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Himachal Pradesh CS Ram Subhag Singh: बिना आग नहीं है धुआं! जयराम सरकार में अफसरशाही की 'हॉट सीट' पर विवादों का साया

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Published : Apr 16, 2022, 2:26 PM IST

हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद सियासत तेज हो गई है. इन मुद्दे पर विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार को घेरते हुए निष्पक्ष जांच करने की मांग उठाई है. वहीं, आम आदमी पार्टी ने तो चेतावनी दी है कि यदि मुख्य सचिव राम सुभग सिंह पर एक्शन नहीं लिया जाता है, तो सचिवालय का घेराव किया जाएगा. बता दें कि इससे पहले भी राम सुभग सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं.

Himachal Pradesh CS Ram Subhag Singh
हिमाचल के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह.

शिमला: इन्वेस्टर्स मीट हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट रहा है. अगस्त 2019 की बात है, हिमाचल में विधानसभा का मानसून सेशन चल रहा था. उसी दौरान ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट (Global Investors Meet in Himachal) के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए पोर्टल राइजिंग हिमाचल पर लैंड सीलिंग एक्ट से जुड़ा विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. उस समय पर्यटन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राम सुभग सिंह थे.

मामला संवेदनशील था तो दबाव पड़ने पर जयराम सरकार ने राम सुभग सिंह से पर्यटन विभाग वापिस ले लिया. अब एक बार फिर से रामसुभग सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने इस मामले में जयराम सरकार को घेरा है. आम आदमी पार्टी ने तो चेतावनी दी है कि यदि मुख्य सचिव राम सुभग सिंह पर एक्शन नहीं लिया जाता तो सचिवालय का घेराव किया जाएगा. ये पहला मौका नहीं है कि जब हिमाचल में अफसरशाही की टॉप सीट विवादों में आई हो. यहां उन सभी विवादों पर बात करने से पहले मौजूदा घटनाक्रम को देखना जरूरी है.

ताजा विवाद क्या है: राम सुभग सिंह इस समय हिमाचल सरकार के मुख्य सचिव हैं. शिवसेना के नेता बृजलाल ने पीएमओ को एक शिकायती (Complaint against Himachal chief secretary) पत्र भेजा था. पीएमओ ने केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय को आगामी कार्रवाई के लिए कहा और मंत्रालय से इस बारे में हिमाचल के सीएम जयराम ठाकुर को पत्र भेजा गया. पीएमओ को ये शिकायत पिछले साल की गई थी. फिर अक्टूबर 2021 में कार्मिक मंत्रालय से हिमाचल के सीएम के प्रधान सचिव को उपयुक्त कार्रवाई के लिए कहा गया.

आरोप है कि जब रामसुभग सिंह एसीएस रैंक के अफसर थे (Himachal Pradesh CS Ram Subhag Singh) और वन विभाग संभाल रहे थे, तो कांगड़ा में एक निर्माण में धांधली की गई. यही नहीं, इसके अलावा ये भी आरोप लग रहा हैं कि उद्योग विभाग में भी भारी धांधली हुई है. वहीं, इस मामले में सीएम जयराम ठाकुर ने कहा कि उन्होंने सारे मामले की रिपोर्ट मंगवाई है. इस तरह की शिकायतें करने पर पीएमओ की ओर से आगे की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कहा जाता है.

तीन साल पहले भी मची थी हलचल: जयराम सरकार के कार्यकाल में इन्वेस्टर्स मीट के लिए पर्यटन विभाग ने एक ऑनलाइन पोर्टल तैयार किया था. उस पर एक विवादित डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. दबाव पड़ा को राम सुभग सिंह से पर्यटन विभाग वापिस लिया गया. सरकार ने इस मामले में भी जांच रिपोर्ट मांगी थी और रिपोर्ट आने से पहले ही राम सुभग सिंह को पर्यटन विभाग से हटा दिया गया था. तब राज्य सरकार के मुख्य सचिव बीके अग्रवाल थे. अगस्त 2019 के आखिर में जारी अधिसूचना के अनुसार सरकार ने राम सुभग सिंह को तत्काल प्रभाव से पर्यटन विभाग के कार्यभार से मुक्त कर दिया था. उस समय वर्ष 1987 बैच के आईएएस अफसर रामसुभग सिंह के पास वन विभाग और भाषा व कला संस्कृति विभाग का प्रभार रह गया था. उन्हें पर्यटन व सिविल एविएशन विभाग से हटाने के बाद इसका अतिरिक्त कार्यभार मुख्य सचिव बीके अग्रवाल को दिया गया था.

