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Sharadiya Navratri 2023: नवरात्रि की अष्टमी पर बन रहे दो शुभ योग, इस विधि से करें पूजा मिलेगा मां दुर्गा का आशीर्वाद

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 19, 2023, 1:16 PM IST

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इस बार नवरात्रि की अष्टमी पर दो शुभ योग का निर्माण हो रहा है. ऐसे में धार्मिक मान्यता है कि अगर इस दिन निसंतान दंपति मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना करे तो, उन्हें संतान सुख की प्राप्ति होगी. पढ़िए पूरी खबर...(Sharadiya Navratri 2023) (Navratri Ashtami) (Two auspicious yogas formed on Navratri Ashtami) (Navratri Ashtami Puja)

कुल्लू: देशभर में इन दिनों शारदीय नवरात्र की धूम है. मां दुर्गा को अर्पित नवरात्रों की धूम हर जगह देखने को मिल रही है. वहीं, 22 अक्टूबर को नवरात्र की अष्टमी मनाई जाएगी. इस बार अष्टमी कई मायनों में खास है, क्योंकि इस दिन दो शुभ योग का निर्माण हो रहा है. 22 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी के दिन दो शुभ योग रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है.

अष्टमी पर हो रहा दो शुभ योग का निर्माण: आचार्य दीप कुमार की माने तो इस बार शारदीय नवरात्र में अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6:26 से शाम 6:48 तक रहेगा. वही उसी दिन रवि योग भी शाम 6 बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा. जो नवमी के दिन सुबह 6:27 तक रहेगा. ऐसे में दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवे स्वरूप महागौरी की पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होगी. इन दो योग का भी भक्तों को विशेष लाभ मिलेगा.

अष्टमी पर कन्या पूजा का विधान: धार्मिक मान्यता के अनुसार मां दुर्गा के भक्त अष्टमी के दिन व्रत में रखते हैं और कन्या पूजन भी करते हैं. ऐसे में इस साल अष्टमी का व्रत भक्तों के लिए काफी हितकारी रहेगा. हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि शनिवार रात 9:53 से शुरू हो रही है, जो 22 अक्टूबर रविवार को शाम 7:58 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर दुर्गा अष्टमी 22 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

अष्टमी में पूजा का शुभ मुहूर्त: आचार्य दीप कुमार का कहना है कि अष्टमी में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह के समय 7:51 से लेकर 10:41 तक रहेगा. दोपहर की पूजा का मुहूर्त 1:30 से दोपहर 2:55 तक रहेगा. शाम की पूजा का मुहूर्त 5:45 मिनट से लेकर रात 8:55 तक रहेगा. वही, संधी पूजा का मुहूर्त रात 7:35 से रात 8:22 तक रहेगा. उनका कहना है की महा अष्टमी नवरात्रि के आठवें दिन आती है. इस दिन महागौरी की पूजा का विधान है.

माता गौरी की उपासना से संतान की प्राप्ति: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी के दिन माता गौरी की उपासना करने से निसंतान दंपतियों को गुणवान संतान की प्राप्ति होती है. ऐसे में जिन दंपति के संतान नहीं हो रही हैं, वह महाष्टमी के दिन कन्या का पूजन अवश्य करें. क्योंकि कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा सफल नहीं मानी जाती है. नवरात्रि के अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन किया जा सकता है. कन्या पूजन के लिए 10 साल तक की बच्चियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती है.

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