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हाई कोर्ट ने रद्द किया कैबिनेट का फैसला, वेटरनरी डॉक्टर्स की अनुबंध या एडहॉक सर्विस पर मिलेगा चार स्तरीय वेतनमान

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Published : Mar 2, 2023, 9:21 PM IST

हिमाचल में वेटरनरी डॉक्टर्स के वेतनमान से जुड़े राज्य कैबिनेट के एक फैसले को हिमाचल हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है. अब वेटरनरी डॉक्टर्स की अनुबंध या एडहॉक सर्विस पर उन्हें चार स्तरीय वेतनमान मिलेगा.

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट

शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने वेटरनरी डॉक्टर्स के वेतनमान से जुड़े राज्य कैबिनेट के फैसले को रद्द कर दिया है. कैबिनेट के फरवरी 2020 के फैसले को रद्द करते हुए अदालत ने वेटरनरी डॉक्टर्स की अनुबंध या एडहॉक यानी तदर्थ आधार पर दी गई सेवाओं को चार स्तरीय के वेतनमान के लिए आंकने के आदेश दिए. हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने इस संदर्भ में पंकज कुमार, लखन पाल व अन्यों की तरफ से दाखिल की गई याचिकाओं को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए उक्त फैसला दिया.

दाखिल की गई याचिकाओं में दर्ज तथ्यों के अनुसार प्रार्थियों को उनकी अस्थाई सेवाओं का लाभ नहीं दिया जा रहा था. वेटरनरी डॉक्टर्स भी स्वास्थ्य विभाग में कार्य करने वाले अन्य डॉक्टर्स की तरह ही शैक्षणिक योग्यता रखते हैं और उनके समकक्ष ही हैं. एमबीबीएस डॉक्टरों को अस्थाई सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है. जबकि प्रार्थी वेटरनरी डॉक्टर्स को अस्थाई सेवा का लाभ नहीं मिल रहा था. मामला अदालत में आने पर राज्य सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि पशु चिकित्सक को आरंभ में अनुबंध के आधार पर तैनाती दी गई थी, इसलिए अनुबंध की सेवाओं को गिनते हुए वे 4 स्तरीय वेतनमान लेने का हक नहीं रखते.

राज्य सरकार की ये दलील भी थी कि वे स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों के समकक्ष नहीं हैं. स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टरों की सेवा मानवीय जीवन से जुड़ी हैं. जबकि उनकी सेवाएं पशु जीवन से जुड़ी है. अनुबंध के आधार पर दी जाने वाली सेवाओं के लिए अलग तरह की शर्तें लागू होती है और वह उन शर्तों से बंधे रहते हैं. वेटरनरी डॉक्टर्स के साथ किए गए अनुबंध में ऐसा कहीं भी नहीं लिखा है कि राज्य सरकार उन्हें अनुबंध पर रहते 4 स्तरीय पे स्केल देने के लिए बाध्य है.

साथ ही राज्य सरकार ने कहा था कि एमबीबीएस डॉक्टर व वेटरनरी डॉक्टर के काम करने के लिए अलग-अलग तरह के नियम हैं. समान काम के लिए समान वेतन जैसा सिद्धांत इस मामले में लागू नहीं हो सकता है. इस पर हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एमबीबीएस डॉक्टर भी वेटरीनरी डॉक्टर के समकक्ष ही है. इन्हें एमबीबीएस डॉक्टरों की तरह नॉन प्रैक्टिसिंग एलाउंस (एनपीए) जैसे वित्तीय लाभ भी दिए जाते हैं.

हाई कोर्ट ने इस के बाद राज्य सरकार की कैबिनेट द्वारा 28 फरवरी 2020 को पारित निर्णय को रद्द करते हुए यह आदेश जारी किए कि प्रार्थियों की अनुबंध पर दी गई सेवाओं को 4 स्तरीय वेतनमान के लिए गिनते हुए उन्हें इस लाभ को 90 दिनों के भीतर अदा किया जाए. यदि राज्य सरकार ने तय समय में यह लाभ अदा न किया तो उसे पात्र वेटरनरी डॉक्टर्स को उक्त लाभ को साढ़े सात प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करना होगा.

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