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हिमाचल चुनाव 2022: 10 गारंटी से सिंहासन तक कैसे पहुंचेगी कांग्रेस, जानें पार्टी का फार्मूला

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Published : Oct 18, 2022, 5:48 PM IST

10 Guarantees of Congress
10 Guarantees of Congress

हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 (Himachal Assembly Election 2022) की सरगर्मी बढ़ी हुई है. कांग्रेस द्वारा हिमाचल को 10 गारंटी दी गई है. इसके जरिए सभी तबको को साधने का प्रयास किया गया है. क्या है कांग्रेस का मिशन हिमाचल जानें..

शिमला: चुनावी मौसम में हिमाचल की फिजा राजनीतिक रंग ले चुकी है. भले ही हिमाचल में 68 सीटों की जंग है लेकिन तमाम पार्टियों का पूरा फोकस देवभूमि पर है. चुनावी साल में पार्टियां घोषणाओं की झड़ी लगाकर जनता से लोक लुभावन वादे करती है. कांग्रेस ने चुनाव का ऐलान होने से पहले ही जनता को 10 गारंटी दी. इस 10 गारंटी (10 Guarantees of Congress ) से पूरे हिमाचल को साधने की कोशिश की गई है.

पढ़ें- हिमाचल चुनाव में ओपीएस सबसे बड़ा मुद्दा, पुरानी पेंशन कांग्रेस का सहरा या BJP की टेंशन?

कांग्रेस की 10 गारंटी: कांग्रेस अपने मिशन हिमाचल को सफल बनाने में लगी है. कांग्रेस की 10 गारंटी कार्ड में सबसे ऊपर पहले नंबर पर पुरानी पेंशन स्कीम को रखा गया है. दूसरी बड़ी गारंटी महिलाओं के लिए है. कांग्रेस का कहना है कि सरकार बनते ही महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे. बुजुर्गों, महिलाओं के अलावा युवा, किसान, छात्र सभी को कांग्रेस की गारंटी में जगह दी गई है. कांग्रेस ने यह भी कहा है कि सरकार बनते ही पहली मंत्रिमंडल की बैठक में दो बड़े निर्णय लिए जाएंगे. पहला 1 लाख सरकारी नौकरी दी जाएगी. कुल 5 लाख रोजगार दिए जाएंगे. दूसरी ओपीएस को भी बैठक में लाया जाएगा और वापस मिलेगा.

गारंटी कार्ड की खास बातें: इस गारंटी कार्ड में हिमाचल की जनता के मुद्दों को गांव-गांव जा कर टटोला गया. वहीं, स्थानीय लोगों से बात कर उनकी समस्याएं सुनकर और उनका हल निकालते हुए ये गारंटी कार्ड तैयार किया गया है. नरेश चौहान ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की तरफ से इसमें मुख्य रूप से 10 बातों की गारंटी दी जा रही (Congress 10 guarantees in Himachal) है. पुरानी पेंशन स्कीम, महिलाओं के लिए 1500 रु, 300 यूनिट बिजली मुफ्त, 5 लाख रोजगार, फसलों और फलों के सही दाम, 680 करोड़ रु का स्टार्ट-अप फंड, मोबाइल क्लीनिक, अंग्रेजी मीडियम स्कूल, कांग्रेस की सरकार हर रोज गाय-भैंस पालकों से 10 लीटर दूध खरीदेगी और 2 रु किलो में गोबर खरीदेगी.

क्या है ओपीएस: एनपीएस 1 अप्रैल, 2004 से प्रभावी है. पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी के आखिरी वेतन का 50 फीसदी पेंशन होती थी. इसकी पूरी राशि का भुगतान सरकार करती थी. वहीं, NPS में उन कर्मचारियों के लिए है, जो 1 अप्रैल 2004 के बाद सरकारी नौकरी में शामिल हुए है. कर्मचारी अपनी सैलरी से 10 फीसदी हिस्सा पेंशन के लिए योगदान करते हैं. इसके अलावा राज्य सरकार 14 फीसदी योगदान देती है. बता दें कि, पेंशन का पूरा पैसा पेंशन रेगुलेटर PFRDA के पास जमा होता है, जो इसे निवेश करता है. ओपीएस खत्म करने के बाद 2004 के बाद नियुक्त सभी कर्मचारी अब एनपीएस यानी नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में आ गए हैं. अन्य राज्यों की तरह हिमाचल ने भी इस योजना को लागू किया है. मगर लागू करने के करीब 18 साल बाद यह मुद्दा इतना बड़ा हो गया है कि राजनीतिक पार्टियों के लिए इसको नजरअंदाज करना मुश्किल हो गया है. (issue in himachal assembly elections)

कांग्रेस का जनता से वादा
कांग्रेस का जनता से वादा
कांग्रेस का जनता से वादा
कांग्रेस का जनता से वादा

हिमाचल चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम सबसे बड़ा मुद्दा: ओपीएस का मुद्दा, मौजूदा वक्त में हिमाचल में सबसे ज्वलंत मुद्दा है. वैसे तो देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने झंडा बुलंद किया है, लेकिन हिमाचल में चुनाव के मद्देनजर इस मुद्दे की गूंज ज्यादा सुनाई दे रही है. सरकारी कर्मचारी कई प्रदर्शन कर चुके हैं और मौजूदा वक्त में भी चल रहे हैं. कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाथों हाथ लिया है और सरकार बनने पर ओपीएस लागू करने का ऐलान किया है. कांग्रेस छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ओपीएस लागू करने का हवाला दे रही है. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार है. वहीं, बीजेपी ने इस मुद्दे को एक तरह से दरकिनार कर दिया है. हिमाचल में 2,40,640 सरकारी कर्मचारी और 1,90,000 पेंशनर्स हैं. इस लिहाज से ये एक बड़ा वोट बैंक है. (OPS Demand in Himachal Pradesh)

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