हिमाचल हाईकोर्ट: कोर्ट रीडर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज, ट्रेजरी में नहीं कराई राशि जमा

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Published : Dec 26, 2022, 8:36 AM IST

हिमाचल हाईकोर्ट
हिमाचल हाईकोर्ट ()

हिमाचल हाईकोर्ट ने गाड़ियों के चालान का रुपया ट्रेजरी में जमा नहीं कराने के मामले में कोर्ट रीडर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जांच में आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर राशि सौंप दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कोर्ट जैसी पवित्र संस्था में सेवाएं देने के बावजूद इस आचरण को देखते हुए अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया. (high court rejected bail plea of court reader)

शिमला: प्रदेश हाईकोर्ट ने गाड़ियों के चालान से प्राप्त राशि को ट्रेजरी में जमा न करवाने के मामले में नामित आरोपी कोर्ट रीडर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जनहित में अदालत के कामकाज को देखते हुए प्रार्थी को अंतरिम जमानत प्रदान करने योग्य यह मामला नहीं बनता. (high court rejected bail plea of court reader)

बंजार में हुआ मामला दर्ज: मामले के तथ्यों के अनुसार ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बंजार जिला कुल्लू ने पुलिस स्टेशन बंजार को एक शिकायत देकर धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने को कहा था. इस शिकायत के आधार पर प्रार्थी नारायण सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409, 420, 467 और, 471 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी. (Court reader bail plea rejected)

गाड़ियों के चालान का था पैसा: नारायण सिंह ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बंजार की अदालत मे बतौर रीडर कार्यरत है. 27 नवंबर 2022 को प्राथमिकी दर्ज करने के पश्चात मामले की जांच की गई. जांच में पाया गया कि प्रार्थी ने गाड़ियों के चालान के रूप में वाले गए 1,61,750 रुपए ट्रेजरी में जमा ही नहीं करवाए. (anticipatory bail plea rejected)

बेटी की शादी के लिए नहीं कराई राशि जमा: जांच अधिकारी का कहना था कि प्रार्थी ने जांच के दौरान अपना गुनाह कबूल कर लिया और उक्त राशि भी जांच में पुलिस को सौंपी जिसे कब्जे में ले लिया गया है. प्रार्थी का कहना था कि वह अपनी बेटी की शादी के कारण उक्त राशि ट्रेजरी में जमा नहीं करवा पाया. उसने कुल्लू और सोलन में अपनी 33 वर्षों की बेदाग सेवाओं का हवाला भी कोर्ट को दिया था. हाईकोर्ट ने कोर्ट जैसी पवित्र संस्था में सेवाएं देने के बावजूद प्रार्थी के आचरण को देखते हुए उसे अग्रिम जमानत देने से इंकार कर दिया.

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