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Children's Day Special: म्यूजिक की दुनिया में 7 साल की उम्र में कर डाले 27 स्टेज शो

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Published : Nov 14, 2019, 11:37 AM IST

Children's Day Special: द्रोण को देश के सबसे बड़े पुरस्कार इंडियन आइकॉन के साथ ही इंडिया स्टार प्राउड-2019 अवार्ड से भी नवाजा जा चुका हैं. द्रोण प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सरक्षण के लिए गुजरात से चलने वाले तिरंगा कैम्पेन से भी जुड़े हैं.

नन्हा कलाकार द्रोण चंदेल

शिमला: कहते हैं प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज नहीं होती. यही वजह है कि बड़े-बड़े कलाकारों की प्रतिभा को जहां वर्षों बाद भी मंच नहीं मिल पाता तो, वहीं शिमला का एक नन्हा कलाकार (A young artist from shimla) ऐसा भी है जो महज 7 साल की उम्र में ही 27 स्टेज शो कर चुका है.

नन्हें कलाकार द्रोण चंदेल (Drona Chandel) की प्रतिभा ही है कि नन्हीं सी उम्र में जहां बच्चों को वाद्य यंत्रों और संगीत की पहचान भी नहीं होती उस उम्र ने द्रोण ना केवल इस कला को समझ पा रहा है, बल्कि ऐसे-ऐसे वाद्य यंत्र बजा भी रहा है जिन्हें बजाना बड़े-बड़े लोगों के लिए भी टेढ़ी खीर साबित होता है.

वीडियो.

अपने इसी हुनर के चलते द्रोण चंदेल स्टेज पर भी प्रस्तुतियां दे कर हिमाचल के सबसे कम उम्र के पहले ड्रमर का खिताब भी अपने नाम कर चुका है. शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल में क्लास सेकेंड सी में पढ़ने वाले 7 साल के बाल कलाकार द्रोण ने चार साल की छोटी सी उम्र से ड्रम (Drum) बजाना शुरू किया था जिसके बाद ना तो उनका अपने इस शौक के प्रति मन भरा और ना वह रुका.

ड्रम बजाने के हुनर के दम पर आज द्रोण ना केवल प्रदेश बल्कि देश भर में नाम कमा चुका है. प्रदेश सहित बाहर के राज्यों में भी अपनी इस कला का प्रदर्शन स्टेज शो कर द्रोण दे चुका है. द्रोण जहां ड्रम बीटिंग (Drum beating) में तो नाम कमा ही चुका है, वहीं कैसियो प्लेइंग और सिंगिंग में भी छोटी सी उम्र में मुकाम हासिल किया है.

द्रोण को देश के सबसे बड़े पुरस्कार इंडियन आइकॉन के साथ ही इंडिया स्टार प्राउड-2019 अवार्ड से भी नवाजा जा चुका हैं. द्रोण प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सरक्षण के लिए गुजरात से चलने वाले तिरंगा कैम्पेन से भी जुड़े हैं. इसके अलावा रोहित ग्रोवर की निर्देशित फिल्म गूगल में लीड रोल निभाने के साथ ही सनी शर्मा की सॉन्ग एलबम राज में भी अभिनय कर चुके हैं.

द्रोण ने ईटीवी भारत (ETV BHARAT) से बातचीत में बताया कि जस्टिन बीबर (Justin Biber) को अपना आइडल मानते हैं, जस्टिस बीबर वैसे तो एक सिंगर (Singer) हैं, लेकिन उन्हें गाने के साथ सभी इंस्ट्रूमेंट में बजाने आते हैं और उन्हीं की तरह वह भी सभी म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स (Music instruments) के साथ सभी तरह के गीत और साउंड्स को सीखना चाहते हैं, जिसके लिए वह ट्रेनिंग ले रहे हैं. यह द्रोण की प्रतिभा ही है कि अभी से उन्हें टीवी सीरियल और विज्ञापनों में अभिनय के कई ऑफर मिल रहे हैं, लेकिन बच्चे की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए अभिभावक इन्हें दरकिनार कर रहे हैं.

द्रोण के पिता धर्मेंद्र चंदेल एक बागवान (Gardener) हैं और वे अपने बेटे द्रोण की संगीत और वाद्ययंत्रों (Instruments) के प्रति उसके जनून को जानते हैं. यही वजह है कि जब उन्होंने 4 साल की छोटी सी उम्र में द्रोण को दो स्टिक्स को पकड़ कर अक्सर बजाते हुए देखा तो वह उसके लिए ड्रम लाए और आज उनका बेटा ड्रम बीटिंग में एक अलग ही मुकाम पर है. धर्मेंद्र चंदेल ने बताया कि बेटे की प्रतिभा को देखते हुए फिल्मों, टीवी और विज्ञापनों के बहुत से ऑफर द्रोण के लिए आ रहे हैं.

