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हाईकोर्ट ने दी थी शिक्षा विभाग के दो बड़े अफसरों को जेल भेजने की चेतावनी, कानूनी डंडे से डरे अफसरों ने अक्षरश: लागू किए अदालती आदेश

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 2, 2023, 8:47 PM IST

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हिमाचल हाईकोर्ट ने अवमानना मामले में शिक्षा विभाग के दो बड़े अफसरों को जेल भेजने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद कानूनी डंडे के डर से अफसरों ने अदालती आदेश अक्षरश: लागू किए हैं. पढ़िए पूरी खबर...

शिमला: कानून की तलवार सिर पर क्या लटकी, हिमाचल सरकार के शिक्षा विभाग के दो अफसरों ने जेल जाने के डर से हाईकोर्ट के आदेश अक्षरश: लागू कर दिए. हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव व प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को अदालती आदेश लागू करने के लिए सात दिन का समय दिया था, लेकिन विभाग ने दो दिन में ही काम पूरा कर दिया. बीते कल शिक्षा विभाग ने हाईकोर्ट के कहे अनुसार आदेश जारी कर दिए.

यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान पूर्व में दिए गए आदेश लागू न करने पर नाराजगी जताई थी. मामला यहां तक पहुंचा कि अदालत ने शिक्षा सचिव व निदेशक प्रारंभिक शिक्षा को जेल भेजने की बात कह दी थी. अदालत ने कहा था कि सात दिन के भीतर यदि अनुपालना न हुई तो अगली सुनवाई के दिन शिक्षा सचिव व निदेशक जेल जाने के लिए तैयार रहें. इस पर दोनों अफसरों ने दो दिन में ही हाईकोर्ट के आदेश की अनुपालना कर दी.

यहां जानिए पूरा मामला: बुधवार 29 नवंबर को हाईकोर्ट में कुलदीप चंद वर्सेस स्टेट ऑफ हिमाचल केस में हाईकोर्ट ने नाराजगी प्रकट करते हुए शिक्षा सचिव सहित प्रारंभिक शिक्षा निदेशक को जेल भेजने की चेतावनी दी थी. हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर व न्यायमूर्ति संदीप शर्मा की खंडपीठ ने 29 नवंबर को प्रार्थी कुलदीप चंद की तरफ से दाखिल की गई अनुपालना याचिका को सुना था. प्रार्थी कुलदीप चंद ने हाईकोर्ट द्वारा पूर्व में उसके पक्ष में सुनाए गए फैसले को लागू किए जाने का आग्रह करते हुए याचिका डाली थी. हाईकोर्ट ने नौ साल पहले 24 अप्रैल 2014 को कुलदीप चंद के पक्ष में फैसला दिया था. कुलदीप चंद ने अपनी सर्विस 95 फीसदी ग्रांट इन एड नीति के अंतर्गत नियमित अध्यापक के रूप में ओवर टेक किए जाने की मांग की थी.

हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रतिवादियों को आदेश दिए थे कि वह ओम प्रकाश वर्सिस राज्य सरकार वाले मामले में जारी किए गए निर्णय को देखते हुए प्रार्थी के मामले में भी डिसीजन ले. वहीं, एक अन्य ओम प्रकाश वाले मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिए थे कि वह प्रार्थी को तब से नियमित नियुक्ति दे, जब से सरकार ने उसके कॉलेज को 95 प्रतिशत ग्रांट इन एड नीति के अंतर्गत अधीगृहित किया था. सरकार ने ओम प्रकाश मामले को खंडपीठ के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी, लेकिन असफल रही. हाईकोर्ट के अनुसार ये फैसला प्रार्थी के मामले में भी एप्लाई होना था. इसलिए उसने 24 अप्रैल 2014 के निर्णय को लागू करने के लिए अनुपालना याचिका दाखिल की थी. सरकार को उपयुक्त समय देने के बावजूद आदेश की अनुपालना नहीं की गई.

कानून के डर से तुरंत लागू हुआ फैसला: हाईकोर्ट की नाराजगी सामने आते ही एक दिसंबर शुक्रवार को वर्ष 2008 में बैचवाइज भर्ती के अंतर्गत नियुक्त टीजीटी और सरकारी अधिग्रहण में लिए गए कॉलेज के स्टाफ को डेट ऑफ जॉइनिंग से ही अब नियमित कर दिया गया है. ऐसे कई मामले हाईकोर्ट में आए हैं. उन मामलों में यह पाया गया था कि 2008 में जिन टीजीटी को कॉन्ट्रैक्ट पर तैनात किया गया था, उनके भर्ती नियमों को 22 अक्टूबर 2009 को संशोधित किया गया था. यहां गौर करने वाली बात है कि जब यह अनुबंध पर नियुक्ति पा गए थे, तब नियमों में अनुबंध का प्रावधान ही नहीं था. इसी आधार पर ही सरकार यह मामला अदालत में हार गई थी. केस हारने के बाद भी सरकार ने ऑर्डर को पूरी तरह से लागू नहीं किया. इसी कारण हाईकोर्ट ने शिक्षा सचिव को अवमानना का दोषी पाते हुए जेल भेजने की चेतावनी दी थी.

अब शिक्षा विभाग ने बैचवाइज टीजीटी और सरकारी अधिग्रहण वाले कॉलेज के स्टाफ के लिए नियुक्ति की डेट से नियमित करने के आदेश जारी कर दिए हैं. निदेशक प्रारंभिक शिक्षा कार्यालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि इन टीजीटी को नियुक्ति की तिथि से ही डीम्ड रेगुलर कर्मचारी माना जाए. साथ ही संबंधित प्रिंसिपल और मुख्य अध्यापक वित्त विभाग के जारी निर्देश के अनुसार ही उनके वित्तीय लाभ जारी करेंगे.

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