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पंजीकृत ठेकेदारों को मिलेगा मछली आयात का परमिटः वीरेन्द्र कंवर

मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आज यहां बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से मत्स्य विभाग द्वारा प्रदेश में मछली आयात के परमिट केवल पंजीकृत (Fish import permits)ठेकेदारों के पक्ष में ही जारी किए जाएंगे. मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने बताया जलाशयों के मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए व उनके रोजगार क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत ये फैसला किया गया.

Fish import permits
मछली आयात परमिट
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Published : Mar 23, 2022, 6:00 PM IST

शिमला मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आज यहां बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से मत्स्य विभाग द्वारा प्रदेश में मछली आयात के परमिट केवल पंजीकृत (Fish import permits)ठेकेदारों के पक्ष में ही जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जलाशयों के मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए व उनके रोजगार क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2022-23 से प्रदेश के सभी जिलों में मछली आयात को आंशिक रुप से प्रतिबंधित किया जा रहा है.

वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 10 हजार परिवार मात्स्यिकी व्यवसाय से जुडे़ हैं. प्रदेश के ठंडे पानी, नदीय क्षेत्रों, तालाबों व जलाशयों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मत्स्य पालन हो रहा. हिमाचल प्रदेश के मुख्य जलाशय महाराणा प्रताप पौंग डैम व गोबिन्द सागर जलाशय से लगभग 5500 परिवार मछली पकड़ने के व्यवसाय से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं.उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों से मछली आयात के परमिट के लिए आवेदन विभाग के पास पहुंचते है.

विभाग आवेदनकर्ताओं की मांग अनुसार मछली आयात का परमिट उस वित्तीय वर्ष के लिए उनके पक्ष में जारी करता है. उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के मछुआरों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा और मत्स्य विभाग का राजस्व भी प्रभावित हो रहा ,क्योंकि परमिट प्राप्त होने पर लोग बाहरी राज्यों से कोल्ड स्टोर में रखी गई पुरानी मछली लाकर कम दामों पर बेच रहे हैं. इस प्रकार की पुरानी मछली की गुणवत्ता ताजा मछली की अपेक्षा बहुत कम होती, क्योंकि प्रदेश के जलाशयों से जो मछली पकड़ी जातीवह ताजा व पौष्टिक होती है.

प्रदेश के जलाशयों में मछली की अच्छी प्रजातियां उपलब्ध होने के बावजूद मछली के अच्छे दाम बाजार में नहीं मिल रहे हैं, जिसका मुख्य कारण प्रदेश में अधिक मात्रा में नियमित रूप से मछली का आयात किया जाना है. इससे आजीविका के लिए केवल मछली पालन पर ही निर्भर प्रदेश के 5500 से अधिक मछुआरों की रोजी-रोटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ा. उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में मछली व्यवसाय से जुड़े सभी व्यापारियों, पंजीकृत ठेकेदारों तथा मछुआरों व मत्स्य सहकारी सभाओं के हितों के दृष्टिगत मछली आयात पर आंशिक प्रतिबंध संबंधी यह निर्णय लिया गया और भविष्य में इसका अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा. इसके अतिरिक्त मत्स्य विभाग से मछली आयात का परमिट लेने के सभी नियमों को भी सख्त बनाया जाएगा.

शिमला मत्स्य पालन मंत्री वीरेन्द्र कंवर ने आज यहां बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 से मत्स्य विभाग द्वारा प्रदेश में मछली आयात के परमिट केवल पंजीकृत (Fish import permits)ठेकेदारों के पक्ष में ही जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी जलाशयों के मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए व उनके रोजगार क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के दृष्टिगत वित्तीय वर्ष 2022-23 से प्रदेश के सभी जिलों में मछली आयात को आंशिक रुप से प्रतिबंधित किया जा रहा है.

वीरेन्द्र कंवर ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के लगभग 10 हजार परिवार मात्स्यिकी व्यवसाय से जुडे़ हैं. प्रदेश के ठंडे पानी, नदीय क्षेत्रों, तालाबों व जलाशयों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में मत्स्य पालन हो रहा. हिमाचल प्रदेश के मुख्य जलाशय महाराणा प्रताप पौंग डैम व गोबिन्द सागर जलाशय से लगभग 5500 परिवार मछली पकड़ने के व्यवसाय से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं.उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश के विभिन्न जिलों से मछली आयात के परमिट के लिए आवेदन विभाग के पास पहुंचते है.

विभाग आवेदनकर्ताओं की मांग अनुसार मछली आयात का परमिट उस वित्तीय वर्ष के लिए उनके पक्ष में जारी करता है. उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश के मछुआरों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा और मत्स्य विभाग का राजस्व भी प्रभावित हो रहा ,क्योंकि परमिट प्राप्त होने पर लोग बाहरी राज्यों से कोल्ड स्टोर में रखी गई पुरानी मछली लाकर कम दामों पर बेच रहे हैं. इस प्रकार की पुरानी मछली की गुणवत्ता ताजा मछली की अपेक्षा बहुत कम होती, क्योंकि प्रदेश के जलाशयों से जो मछली पकड़ी जातीवह ताजा व पौष्टिक होती है.

प्रदेश के जलाशयों में मछली की अच्छी प्रजातियां उपलब्ध होने के बावजूद मछली के अच्छे दाम बाजार में नहीं मिल रहे हैं, जिसका मुख्य कारण प्रदेश में अधिक मात्रा में नियमित रूप से मछली का आयात किया जाना है. इससे आजीविका के लिए केवल मछली पालन पर ही निर्भर प्रदेश के 5500 से अधिक मछुआरों की रोजी-रोटी पर भी बुरा प्रभाव पड़ा. उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश में मछली व्यवसाय से जुड़े सभी व्यापारियों, पंजीकृत ठेकेदारों तथा मछुआरों व मत्स्य सहकारी सभाओं के हितों के दृष्टिगत मछली आयात पर आंशिक प्रतिबंध संबंधी यह निर्णय लिया गया और भविष्य में इसका अनुकूल प्रभाव देखने को मिलेगा. इसके अतिरिक्त मत्स्य विभाग से मछली आयात का परमिट लेने के सभी नियमों को भी सख्त बनाया जाएगा.

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