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Intro:कहते है प्रतिभा किसी परिचय की मोहताज़ नहीं होती यही वजह है कि बड़े बड़े कलाकारों की प्रतिभा को जहां वर्षों बाद भी मंच नहीं मिल पाता है शिमला का एक नन्हा कलाकार ऐसा भी है जो महज 7 साल की उम्र में ही 27 स्टेज शो कर चुका है। यह नन्हे कलाकार द्रोण चंदेल की प्रतिभा ही है कि नन्हीं सी उम्र में जहां बच्चों को वाद्य यंत्रों ओर संगीत की पहचान भी नहीं होती उस उम्र ने द्रोण ना केवल इस कला को समझ पा रहा है बल्कि ऐसे-ऐसे वाद्य यंत्र बजा भी रहा है जिन्हें बजाना बड़े बड़े लोगों के लिए भी टेडी खीर साबित होता है। अपने इसी हुनर के चलते द्रोण चंदेल स्टेज पर भी प्रस्तुतियां दे कर हिमाचल के सबसे कम उम्र के पहले ड्रमर का ख़िताब भी अपने नाम कर चुका है।


Body:शिमला के सेंट एडवर्ड्स स्कूल में क्लास सेकंड सी में पढ़ने वाले 7 साल के बाल कलाकार द्रोण ने चार साल की छोटी सी उम्र से ड्रम बजाना शुरू किया था जिसके बाद ना तो उनका अपने इस शौक के प्रति मन भरा ओर ना वह रुका। ड्रम बजाने के हुनर के दम पर आज द्रोण ना केवल प्रदेश बल्कि देश भर में नाम कमा चुका है। प्रदेश सहित बाहर के राज्यों में भी अपनी इस कला का प्रदर्शन स्टेज शो कर द्रोण दे चुका है। द्रोण जहां ड्रम बीटिंग में तो नाम कमा ही चुका है वहीं कैसियो प्लेइंग ओर सिंगिंग में भी छोटी सी उम्र में मुकाम हासिल किया है। यही वजह है कि द्रोण को देश के सबसे बड़े पुरस्कार इंडियन आइकॉन के साथ ही इंडिया स्टार प्राउड-2019 अवार्ड से भी नवाजा जा चुका हैं। द्रोण प्रदूषण नियंत्रण और पर्यावरण सरक्षण के लिए गुजरात से चलने वाले तिरंगा कैम्पेन से भी जुड़े है। इसके अलावा रोहित ग्रोवर की निर्देशित फिल्म गूगल में लीड रोल निभाने के साथ ही सनी शर्मा की सांग एलबम राज में भी अभिनय कर चुके है। द्रोण ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि जस्टिन बीबर को अपना आइडल मानते है, जस्टिस बीबर वैसे तो एक सिंगर है लेकिन उन्हें गाने के साथ सभी इंस्टूमेंट में बजाने आते है ओर उन्ही की तरह वह भी सभी म्यूजिक इंस्टूमेंट्स के साथ सभी तरह के गीत और साउंड्स को सीखना चाहता है,जिसके लिए वह ट्रेनिंग ले रहे है। यह द्रोण की प्रतिभा ही है कि अभी से उन्हें टीवी सीरियल ओर विज्ञापनों में अभिनय के क़ई ऑफर मिल रहे है लेकिन बच्चें की पढ़ाई बाधित ना हो इसके लिए अभिभावक इन्हें दरकिनार कर रहे है।


Conclusion:द्रोण जहां इंस्टूमेंट्स बजाने ओर सिंगिंग,एक्टिंग में आगे है वहीं पढ़ाई को भी उतना ही महत्वपूर्ण मानता है। यह पूछने पर की वह बड़े हो कर क्या बनना चाहता है तो एक नहीं जवाब अनेक मिलते है जिसमें सिंगर, एक्टर ओर डीसी शामिल है। द्रोण की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए एक पूरा टाइम टेबल बना है जिससे अनुसार ही वह पढ़ाई को समय देने के साथ ही ड्रम ओर कैसियो बजाने के अलावा सिंगिंग ओर एक्टिंग भी करते है। यूट्यूब ओर फेसबुक पर भी द्रोण की परफॉर्मेंस से जुड़े वीडियो और एक्टिंग से जुड़े वीडियो देखने को मिलते है जिन्हें काफी सराहा भी जाता है। वहीं दूसरे बच्चों को भी द्रोण यही संदेश देता है कि दूसरे की देखादेखी में कुछ ना कर वह किया जाए जो उन्हें करना अच्छा लगता है ओर अभिभावक भी अपने बच्चों को इस तरह की गतिविधियों में आगे आने दे जिससे कि बच्चें जिस फील्ड में वह बेहतर कर सकते है कर सकें।

बॉक्स:

द्रोण के पिता धर्मेंद्र चंदेल एक बागवान है ओर वह अपने बेटे द्रोण की संगीत और वाद्ययंत्रों के प्रति उसके जनून को जानते है यही वजह है कि जब उन्होंने 4 साल की छोटी सी उम्र में द्रोण को दो स्टिक्स को पकड़ कर अक्सर बजाते हुए देखा तो वह उसके लिए ड्रम लाए ओर आज उनका बेटा ड्रम बीटिंग में एक अलग ही मुकाम पर है। धर्मेंद्र चंदेल ने बताया कि बेटे की प्रतिभा को देखते हुए फ़िल्मो, टीवी और विज्ञापनों के बहुत से ऑफर द्रोण के लिए आ रहे है लेकिन वह चाहते है कि उसकी पढ़ाई प्रभावित ना हो। इसके साथ ही उनका कहना है कि पढ़ाई की अपनी एक अलग महत्वत्ता है लेकिन अभिभावकों को अपनी बच्चों की प्रतिभा को समझना चाहिए और उन्हें उस दिशा में आगे बढ़ने में मदद करनी चाहिए।
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