शिमला: हिमाचल सरकार प्रदेश में जल्द नई ऊर्जा नीति तैयार करेगी, ये बात मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग की बैठक में कही. सीएम ने कहा कि सरकार इसमें बड़ा बदलाव करने जा रही है. नई ऊर्जा नीति में मुफ्त बिजली रायल्टी में समय सीमा की छूट का प्रावधान पूरी तरह से खत्म किया जाएगा और पूर्व में दी गई छूट के प्रावधान पूरी तरह से समाप्त करने पर भी सरकार विचार करेगी. नई नीति के तहत राज्य सरकार को पहले 12 वर्ष तक 15 फीसदी रायल्टी, अगले 18 वर्ष तक 20 फीसदी और इससे अगले 10 वर्ष तक 30 फीसदी हिस्सा देने का प्रावधान होगा. हिमाचल प्रदेश में अभी तक 12 सालों के लिए 12 फीसदी रायल्टी, अगले 18 सालो के लिए 18 फीसदी रायल्टी और इससे अगले 10 सालों के लिए 30 रायल्टी फीसदी का प्रावधान है.
'हिमाचल की नई ऊर्जा नीति जल्द': मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने ऊर्जा विभाग की बैठक में हिमाचल की नई ऊर्जा नीति सहित अन्य विषयों पर चर्चा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार विभिन्न जलविद्युत परियोजनाओं में हिमाचल प्रदेश की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए नई ऊर्जा नीति बनाने पर विचार कर रही है. उन्होंने कहा कि जिन परियोजनाओं की लागत वसूल हो गई है, उनमें राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे और इसके लिए केंद्र सरकार और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों से पत्राचार किया जाएगा. सीएम ने कहा कि भविष्य की जलविद्युत परियोजनाओं के लिए सरकार की नीति के अनुसार जमीन चालीस वर्ष की लीज पर दी जाएगी.
जलविद्युत परियोजनाओं की NOC होंगी सरल: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना के लिए पूर्व में किए गए समझौते और मौजूदा समय के समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए सीपीएसई को गंभीरता से लेते हुए ऊर्जा विभाग को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए. सीएम ने प्रदेश में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए एनओसी देने की प्रक्रिया को सरल बनाने के भी निर्देश दिए.
'हिमाचल में 172 जलविद्युत परियोजनाएं सक्रिय': मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 11149.50 मेगावॉट क्षमता की 172 जलविद्युत परियोजनाएं कार्यशील हैं, जबकि 2454 मेगावाट क्षमता की 58 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. उन्होंने कहा कि राज्य में निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजनाओं में ज्यादा देरी न हो इसके लिए ऊर्जा विभाग को इनकी निगरानी के लिए तंत्र विकसित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि परियोजनाओं के निर्माण में देरी से प्रदेश के खजाने को भी भारी नुकसान होता है. उन्होंने कहा कि ऊर्जा निदेशालय को सुदृढ़ किया जाएगा और विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी इस्तेमाल किया जाएगा.
जलविद्युत परियोजनाओं पर सीएम का एक्शन: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि कई जलविद्युत परियोजनाओं ने एक बार की चेतावनी के बावजूद निर्माण कार्य शुरू नहीं किया है, ऐसे में इन परियोजनाओं का वितरण तुरंत रद्द करके इनका पुनः विज्ञापन प्रकाशित किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि विद्युत उत्पादन राज्य सरकार के लिए आय का मुख्य स्रोत है और प्रदेश के राजस्व कमाई में किसी भी तरह के नुकसान से समझौता नहीं किया जाएगा.
'500 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाओं का टारगेट': मुख्यमंत्री ने राज्य में स्थापित की जा रही सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण की भी समीक्षा की और इनके कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस वर्ष 500 मेगावाट सौर ऊर्जा परियोजनाएं शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है और विभाग को इस दिशा में गंभीरता से काम करना चाहिए.
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