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कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसा हिमाचल, कैग रिपोर्ट में खुलासा: पांच साल में चुकाना होगा 34001 करोड़ का लोन

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Published : Apr 5, 2023, 8:26 PM IST

Updated : Apr 5, 2023, 8:41 PM IST

Debt on Himachal Pradesh
सांकेतिक तस्वीर.

हिमाचल प्रदेश कर्ज के बोझ के नीचे लगातार दबता जा रहा है. आने वाले 5 सालों के अंदर राज्य सरकार को 27,677 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है. पढ़ें पूरी खबर... (Debt on Himachal Pradesh) (Loan on HP)

शिमला: हिमाचल प्रदेश बुरी तरह से कर्ज के जाल में फंस गया है. यदि समय रहते सरकार ने आर्थिक संसाधन नहीं जुटाए तो राज्य डेब्ट ट्रैप से नहीं निकल पाएगा. हिमाचल सरकार पर वित्तीय वर्ष 2021-22 के अंत में में 68630 करोड़ रुपए का कर्ज था. इस कुल कर्ज में 45297 करोड़ रुपए मूल कर्ज था और 23333 करोड़ रुपए ब्याज के तौर पर था. हालत यह है कि ब्याज को चुकाने के लिए भी कर्ज लेना पड़ रहा है. हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र में बुधवार को सदन के पटल पर रखी गई कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि आगामी पांच साल के भीतर राज्य सरकार को 27,677 करोड़ रुपए का कर्ज चुकाना है.

हालांकि अब कर्ज का आंकड़ा बढ़ गया है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2021-22 के कर्ज का आंकड़ा लें तो एक साल में ही कुल लोन का दस फीसदी यानी 6992 करोड़ एक साल में अदा करना है. ये गंभीर स्थिति है. यही नहीं, राज्य सरकार को अगले दो से पांच साल की अवधि में कुल लोन का चालीस फीसदी यानी 27677 करोड़ रुपए चुकाना है. इसके अलावा अगले पांच साल के दौरान यानी 2026-27 तक ब्याज सहित लोक ऋण अदायगी प्रति वर्ष 6926 करोड़ होगी. यदि इस अवधि में आय के अतिरिक्त साधन नहीं जुटाए गए तो अर्थव्यवस्था दबाव में आ जाएगी.

कैग रिपोर्ट में सरकार के खराब वित्तीय प्रबंधन की पोल भी खुली है. कैग रिपोर्ट में पाया गया है कि राज्य सरकार ने विगत वर्षों में विधायिका से स्वीकृत हुई बजट राशि से अधिक रकम खर्च की है. राज्य सरकार ने 13 अनुदानों एवं दो विनियोजनों में विधानसभा से मंजूर बजट राशि से 1782.17 करोड़ रुपए अधिक खर्च किए हैं. वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक सदन की मंजूरी के बिना खर्च किए गए 8818.47 करोड़ की राशि का विधायिका से विनियमन करवाना जरूरी थी, जो नहीं किया गया है.

रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि राज्य सरकार ने कई मामलों में तो मूल बजट को भी खर्च नहीं किया, लेकिन अनुपूरक बजट में अनुदानों के लिए अतिरिक्त धन का प्रावधान किया गया. ये कोई अच्छी स्थिति नहीं कही जा सकती. कर्ज के जाल को लेकर कैग ने बार-बार चेताया है और रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि सरकार को आगामी एक दशक में 61 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज चुकाना है. जब सरकार का अधिकांश बजट कर्ज चुकाने में जाएगा तो विकास के लिए बजट सिकुड़ जाएगा. हालांकि रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में राज्य की राजस्व प्राप्तियां विगत वर्ष की तुलना में 3871 करोड़ रुपए बढ़ी है. इसके पीछे केंद्रीय करों व शुल्कों में राज्य का हिस्सा जिम्मेदार है.

कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य में कर्मचारियों के वेतन और पेंशनर्स की पेंशन पर खर्च निरंतर बढ़ रहा है. वर्ष 2017-18 में वेतन व मजदूरी पर 10765.83 करोड़ रुपए खर्च हुए. इस दौरान पेंशन पर 4708.85 करोड़ रुपए व ब्याज के भुगतान पर सरकार ने 3788 करोड़ रुपए खर्च किए. फिर 2018-19 में ये खर्च और बढ़ा. वेतन पर 11210.42 करोड़ रुपए, पेंशन पर 4974.77 करोड़ व ब्याज भुगतान पर 4021.52 करोड़ रुपए खर्च किए गए. फिर वित्त वर्ष 2020-21 में वेतन पर खर्च बढक़र 12192.52 करोड़ रुपए, पेंशन पर 6398.91 व ब्याज भुगतान पर 4640.79 करोड़ रुपए खर्च हुआ. इस तरह बजट का बड़ा हिस्सा उक्त मदों पर खर्च हो रहा है.

रिपोर्ट के अनुसार 11 अनुदानों के तहत 13 मामलों में 647.13 करोड़ के अनुपूरक प्रावधान गैर जरूरी साबित हुए. इसका अर्थ ये हुआ कि राज्य सरकार ने अनुपूरक बजट में इस राशि का प्रावधान तो कर लिया, लेकिन एक्चुअल एक्सपेंडीचर यानी वास्तविक खर्च मूल बजट तक भी नहीं पहुंचा. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में ही बजट में आबंटित राशि को खर्च करने की गति बढ़ी. वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में 6 अनुदानों में 50 से 71 प्रतिशत तक का खर्च हुआ. कैग रिपोर्ट में हैरानी जताई गई है कि उक्त वित्त वर्ष के अंतिम माह मार्च में 12 से 65 प्रतिशत रकम खर्च की गई.

रिपोर्ट में दर्ज किया गया है कि सरकार ने घाटे से उबरने के उपायों एवं लोन स्तर के संबध में राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम में संशोधन नहीं किया. रिपोर्ट में हैरत जताई गई कि वित्त वर्ष 2020-21 में 97 करोड़ का राजस्व घाटा 2021-22 में 1115 करोड़ के सरप्लस में बदल गया. इसी तरह वर्ष 2020-21 में 5245 करोड़ का राजकोषीय घाटा 455 करोड़ घट गया. सरकार का प्राथमिक घाटा 2020-21 के 1228 करोड़ से कम हो कर 2021-22 में 604 करोड़ रह गया.

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Last Updated :Apr 5, 2023, 8:41 PM IST
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