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दावों पर सवाल! करसोग के इस स्कूल में सुविधाओं का अभाव, बच्चों की पढ़ाई हो रही प्रभावित

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Published : Feb 26, 2022, 9:21 AM IST

Updated : Feb 26, 2022, 9:44 AM IST

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी (cm jairam home district mandi) के उपमंडल करसोग स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील (government school mandi) में सुविधाओं का अभाव है. शिमला-करसोग मुख्य मार्ग (shimla karsog main road) पर तहसील मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में 7 कक्षाओं को चलाने के लिए केवल 4 कमरें हैं.

lack of facilities in government school khil mandi
करसोग के सरकारी स्कूल

मंडी: प्रदेश में भले ही घर-द्वार पर शिक्षा देने के लिए स्कूलों को अपग्रेड करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हो, लेकिन जमीनी हकीकत (education system in himachal) कुछ और ही है. सरकार स्कूलों में छात्रों के लिए भवन का निर्माण करना ही भूल जाती है. शिक्षा के मंदिरों में पढ़ाई के नाम पर खुले आम छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला मंडी (cm jairam home district mandi) के उपमंडल करसोग में ऐसी ही राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील (government school mandi) है, जहां 16 वर्षों में दो बार स्कूल का दर्जा बढ़ाने के बाद भी अभी तक भवन का निर्माण (lack of facilities in government school) नहीं हुआ है. शिमला-करसोग मुख्य मार्ग (shimla karsog main road) पर तहसील मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में 7 कक्षाओं को चलाने के लिए केवल 4 कमरे हैं.

स्कूल में सुविधाओं का अभाव

कोरोना काल में दो साल बाद खुले स्कूल में पर्याप्त कमरे न होने से छात्र खुले आसमान के नीचे धूल भरे मैदान में बैठकर शिक्षा ग्रहण करने को मजबूर हैं. हालत ये है कि सर्दियों में मौसम खराब होने की वजह से बच्चों को छुट्टी कर घर भेज दिया जाता है या फिर स्कूल के बरामदे में खड़ा होकर छात्रों को बारिश रुकने का इंतजार करना पड़ता है.

बच्चों की परेशानी को देखते हुए अभिभावक कई सालों से भवन निर्माण की गुहार लगा रहे हैं. जिसके लिए शिक्षा विभाग (education department himachal pradesh) के पास करीब 7 बीघा भूमि भी उपलब्ध है, लेकिन लोगों की आवाज अफसरशाही के कानों तक नहीं पहुंच रही है. ऐसे में स्थानीय जनता में सरकार के प्रति भारी रोष है.

बता दें कि सरकार ने वर्ष 2006 में माध्यमिक पाठशाला खील (lack of facilities in secondary school khil) का दर्जा बढ़ाकर हाई स्कूल किया था. इसके बाद फिर से वर्ष 2014 में स्कूल को 12वीं तक किया गया. लेकिन 16 सालों में छात्रों को छत नसीब नहीं हो पाई है. स्कूल में नौवीं से 12वीं तक विद्यार्थियों की संख्या 149 है, जबकि छठी से आठवीं तक 70 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

एसएमसी प्रधान इंद्र कुमार (smc head inder kumar) का कहना है कि भवन न होने से बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कमरें ने होने से कक्षाएं खुले में लगानी पड़ रही हैं. मौसम अधिक खराब होने पर छात्रों को छुट्टी देकर घर भेजा जाता है. इस तरह से बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है.

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील के कार्यकारी प्रधानाचार्य राजेंद्र कुमार का कहना है कि स्कूल में सिर्फ चार ही कमरे उपलब्ध हैं. अभी प्लस वन और टू की कक्षाएं प्राइमरी स्कूल के कैंपस में चलाई जा रही है. अभी तो कोविड 19 की वजह से स्कूल बंद थे तो कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन अब स्कूल खुलने के बाद बरामदे में छात्रों को बिठाने की व्यवस्था की गई है. बारिश में पंचायत भवन के सामुदायिक भवन में भी कक्षाएं चलाई जा रही है, वैसे खुले में कक्षाएं लगानी पड़ती है.

वहीं, लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता अरविंद कुमार भारद्वाज का कहना है कि राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला खील में भवन का निर्माण कार्य जल्द शुरू किया जाएगा. इसके लिए टेंडर लगा दिया है.

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Last Updated :Feb 26, 2022, 9:44 AM IST
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