क्या था विवाद: इन्वेस्टर्स मीट के लिए राज्य सरकार ने राइजिंग हिमाचल पोर्टल बनाया था. उस पोर्टल पर पर्यटन निगम के 14 होटलों को लीज पर देने और चाय बागानों में लैंड सीलिंग एक्ट (Land ceiling act in Himachal pradesh) के प्रावधानों को दरकिनार करते हुए कमर्शियल गतिविधियां चलाने से संबंधित एक डॉक्यूमेंट अपलोड हुआ था. हैरानी की बात है कि इस बारे में न तो कैबिनेट को पता था और न ही मुख्यमंत्री कार्यालय को, बाद में मामला सामने आया तो विपक्षी दल कांग्रेस ने विधानसभा में सरकार को घेरा था.

उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूरे मामले की जांच के लिए आदेश जारी (CM Jairam on ram subhag singh) किए थे. जांच का जिम्मा मुख्य सचिव बीके अग्रवाल को सौंपा गया था. तीन दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी, लेकिन उससे पहले ही सरकार ने पर्यटन विभाग के एसीएस राम सुभग सिंह को विभाग से हटा (corruption allegations on ram subhag singh) दिया था. आरोप है कि इन्वेस्टर्स मीट के बहाने लैंड सीलिंग एक्ट बदलने और पर्यटन निगम के घाटे वाले होटल बेचने की गुपचुप तरीके से कोशिश की गई. मामले में चौतरफा घिरी सरकार ने तुरंत विवादित डॉक्यूमेंट को पोर्टल से हटाया और जांच का ऐलान किया था. गौर करने वाली बात है कि तब मुख्यमंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि इस किस्म का विवादित दस्तावेज सरकारी पोर्टल पर अपलोड होना दुर्भाग्यपूर्ण है. लैंड सीलिंग एक्ट व पर्यटन निगम के होटलों को लीज पर देने का सरकार का दूर-दूर तक कोई इरादा नहीं है.

उद्योग विभाग में भी धांधली के आरोप: इन्वेस्टर्स मीट में एक सीमेंट उद्योग का मामला सिरे चढ़ना था. ये सीमेंट प्लांट चौपाल इलाके में लगना था. पहले इसमें रिलायंस समूह ने इसमें दिलचस्पी दिखाई, बाद में सीमेंट उद्योग लगने से पहले ही वो सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ गया. यहां भी आरोप लगाया जा रहा है कि इसमें करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ. गुड़गांव में करोड़ों रुपए कीमत के फ्लैट को लेकर भी खुसर-पुसर हो रही है. इस बारे में सीएम जयराम ठाकुर से सवाल किया गया था, लेकिन उन्होंने मामले को टाल दिया था. सीएम जयराम ठाकुर का कहना है कि सारे तथ्य सामने आने पर ही कुछ कहा जाएगा. उधर, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party in Himachal) इस मामले में सरकार के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने (Kuldeep rathore on ram subhag singh) कहा कि जयराम सरकार को इस पर निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए. वहीं, आम आदमी पार्टी ने तो मुख्य सचिव को पद से हटाने की मांग कर डाली है. फिलहाल, अब सभी की नजरें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की तरफ से तलब की गई रिपोर्ट पर लगी है. सोमवार 18 अप्रैल को कैबिनेट मीटिंग में इस मसले पर मंथन होगा, लेकिन ये तय है कि चुनावी साल में अफसरशाही की हॉट सीट पर लगे आरोपों ने जयराम सरकार को असहज कर दिया है.

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