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Countdown Begins: 8 दिसंबर को सराज नहीं शिमला में रहेंगे CM जयराम, BJP को रिवाज बदलने की उम्मीद

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Published : Dec 5, 2022, 5:19 PM IST

हिमाचल प्रदेश के मुखिया जयराम ठाकुर 8 दिसंबर को मतगणना वाले दिन सराज नहीं बल्कि शिमला में ही रहेंगे. हाईकमान ने उन्हें शिमला में रहकर परिणामों के बाद उपजे हालातों से निपटने के निर्देश दिए हैं. पढ़ें.

cm jairam thakur will stay in shimla
cm jairam thakur will stay in shimla

शिमला: सराज में बेशक भाजपा के लिए जीत का रिवाज जारी रहने के भरपूर आसार हैं, लेकिन पार्टी प्रदेश में रिवाज बदलने के लिए लालायित है. सराज में संभावित जीत के प्रति आश्वस्त भाजपा हाईकमान ने सीएम जयराम ठाकुर से कहा है कि नतीजे के दिन वे शिमला में रहें. ऐसा इसलिए है कि यदि किसी सियासी गणित के कारण हिमाचल में 1998 वाली स्थिति पैदा हो जाए तो तुरंत आगामी रणनीति बनाई जा सके. (cm jairam thakur will stay in shimla) (saraj himachal election result 2022)

मतगणाना के दिन शिमला में रहेंगे सीएम जयराम: ऐसे में ये तय हुआ है कि सीएम जयराम ठाकुर आठ दिसंबर को नतीजे के दिन शिमला में ही रहेंगे. वैसे हर प्रत्याशी की ये इच्छा रहती है कि मतगणना के दिन वो अपने निर्वाचन क्षेत्र में समर्थकों के साथ मौजूद रहे. हिमाचल में भाजपा ने जयराम ठाकुर को फिर से सीएम फेस बनाया है. ऐसे में उनके कांधे पर जिम्मेदारी अधिक है. यदि चुनाव परिणाम के दिन सत्ता का सिंहासन कुछ दूर होता दिखे तो बागियों या अन्य विकल्पों की मदद से कुर्सी के समीप किस तरह जाया जा सकता है, इसे लेकर मौके पर रणनीति तैयार की जाएगी.

प्लान-बी भी तैयार: हिमाचल विधानसभा के चुनाव का परिणाम आने की घड़ी समीप है. अब हफ्ते नहीं, महज दिनों का फासला बाकी है. गुरुवार 8 दिसंबर को ईवीएम में कैद प्रत्याशियों की किस्मत का पिटारा खुल जाएगा. हिमाचल के चुनाव इस बार सबसे अधिक रोचक माने जा रहे हैं. जयराम ठाकुर बेशक सराज से जीत का सिक्सर लगाने के प्रति पूरी तरह से आश्वस्त हैं, लेकिन रिवाज बदलने के दावे को लेकर भीतर ही भीतर भाजपा पूरी तरह से कम्फर्टेबल महसूस नहीं कर रही है. हालांकि दिखावे के लिए भाजपा का हर नेता मिशन रिपीट को सफल मान रहा है, लेकिन अंदरखाने पार्टी ने प्लान-बी पर गंभीरता से काम शुरू कर दिया है.

हाईकमान के संपर्क में रहेंगे सीएम: यही कारण है कि सीएम जयराम ठाकुर को शिमला में रहने के निर्देश दिए गए हैं. वे शिमला में रहकर पार्टी हाईकमान के साथ दिल्ली में संपर्क में रहेंगे. साथ ही प्रदेश भर में भाजपा प्रत्याशियों के साथ निरंतर बात करेंगे. परिणाम आने के बाद आगामी रणनीति के लिए भी उनका शिमला में रहना पार्टी ने जरूरी समझा है.

महेंद्र सिंह ठाकुर की स्किल का होगा उपयोग: पार्टी हाईकमान का मानना है कि सराज में तो जीत पक्की है ही, ऐसे में मिशन रिपीट के रास्ते में आने वाली बाधाओं को पार करने की योजना शिमला से ही तैयार की जाएगी. भाजपा मानकर चल रही है कि यदि सरकार बनाने के लिए बागियों की मदद लेनी पड़ी तो उसके लिए प्लान तैयार रखना है. भाजपा की योजना के अनुसार जीतने की क्षमता रखने वाले निर्दलीयों के साथ संपर्क रखने वाले नेताओं को तैयार किया गया है. भाजपा नेता महेंद्र सिंह ठाकुर इस प्रकार की रणनीतियों के माहिर माने जाते हैं. वे चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. ऐसे में उनकी स्किल का उपयोग किया जाएगा.

कांग्रेस के बागी पर भी नजर: कांग्रेस से नाराज नेताओं पर भी पार्टी की नजर है. जेपी नड्डा इन सभी पहलुओं को खुद भी मॉनिटर करेंगे. वर्ष 1998 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को 31-31 सीटें मिली थी. तब निर्दलीय रमेश ध्वाला का समर्थन पाने में भाजपा कामयाब रही थी. फिर चार एमएलए हिमाचल विकास कांग्रेस के साथ आ गए और सरकार बन गई. बाद में लाहौल सीट पर हुए चुनाव में रामलाल मारकंडा जीत गए और भाजपा की स्ट्रेंथ में एक और सदस्य जुड़ गया. मारकंडा तब हिमाचल विकास कांग्रेस में थे.

बहुमत के जादुई आंकड़े के लिए जोड़ तोड़: इस बार यदि बागियों में से तीन या चार नेता भी जीत गए और भाजपा को बहुमत से कम सीटें आई तो पार्टी उन्हें अपने पाले में खींचने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. उधर, कांग्रेस के लिए हर हाल में स्पष्ट बहुमत आना जरूरी है, वरना पार्टी में टूट संभव है. कारण ये है कि जिस तरह विगत कुछ समय से पार्टी में सीएम पद को लेकर लॉबिंग शुरू हो गई है, उससे पार्टी का कोई न कोई गुट असंतुष्ट जरूर होगा.

खैर, भाजपा का गणित है कि उसे कम से कम 34 सीटें आ रही हैं. ऐसे में उसकी नजर निर्दलीयों पर है. इन्हीं सब विकल्पों पर काम करने और आगामी रणनीति बनाने के लिए सीएम जयराम ठाकुर सराज की बजाय शिमला में रहेंगे.उधर, धर्मशाला की बैठक का फीडबैक लेकर भाजपा मुखिया सुरेश कश्यप दिल्ली में हैं. उनके साथ संगठन के अन्य पदाधिकारी हैं. पार्टी के प्रभारी अविनाश राय खन्ना भी दिल्ली में हैं. देखना है कि 8 दिसंबर को हिमाचल में रिवाज बदलेगा या फिर पांच साल बाद सत्ता परिवर्तन की परंपरा जारी रहेगी.

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