मनसा राम की स्मृति में नेता प्रतिपक्ष ने सुनाया दिलचस्प किस्सा, जब कमरे में हुए बंद और बाहर से लग गया ताला

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Published : Mar 14, 2023, 9:06 PM IST

मनसा राम की स्मृति में नेता प्रतिपक्ष ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
मनसा राम की स्मृति में नेता प्रतिपक्ष ने सुनाया दिलचस्प किस्सा ()

हिमाचल प्रदेश विधानसभा बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा सदस्यों ने पूर्व मंत्री मनसा राम निधन पर शोक उदगार व्यक्त किया. वहीं, कई विधायकों ने मनसा राम से जुड़ी यादें अन्य सदस्यों के साथ साझा की. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मनसा राम से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा सुनाया.

शिमला: डॉ. वाईएस परमार से लेकर प्रेम कुमार धूमल के साथ काम करने वाले वरिष्ठ नेता स्व. मनसा राम के निधन पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं ने शोक उद्गार व्यक्त कर उनसे जुड़ी स्मृतियों को सदन में साझा किया. इस दौरान 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस के सहयोग से अस्तित्व में आई प्रेम कुमार धूमल सरकार से जुड़े कई किस्से याद किए गए. एक किस्सा नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने साझा किया और याद किया कि कैसे उस दौरान सरकार बनाने के लिए हुई कशमकश में मनसा राम और उन्हें एक कमरे में बंद होना पड़ा था.

पूर्व सीएम जयराम ठाकुर ने बताया कि जब 1998 में भाजपा सरकार बनाने के लिए प्रयासरत थी तो उस समय एक अलग ही तरह का राजनीतिक माहौल बन गया था. उन्हीं दिनों राज्यसभा के लिए भी नामिनेशन होना था. हमें पार्टी की तरफ से शिमला पहुंचने के लिए कहा गया. शिमला में जिस रेस्ट हाउस में ठहरना हुआ, वहां पर ही मनसा राम भी ठहरे हुए थे. हमारे साथियों ने कहा कि बाहर से ताला लगा देंगे, क्योंकि परिस्थितियां ही ऐसी थीं. उन परिस्थितियों का यहां जिक्र करना ठीक नहीं रहेगा.

आधी रात को हमारा दरवाजा खटखटाया गया, लेकिन हम लाइट बंद करके चुपचाप रहे. पूर्व सीएम ने याद किया कि कैसे सारी रात गीजर ऑन रहने के कारण प्लास्टिक की पाइप हीट के कारण फट गई. एक धमाके के कारण सारे कमरे में भाप फैल गई. उल्लेखनीय है कि 1998 में राज्यसभा के लिए पंडित सुखराम के पुत्र और वर्तमान में सदर मंडी से विधायक अनिल शर्मा का नॉमिनेशन था. वर्ष 1998 में हिमाचल विकास कांग्रेस के समर्थन से बाद में भाजपा की सरकार बनी थी और प्रेम कुमार धूमल पहली बार सीएम की कुर्सी पर बैठे.

मनसा राम से जुड़ी यादें अन्य सदस्यों ने भी साझा की: उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान और अनिल शर्मा ने बताया कि उन्होंने बचपन में मनसा राम जी को देखा था. चूंकि उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के पिता गुमान सिंह चौहान भी कद्दावर नेता थे और विधायक बनने के बाद शिमला में रहते थे. तब हर्षवर्धन चौहान स्कूल की छुट्यिों में शिमला आते थे. मनसा राम के बेटे और हर्षवर्धन चौहान साथ-साथ पढ़े थे. शिमला के बैनमोर में तब पंडित सुखराम और गुमान सिंह चौहान भी समीप रहा करते थे.

उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने भी 1998 में सरकार बनाने की कशमकश को याद किया. हर्षवर्धन ने बताया कि कैसे वीरभद्र सिंह ने 1998 में उन्हें मनसा राम का मन टटोलने के लिए उनके पास भेजा, लेकिन मनसा राम ने स्पष्ट किया कि राजनीति में उन्हें इस समय पंडित सुखराम ने जिंदा रखा है इसलिए मेरा समर्थन हिमाचल विकास कांग्रेस को रहेगा. तब सरकार बनने पर मनसा राम खाद्य आपूर्ति मंत्री रहे. विधायक हंसराज ने याद किया कि कैसे 2012 में उन्हें वीरभद्र सिंह सरकार में मंत्री नहीं बनाया गया और वे सीपीएस बनने के लिए भी राजी हो गए थे. तब चंबा के दौरे पर माता के मंदिर में प्रार्थना की और मां के आशीष से जैसे ही मंदिर से बाहर आए तो फोन आया कि उन्हें सीपीएस बनाया गया है.

क्यों लगानी पड़ी दाढ़ी-मूंछ और पगड़ी: शोक उद्गार के समय भाजपा विधायक अनिल शर्मा ने भी 1998 का किस्सा याद किया. अनिल शर्मा ने कहा कि 1998 में परिस्थितियां ऐसी थीं कि कुछ भी हो सकता था. तब मनसा राम जी को राजभवन से दाढ़ी-मूंछ और पगड़ी लगाकर निकाला गया और पंजाब पहुंचाया गया. अनिल शर्मा ने बताया कि उनके पिता पंडित सुखराम ने इस कदम का विरोध किया तो उन्हें समझाया गया कि यदि ये विधायक शिमला पहुंच गए तो सरकार नहीं बन सकती। बाद में मनसा राम हिमाचल विकास कांग्रेस का हिस्सा बने और धूमल सरकार बनाने में भूमिका निभाई। शोक उद्गार व्यक्त करने वाले सभी सदस्यों ने याद किया कि कैसे मनसा राम ने हिमाचल की राजनीति को पांच दशक से भी अधिक समय तक प्रभावित किया और करसोग के विकास के लिए प्रयास करते रहे। सदस्यों ने राजनीति में सबसे कम आयु में विधायक और मंत्री बनने के मनसा राम के सफर को भी स्मरण किया.

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