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वल्लभ कॉलेज मंडी में 50 साल से चल रही थी एनसीसी गतिविधियां, कमांडिंग ऑफिसर के तुगलकी आदेश को हाईकोर्ट ने किया रद्द

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 3, 2023, 9:43 PM IST

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वल्लभ कॉलेज मंडी में 50 साल से एनसीसी गतिविधियां चल रही थी, जिस पर कमांडिंग ऑफिसर ने रोक लगा दिया था. इसको लेकर कॉलेज पीटीए ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. वहीं, आज मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कमांडिंग ऑफिसर के तुगलकी आदेश को रद्द कर दिया. पढ़िए पूरी खबर...(High Court lifts ban on NCC in Mandi Vallabh College) (Himachal High Court)

शिमला: मंडी के सरकारी वल्लभ कॉलेज में पचास साल से गर्ल्स कैडेट्स के लिए एनसीसी की गतिविधियां चल रही थीं. इस बीच, एनसीसी के कमांडिंग ऑफिसर ने कॉलेज में एनसीसी की गतिविधियां रोकने का आदेश दिया. कॉलेज पीटीए ने इस आदेश को तुगलकी बताया और हाईकोर्ट में चुनौती दी. हिमाचल हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद आदेश जारी किया कि कॉलेज में गर्ल्स कैडेट्स के लिए एनसीसी एक्टीविटीज जारी रहेंगी. साथ ही हाईकोर्ट ने कमांडिंग ऑफिसर के गतिविधियां रोकने संबंधी आदेश को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने इस संदर्भ में कॉलेज पीटीए की तरफ से दाखिल की गई याचिका को स्वीकार करते हुए उपरोक्त आदेश पारित किए.

हाईकोर्ट ने एनसीसी कमांडिंग ऑफिसर के 23 जून के उस आदेश को रद्द किया, जिसमें राजकीय महाविद्यालय वल्लभ मंडी में 50 साल से छात्राओं के लिए जारी एनसीसी गतिविधियों को वापिस लेने को कहा गया था. कमांडिंग ऑफिसर के पत्र में कहा गया था कि इस सत्र (2023) से एनसीसी के प्रथम वर्ष के लिए किसी भी छात्रा का नामांकन न किया जाए. कमांडिंग ऑफिसर के इस आदेश को कॉलेज पीटीए ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. पीटीए का कहना था कि कॉलेज में छात्राओं के लिए एनसीसी गतिविधियां 1953 से चली आ रही हैं. अचानक ही इसे बंद करने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया.

कमांडिंग ऑफिसर की ओर से बताया गया था कि प्रदेश सरकार ने इन गतिविधियों के लिए कॉलेज में तैनात एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर का तबादला सक्षम अधिकारी की मंजूरी के बिना किया था. इस गलती को सुधारने का मौका भी राज्य सरकार को दिया गया था, लेकिन सरकार ने गलती नहीं सुधारी. इसलिए मजबूरन कानूनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए कॉलेज में एनसीसी कैडेट्स गतिविधियों को बंद करने का निर्णय लेना पड़ा. कॉलेज पीटीए का कहना था कि कमांडिंग ऑफिसर के पास कानूनन ऐसी कोई शक्तियां नहीं है, जिनके तहत छात्राओं के लिए एनसीसी कैडेट्स गतिविधियों को केवल इस आधार पर बंद कर दिया जाए कि सरकार ने कॉलेज में तैनात एसोसिएट एनसीसी ऑफिसर का का तबादला सक्षम अधिकारी की मंजूरी के बिना कर दिया. हाईकोर्ट ने प्रार्थी पीटीए की दलीलों से सहमति जताते हुए कमांडिंग ऑफिसर के आदेशों को कानून की नजर में अमान्य पाते हुए रद्द कर दिया.

अदालतें रास्तों की चौड़ाई जैसे मामलों में हस्तक्षेप करेगी तो खुलेगा भानुमति का पिटारा: वहीं, एक अन्य मामले में हाईकोर्ट ने शिमला में ऑकलैंड से राजकीय कन्या महाविद्यालय (आरकेएमवी) तक पैदल मार्ग को तोड़ कर कम चौड़ा करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि रास्तों की चौड़ाई कम करने जैसे मामले भी यदि वो सुनना शुरू कर दे तो भानुमति का पिटारा खुल जाएगा. इन मामलों में स्थानीय निकायों को ही फैसला करना चाहिए.

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि रास्तों की चौड़ाई का आकलन करना स्थानीय निकायों का विशेषाधिकार है. यदि कोर्ट ये मामले सुनने लगे तो ऐसे आदेशों की मांग शिमला शहर के साथ साथ प्रदेश के अन्य शहरों से भी होने लगेगी. खंडपीठ ने कहा कि शिमला शहर की गलियों के पैदल रास्तों की चौड़ाई कितनी हो, इसका फैसला केवल नगर निगम शिमला जैसी संबंधित अथॉरिटी ही ले सकती है.

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