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हिमाचल में जुर्म है शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन, यूपी-हरियाणा भी इसी राह पर

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Published : Nov 2, 2020, 10:52 AM IST

Updated : Nov 2, 2020, 10:58 AM IST

निकिता हत्याकांड के बाद हरियाणा सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में है. सीएम जयराम ठाकुर ने विधानसभा के मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019-सदन में लाया था. विधानसभा में चर्चा के बाद सदन में इस विधेयक को पारित कर दिया गया था. धर्मांतरण के खिलाफ सबसे पहले बिल वीरभद्र सिंह की सरकार के समय में लाया गया था. धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल होगी.

विधानसभा के मानसून सत्र में सीएम
विधानसभा के मानसून सत्र में सीएम

शिमला: निकिता हत्याकांड के बाद हरियाणा सरकार लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी राज्य में लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने की घोषणा कर चुके हैं. दरअसल शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि महज शादी के लिए धर्म परिवर्तन वैध नहीं है.

यूपी के सीएम ने किया ऐलान

इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में नया कानून लाने का ऐलान किया. कुछ ही इसी तरह का प्रयास हरियाणा सरकार ने भी कर दिया है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में जबरन धर्मांतरण और शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना पहले से ही अपराध है. आरोपी को सात साल तक की सजा का प्रावधान है. सीएम जयराम ठाकुर ने विधानसभा के मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019-सदन में लाया था. विधानसभा में चर्चा के बाद सदन में इस विधेयक को पारित कर दिया गया था.

धर्मांतरण के खिलाफ बिल

बता दें कि धर्मांतरण के खिलाफ सबसे पहले बिल वीरभद्र सिंह की सरकार के समय में लाया गया था. जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने नया बिल लाकर इसे सख्त कानून बनाया. हालांकि मानसून सत्र के दौरान चर्चा के वक्त विपक्षी दल कांग्रेस का कहना था कि नया बिल लाने की जरूरत नहीं थी और पुराने बिल में ही संशोधन करना चाहिए था.

बिल में थे 8 सेक्शन

इस पर सत्ता पक्ष ने तर्क दिया कि तत्कालीन वीरभद्र सिंह की सरकार के समय लाए गए बिल में केवल 8 सेक्शन थे. मौजूदा समय में इसमें दस संशोधन करने पड़ रहे थे. इस प्रकार मूल बिल के आठ सेक्शन में ही यदि दस संशोधन हो जाते तो संशोधन ही बिल से अधिक होने थे. ऐसे में नए बिल की जरूरत थी. बाद में विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया था.

ये हैं बिल के प्रावधान

धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल होगी. ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. कानून में इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है. इससे अब सरकार के पास धर्म परिवर्तन करवाने में शामिल सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ और अन्य संगठनों पर भी सीधी कार्रवाई का अधिकार होगा. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना, लालच देकर धर्मांतरण करवाना भी अपराध होगा.

वीरभद्र सिंह की सरकार ने लाया था बिल

उल्लेखनीय है कि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने वर्ष 2006 में ये बिल लाया था. विधानसभा के मानसून सत्र में लाए गए बिल पर चर्चा के जवाब में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा था कि सबसे पहले वीरभद्र सिंह के कार्यकाल में ये कानून बना. अब नए और प्रभावी कानून की जरूरत महसूस की जा रही थी. देश के 8 अन्य राज्य भी ऐसा कानून बना चुके हैं. सीएम ने कहा कि रामपुर, किन्नौर से लेकर प्रदेश के अन्य भागों में जबरन व लालच देकर धर्मांतरण करवाया जा रहा था. उन्होंने कहा कि गरीब की कोई जाति नहीं होती. गरीब लोगों को पैसे का लालच देकर बरगलाया जाता है और धर्म परिवर्तन करवाया जाता है.

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Last Updated : Nov 2, 2020, 10:58 AM IST
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