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हिमाचल विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन सम्मेलन, स्मार्ट मीटर की टेंडरिंग प्रक्रिया रद्द करने की मांग

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Published : Jun 28, 2023, 5:11 PM IST

State Electricity Board employees meeting in Mandi
मंडी में राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारियों की बैठक

मंडी में हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने जिलास्तरीय सम्मेलन में स्मार्ट मीटरिंग का जोरदार विरोध किया. यूनियन के महासचिव हीरालाल वर्मा का कहना है कि स्मार्ट मीटरिंग प्रदेश में सरकार और लोगों के हित्त में नहीं है, इसलिये टेंडरिंग प्रक्रिया रद्द की जाए.

विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन की मांग

मंडी: प्रदेश सरकार से ओल्ड पेंशन बहाली की मांग कर रहे विद्युत विभाग के कर्मचारी अब आर-पार के मूड में आ गए हैं. दरअसल, हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर मंडी जिला के सुंदरनगर में एक जिलास्तरीय सम्मेलन का आयोजन किया. यूनियन ने विभाग में ओपीएस बहाली की मांग करते हुए प्रदेश में स्मार्ट मीटरिंग का जोरदार विरोध किया. जानकारी देते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन के प्रदेश महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि प्रदेश बिजली बोर्ड में अभी तक पुरानी पेंशन योजना बहाल नहीं हुई है. विभाग के कर्मचारियों का एनपीएस शेयर बीते 2 माह से काटा जा रहा है.

NPS शेयर काटे जाने की संभावना को लेकर कर्मचारियों में आक्रोश: उन्होंने कहा कि इस बार भी विद्युत विभाग के कर्मचारियों का एनपीएस शेयर काटे जाने की संभावना है. जिसको लेकर कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त है. हीरालाल शर्मा ने कहा कि ओपीएस बहाली को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के साथ यूनियन की वार्ता हुई है. यूनियन को उम्मीद है कि प्रदेश सरकार विभाग के कर्मचारियों के लिए जल्द ही ओपीएस बहाल करेगी. उन्होंने कहा कि विद्युत विभाग में आजकल अस्थायी मैनेजमेंट है. विभिन्न पदों पर तैनात अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जिस कारण प्रदेश के लगभग सभी 16 हजार कर्मचारी परिवार सहित प्रभावित हो रहे हैं.

'स्मार्ट मीटरिंग प्रदेश में सरकार और लोगों के हित्त में नहीं है इसलिये टेंडरिंग प्रक्रिया रद्द की जाए. स्मार्ट मीटरिंग से प्रदेश सरकार पर 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा'. :- हीरालाल वर्मा, महासचिव, राज्य विद्युत बोर्ड कर्मचारी यूनियन, हिमाचल प्रदेश

प्रदेश महासचिव हीरा लाल शर्मा ने कहा कि प्रदेश में शुरू की जा रही स्मार्ट मीटरिंग से प्रदेश सरकार पर 3 हजार करोड़ का अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा. इस मीटरिंग सिस्टम को लेकर केंद्र सरकार से मात्र 390 करोड की ग्रांट आएगी. इससे प्रदेश सरकार के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर भी अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ने जा रहा है. उन्होंने कहा कि इसके तहत दिए गए टेंडरों को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए. स्मार्ट मीटरिंग व्यवस्था प्रदेश के लोगों के हित में नहीं है.

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