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3 महीने बाद हिमाचल में सिंगल यूज प्लास्टिक पर लगेगा पूर्ण प्रतिबंध, अधिसूचना जारी

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Published : Oct 26, 2019, 11:39 PM IST

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प्रदेश सरकार ने हिमाचल में तीन महीने बाद सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया है. तय तिथि के बाद अगर कोई सिंगल यूज प्लास्टिक प्रयोग करता हुआ या बेचता हुआ पाया गया तो 25000 रुपये तक के जुर्माने का प्रवाधान रखा गया है.

शिमला: हिमाचल को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करने के लिए सिंगल यूज प्लास्टिक पर तीन महीन बाद पुर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाएगा. इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है.सरकार ने प्रदेश में थर्मोकोल से बने कप, प्लेट, ग्लास और चम्मच पर रोक लगा दी है. तय तिथि के बाद अगर कोई सिंगल यूज प्लास्टिक प्रयोग करता हुआ या बेचता हुआ पाया गया तो 25000 रुपये तक के जुर्माने का प्रवाधान रखा गया है.

देशभर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की मुहीम शुरू हो गई है, जिसके तहत हिमाचल में भी प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट के साथ ही प्लास्टिक की छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ चुनिंदा प्रकार के सैशे बंद किए जा सकता हैं. बैन सिर्फ इस्तेमाल में होने वाली चीजों पर ही नहीं बल्कि ऐसी चीजों की मैन्युफैक्चरिंग और इंपोर्ट पर भी लगाया जाएगा. वहीं, सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने से व्यापार पर भी इसका खासा असर पड़ने वाला है. बता दें कि सिंगल-यूज प्लास्टिक उस प्लास्टिक को कहते हैं, जिसका केवल एक बार ही इस्‍तेमाल किया जाता है.

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रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्‍लास्टिक के प्रोडक्‍ट हैं, जिसे हम एक बार इस्‍तेमाल कर फेंक देते हैं. इस तरह की प्‍लास्टिक को सिंगल यूज प्‍लास्टिक कहा जाता है, जिसे डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है. सिंगल यूज प्‍लास्टिक प्रोडक्‍ट की बात करें तो इसमें प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकेजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी के डिस्पोजेबल कप्स शामिल हैं.

बता दें कि प्लास्टिक के प्रदूषण के असर से कोई अछूता नहीं है, जो प्‍लास्टिक प्रयोग करने के बाद फेंक दिया जाता है वो मिट्टी और पानी दोनों को प्रदूषित करता है. इस वजह से जीवों के अलावा हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचता है. प्‍लास्टिक से कई तरह की बीमारियां फैलती हैं.

यही वजह है कि दुनियाभर के देश इसको लेकर कठोर नीति बना रहे हैं. यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 तक सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम का उपयोग पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य तय किया है. वहीं, चीन के कॉमर्शियल हब शंघाई ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर साल 2025 तक पूर्ण प्रतिबंध का लक्ष्य रखा है.

Intro:Body:शिमला. हिमाचल को प्लास्टिक कचरे से मुक्त करान की मुहीम आगे बढ़ाते हुए प्रदेश सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर 3 महीन बाद पुर्ण प्रतिबंध का फ़ेसल लिया है। इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। सरकार ने प्रदेश में थर्मोकोल से बने कप, प्लेट, ग्लास और चम्मच इत्यादी पर भी रोक लगा दी है. तय तिथि के बाद अगर कोई सिंगल यूज़ प्लास्टिक प्रयोग क्रता या बेचता पाया तो 25000 रुपए तक के जुर्मने का प्रअवधान रखा ह।

अब देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक को बैन करने की मुहीम शुरू हो चुकि है जिसके तहत हिमाचल में भी प्लास्टिक बैग, कप, प्लेट के साथ ही प्लास्टिक छोटी बोतलें, स्ट्रॉ और कुछ चुनिंदा प्रकार के सैशे बंद किया जा सकता है. बैन सिर्फ इस्तेमाल में होने वाली चीजों पर ही नहीं बल्कि ऐसी चीजों की मन्युफैक्चरिंग और इंपोर्ट को भी बंद किया जाएगा. लेकिन सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने से व्यापार पर इसका खासा असर पड़ने वाला है.


सिंगल-यूज प्लास्टिक उसे कहते हैं जिसका हम एक बार ही इस्‍तेमाल करते हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम ऐसे प्‍लास्टिक के प्रोडक्‍ट हैं जिसे हम एक बार इस्‍तेमाल कर फेंक देते हैं. इसी तरह के प्‍लास्टिक को सिंगल यूज प्‍लास्टिक कहा जाता है. इसे डिस्पोजेबल प्‍लास्टिक के नाम से भी जाना जाता है. सिंगल यूज प्‍लास्टिक प्रोडक्‍ट की बात करें तो इसमें- प्लास्टिक बैग, प्लास्टिक की बोतलें, स्ट्रॉ, कप, प्लेट्स, फूड पैकजिंग में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक, गिफ्ट रैपर्स और कॉफी के डिस्पोजेबल कप्स आदि शामिल हैं.

प्‍लास्टिक के प्रदूषण के असर से कोई अछूता नहीं है. जो प्‍लास्टिक फेंक दिया जाता है वो मिट्टी और पानी दोनों को प्रदूषित करता है. इस वजह से जीवों के अलावा हमारे शरीर को भी नुकसान पहुंचता है. प्‍लास्टिक कई बीमारियों की जड़ भी बन चुका है. यही वजह है कि दुनियाभर के देश इसको लेकर कठोर रणनीति बना रहे हैं. यूरोपियन यूनियन ने साल 2021 तक सिंगल यूज प्लास्टिक आइटम का उपयोग पूरी तरह बंद करने का लक्ष्य तय किया है. वहीं चीन के कॉमर्शियल हब शंघाई ने सिंगल यूज प्लास्टिक पर साल 2025 तक पूर्ण प्रतिबंध का लक्ष्य तय किया है.Conclusion:
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