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खतरनाक सड़कों पर सफर करने को मजबूर लोग, सरकार से की ये मांग

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Published : Nov 29, 2019, 11:51 AM IST

मंडी के करसोग में तत्तापानी से राकनी बखरोट से लुहरी सड़क पर केवल दस क्रैश बैरियर लगाए गए हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की लापरवाही के कारण कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने सरकार से यहां वाहनों की सुरक्षा के लिए पैरापिट निर्माण करने की मांग की है.

bad condition of road in karsog
खतरनाक सड़कों में सफर करने को मजबूर लोग

करसोग: प्रदेश में आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं, लेकिन सरकार इन हादसों से सबक लेती नजर नहीं आ रही है. जिला मंडी के करसोग में तत्तापानी से राकनी बखरोट से लुहरी सड़क पर केवल दस क्रैश बैरियर लगाए गए हैं.

बता दें कि मंडी जिला के करसोग उपमंडल में लोग आजादी के इतने दशक बाद भी अपनी जान जोखिम में डालकर यहां खतरनाक सड़कों में सफर करने को मजबूर हैं. बखरोट से लुहरी और तत्तापानी से राकनी सड़कों का जिम्मा करसोग पीडब्ल्यूडी डिवीजन का है.

वीडियो रिपोर्ट

पीडब्ल्यूडी की ओर से दस ऐसी जगहों पर क्रैश बैरियर लगाए गए हैं जहां दुर्घटनाएं हुई हैं, लेकिन इस डिवीजन में ना तो क्रैश बैरियर है और ना ही पैरापिट, जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.

गौर रहे कि करसोग में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक कुल 52 सड़कों का निर्माण किया गया है. जिसकी लंबाई 350 किलोमीटर से अधिक है. इसमें कई सड़कों में तो फेज-2 के तहत कार्य चल रहा है. योजना के तहत बनी एक भी सड़क में न तो क्रैश बैरियर लगाए गए हैं और न वाहनों की सुरक्षा के लिए पैरापिट का निर्माण किया गया है.ऐसे में वाहन चालकों की जरा सी लापरवाही बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है.

ये भी पढ़ें: जान जोखिम में डाल टूटे पुल से सफर करने को मजबूर लोग, प्रशासन से की ये मांग

स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग की लापरवाही के कारण कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है. उन्होंने सरकार से यहां वाहनों की सुरक्षा के लिए पैरापिट का निर्माण करने की मांग की है.

Intro:करसोग में एमडीआर के तहत करीब दो सड़कें है। इन दोनों ही सड़कों की लंबाई करीब 104 किलोमीटर है। इसमें तत्तापानी से राकनी तक 62.750 किलोमीटर सड़क करसोग डिवीजन के तहत है। इसी तरह से बखरोट से लुहरी तक 41.800 किलोमीटर सड़क की देखरेख का जिम्मा भी करसोग पीडब्ल्यूडी डिवीजन का ही है। इन दोनों ही सड़कों पर पीडब्ल्यूडी ने केवल 10 ऐसी जगहों पर क्रेश बेरियर लगाए हैं, जहां दुर्घटना घट चुकी हैBody:सड़क हादसों से भी सबक नही लिया सबक, पीडब्ल्यूडी के इस डिवीजन ने सड़कों के किनारे न ही लगाए हैं क्रेश बेरियर और न ही पैरापिट।
करसोग
प्रदेश में हर साल लगातार बढ़ रहे सड़क हादसों से हजारों घरों के चिराग बुझे है। भाग्य की मेहरबानी से लोग किसी तरह से इन हादसों में बच गए है, उनमें बहुत से लोग आज बैशाखियों के सहारे जिंदगी काटने को मजबूर है। इतना सब कुछ घटने के बाद भी पीडब्ल्यूडी विभाग ने कोई सबक नहीं लिया है। मंडी जिला के दुर्गम उपमंडल करसोग की बात करें तो यहां लोग आजादी के सात दशक बाद भी लोग जान हथेली पर रखकर संकरी और खतरनाक सड़कों में सफर करने को मजबूर है। हालत ये है कि अधिकतर सड़कों में न क्रेश बेरियर है और न ही पैरापिट लगाए गए हैं। जिन एमडीआर ( मेजर डिस्ट्रिक्ट रोड ) में पैरापिट लगाए हैं, उसकी हालत भी खराब है। ऐसे में पीडब्ल्यूडी डिवीजन करसोग के तहत सड़कों में सफर के दौरान लोगों की जान राम भरोसे है। करसोग में एमडीआर के तहत करीब दो सड़कें है। इन दोनों ही सड़कों की लंबाई करीब 104 किलोमीटर है। इसमें तत्तापानी से राकनी तक 62.750 किलोमीटर सड़क करसोग डिवीजन के तहत है। इसी तरह से बखरोट से लुहरी तक 41.800 किलोमीटर सड़क की देखरेख का जिम्मा भी करसोग पीडब्ल्यूडी डिवीजन का ही है। इन दोनों ही सड़कों पर पीडब्ल्यूडी ने केवल 10 ऐसी जगहों पर क्रेश बेरियर लगाए हैं, जहां दुर्घटना घट चुकी है


पीएमजीएसवाई के बनी सड़कों की हालत सबसे खराब:

करसोग में पीएमजीएसवाई के तहत अब तक कुल 52 सड़कों का निर्माण किया गया है। जिसकी लंबाई 350 किलोमीटर से अधिक है। इसमें कई सड़कों में तो फेज टू के तहत कार्य चल रहा है, लेकिन पीएमजीएसवाई के तहत बनी एक भी सड़क में न तो क्रेश बेरियर लगाए गए हैं और न वाहनों की सुरक्षा के लिए जयादा किनारे पर पैरापिट का निर्माण किया गया है। ऐसे में वाहन चालकों की जरा सी लापरवाही बहुत बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है।

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा: मुनीष कुमार
करसोग के मुनीष कुमार का कहना है कि शिमला करसोग सड़क में न तो क्रेश बेरियर लगाए गए हैं और न ही कोई पैरापिट लगे हैं, ऐसे में विभाग की लापरवाही से कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है।




Conclusion:करसोग के मुनीष कुमार का कहना है कि शिमला करसोग सड़क में न तो क्रेश बेरियर लगाए गए हैं और न ही कोई पैरापिट लगे हैं, ऐसे में विभाग की लापरवाही से कभी भी यहां बड़ा हादसा हो सकता है।
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