मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में देव परंपराओं और देव आस्था के जीवंत प्रमाण देखने को मिलते हैं. सदियों से चली आ रही परंपरा को लोगों के साथ देवता भी निभा रहे हैं. राजा के बेहड़े नरोल देवियों के नाम से जाने जाने वाली 6 देवियां शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए छोटी काशी मंडी में आती तो हैं, लेकिन राज महल से बाहर नहीं निकलतीं.
राज महल में ही शिवरात्रि महोत्सव के दौरान ये देवियां वास करती हैं. सदियों बाद भी यह देवियां घुंघट में विराजमान हैं. शिवरात्रि महोत्सव में इन देवियों के दर्शन के लिए राजमहल में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
देव दर्शन की कड़ी में ईटीवी भारत ने देवी बूढ़ी भैरवा के पुजारी मनोहर लाल शर्मा से विशेष बातचीत की. उन्होंने कहा कि सदियों से इस परंपरा का देवियां निर्वहन कर रही हैं. राजाओं के दौर में जब रानियां राज महल में शिवरात्रि महोत्सव के दौरान अकेली अंदर होती थीं, तो ये देवियां उनकी सहेलियों की तरह उनसे बात करती थीं. उन्होंने कहा कि एक बार देवी के प्रसाद में राजा को बाल आ गया था, जिससे राजा नाराज हो गए और उन्होंने क्रोधित होकर देवियों का अपमान कर दिया.
कुछ समय बाद ही मंडी के राजा किसी अन्य रियासत के राजा की कैद में चले गए, तब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने देवियों से माफी मांगी. राजपरिवार ने देवियों का मनन पूजन किया. इसके बाद देवियों को राज महल में विशेष स्थान दिया गया.
कहा जाता है कि राजा की रानियां रियासतों के दौर में घुंघट में रहा करती थीं. उनकी सहेलियों की तरह यह देवी अभी भी सदियों की परंपरा को निभा रही हैं. राजा और रजवाड़ों के दौर खत्म हो गए, लेकिन देवियां शिवरात्रि महोत्सव में हर साल मंडी के राज महल में पहुंचती हैं और यहां पर 7 दिन तक बात करती हैं. माता के पुजारी यह भी कहते हैं कि 7 दिन तक का मंत्र जाप देवियां करती हैं, जिससे मंडी शहर को सुरक्षा कवच मिलता है और देवियों का आशीर्वाद लेने वाले लोगों को भी लाभ मिलता है.
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