही वजह है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार ने इन फैसलों को आते ही पलट दिया है.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट- विभिन्न सरकारों में अहम पदों पर काम कर चुके आईएएस अधिकारी जेएम पठानिया कहते हैं कि कोई भी संस्थान खोलने से पहले कई प्रक्रियाओं से गुजरना होता है. इसके लिए पहले फिजिबिल्टी देखी जाती है, मसलन स्कूल खोलने के लिए वहां पर कितने बच्चे हैं, इसकी जरूरत क्या है, इसके लिए जगह कहां है, इसके लिए कितना पैसा उपलब्ध है. इसका पूरा प्रस्ताव सबंधित विभाग तैयार करता है और फिर कैबिनेट में प्रस्ताव को ले जाया जाता है. कैबिनेट इस प्रस्ताव पर संस्थान को खोलने की मंजूरी देती है. लेकिन हिमाचल में खोले गए संस्थानों को खोलने के लिए उल्टी प्रक्रिया अपनाई गई. पहले घोषणाएं कीं, फिर सीधे कैबिनेट में ले गए और फिर विभाग को आदेश दिए गए. इस तरह बिना जरूरी प्रक्रिया के खोले गए संस्थानों के फैसले राजनीतिक हैं और कोई भी सरकार इस तरह के फैसलों को पलट सकती है. यही मौजूदा सरकार ने किया है.

कई सरकारों के साथ काम कर चुके रियायर्ड IAS जेएम पठानिया
कई सरकारों के साथ काम कर चुके रियायर्ड IAS जेएम पठानिया

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मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा कि पिछली सरकार और उनके मुख्यमंत्री ने साढे चार साल तक कुछ काम नहीं किया. इसका खामियाजा उन्हें पहले उपचुनाव में चारों सीटें हारकर भुगतना पड़ा था. इसके बाद बीजेपी सरकार ने बिना बजट प्रावधान, स्टाफ या इंफ्रास्ट्रक्टर के 900 से ज्यादा संस्थानों की घोषणा कर दी. कांग्रेस सरकार इनका रिव्यू कर रही है. हिमाचल सरकार पिछली सरकार के गलत फैसलों को आगे नहीं बढ़ाएगी क्योंकि इससे प्रदेश की जनता और खजाने पर बेवजह का बोझ बढ़ेगा. लेकिन मैरिट के आधार पर जिन संस्थानों को फिर से नोटिफाई करने की जरूरत होगी उन्हें किया जाएगा. नरेश चौहान ने कहा कि जयराम सरकार द्वारा अप्रैल माह बाद लिए गए कुछ फैसले अभी भी जारी हैं उन्हें डिनोटिफाई नहीं किया गया है क्योंकि वे जरूरी हैं.

पहले भी सरकारें ऐसे फैसले पलटती रही हैं- जेएम पठानिया कहते हैं कि 2017 में जब जयराम सरकार बनी थी तो तब भी सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के फैसलों का रिव्यू किया था. अब सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने भी यह फैसला किया है. उन्होंने कहा कि सरकार को अब मौजूदा सरकार को देखना होगा कि इस तरह के फैसले भविष्य में न किए जाएं. अन्यथा संस्थानों को खोलने और बाद में इनको बंद करने की पंरपरा जारी रहेगी.

500 से ज्यादा संस्थान डिनोटिफाई कर चुकी है सुक्खू सरकार- हिमाचल की सुखविंदर सिंह सरकार ने पूर्व सरकार के समय में 1 अप्रैल 2022 के बाद खोले गए संस्थानों को बंद करने का बड़ा फैसला लिया है. इसके बाद सभी विभाग इन संस्थानों को बंद कर रहे हैं. 574 संस्थान तो ऐसे हैं जिनकी वित्त विभाग के पास अनुमति नहीं है. इन सभी को विभिन्न विभाग डिनोटिफाई कर रहे हैं. अब तक स्वास्थ्य विभाग के तहत करीब 180 संस्थान बंद किए हैं. राजस्व विभाग के तहत 115 दफ्तर बंद किए गए हैं, जिनमें 81 पटवार सर्कल, 9 कानून गो सर्कल, 3 तहसीलें, 21 उपहसीलें, एक सैटलमेंट सर्कल शामिल हैं. पशुपालन विभाग के तहत 60 संस्थान और आर्युवैदिक विभाग के तहत 43 संस्थान डिनोटीफाई किए गए हैं. तकनीकी शिक्षा के तहत 20 संस्थान जिसमें 14 आईटीआई और 6 बहुतकनीकी संस्थान शामिल हैं, बंद किए गए हैं. इसी तरह बिजली बोर्ड के तहत 32 दफ्तर, पीडब्ल्यूडी के तहत 30 दफ्तर, 12 सब्जी मंडिया और वन विभाग का एक डिवीजन भी डिनोटिफाई किया गया है. कुछ फैसलों का रिव्यू किया जा रहा है.

कांग्रेस के मुताबिक वोट पाने के लिए खोले गए दफ्तर- कांग्रेस अपनी सरकार के फैसले का समर्थन कर रही है. कांग्रेस ने पूर्व की जयराम सरकार पर आरोप लगाया है कि वित्त विभाग के न करने पर भी बिना बजट, स्टाफ, नियमों के राज्य में सैंकड़ों संस्थान खोल दिए गए. मुख्यमंत्री के प्रधान मीडिया सलाहकार नरेश चौहान ने कहा है कि साढ़े चार साल तक पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने कुछ नहीं किया और आखिरी में चुनाव आते देख वोटों की राजनीति करते हुए धड़ाधड़ संस्थान खोल डाले और पहले से कर्ज के बोझ में डूबे हिमाचल पर आर्थिक बोझ डालने का काम किया. वित्त विभाग को इन संस्थानों को खोलने के लिए इंकार किया था. वित्त विभाग ने इनके लिए बजट न होने का हवाला दिया था. मगर जयराम ठाकुर ने वित्त विभाग की परवाह किए बगैर केवल सत्ता में आने के लिए सैकड़ों संस्थान खोल डाले. उन्होंने कहा कि जिन संस्थानों की लोगों को जरूरत होगी, उनको कांग्रेस सरकार फिर से भी खोलेगी.

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