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जेओए लाइब्रेरियन के लिए आरएंडपी रूल्स बनाने को लेकर मुख्य न्यायाधीश को लिखी थी चिट्ठी, सरकार ने अदालत से मांगा 3 माह का अतिरिक्त समय

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 20, 2023, 9:31 PM IST

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JOA Librarian R&P Rules Case: जेओए लाइब्रेरियन के लिए आरएंडपी रूल्स बनाने के मामले में हिमाचल सरकार ने हाईकोर्ट से 3 माह का अतिरिक्त समय मांगा है. पढ़िए पूरी खबर.

शिमला: जिला शिमला के तत्तापानी निवासी प्रताप सिंह ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव को पत्र लिखकर एक आग्रह किया था. प्रताप सिंह ने अपने पत्र में गुहार लगाई थी कि अदालत राज्य सरकार को जेओए लाइब्रेरियन के पद के लिए आरएंडपी रूल्स यानी भर्ती व प्रमोशन नियम बनाने के आदेश जारी करे. मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट से उपरोक्त के लिए आरएंडपी रूल्स बनाने को लेकर तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा है. इन नियमों के बन जाने के बाद ही राज्य के स्कूलों में इस कैडर के खाली पड़े पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी.

उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (लाइब्रेरियन)के नाम से भरे जाने वाले पदों के लिए छह महीने के भीतर भर्ती एवं पदोन्नति नियमों (आरएंडपी रूल्स) को अंतिम रूप देने के आदेश जारी किए थे. पहले जिन पदों को असिस्टेंट लाइब्रेरियन के नाम से जाना जाता था, उनकी जगह नए कैडर के तहत जेओए (लाइब्रेरियन) के करीब 2000 पद शिक्षा विभाग में खाली पड़े हैं. न्यू कैडर के इन पदों के लिए आरएंडपी रूल्स नए सिरे से बनाए जाने हैं. नियमों के बनने के बाद ही इन पदों पर भर्तियां की जा सकती है.

गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रताप सिंह ठाकुर की ओर से मुख्य न्यायाधीश के नाम लिखे पत्र से जुड़े मामले का निपटारा करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए थे. अदालती आदेशों की अनुपालना के लिए मामले को 20 नवंबर सोमवार के लिए लिस्ट किया गया था. अब राज्य सरकार ने तीन महीने का अतिरिक्त समय मांगा है. इस पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सरकार द्वारा अतिरिक्त समय की मांग को स्वीकार करते हुए अगली सुनवाई नए साल में 12 मार्च को निर्धारित की है.

सीजे को लिखे पत्र के माध्यम से आरोप लगाया गया है कि सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट लाइब्रेरियन के दो हजार से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. सरकारी स्कूलों में इन पदों के खाली रहते बच्चे निजी स्कूलों की तरफ रुख कर रहे हैं. यह भी आरोप लगाया गया है कि राज्य के साधनहीन माता-पिता निजी स्कूलों की फीस नहीं दे पाते. वहीं, सरकारी स्कूलों में पुस्तकालय न होने की वजह से बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं. पत्र के माध्यम से गुहार लगाई थी कि राज्य सरकार को सरकारी स्कूलों में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट और लाइब्रेरियन के पद भरने के आदेश दिए जाएं.

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