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'शास्त्री पदों के लिए आर एंड पी रूल में हो बदलाव, 5 हजार बेरोजगार शास्त्री हो रहे प्रभावित'

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 9, 2024, 5:06 PM IST

Protest Against new rule of Shastri posts in Himachal
हिमाचल में शास्त्री पदों के नए रूल का विरोध

संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ कुल्लू ने हिमाचल सरकार द्वारा शास्त्री पदों के लिए लागू किए गए नए आर एंड पी रूल का विरोध किया है. संघ कुल्लू इकाई के अध्यक्ष सतपाल का कहना है कि सरकार को इस निर्णय पर विचार करना चाहिए. अगर बात नहीं मानी गई तो सरकार के खिलाफ आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा. पढ़ें पूरी खबर..

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार के द्वारा शास्त्री पदों के लिए अब नए आर एंड पी रूल लागू किए गए हैं, जबकि कुछ अन्य विषयों की पढ़ाई करने वाले अभ्यर्थियों को भी शास्त्री पद के लिए उपयुक्त माना गया है. इसको लेकर संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ कुल्लू इकाई के अध्यक्ष सतपाल ने कहा है कि सरकार के इस फैसले का संस्कृत एवं संस्कृति संरक्षण संघ कुल्लू विरोध करता है. सरकार ने नवंबर 2023 को यह फैसला लिया है. जिससे शास्त्री की शिक्षा ग्रहण करने वाले अभ्यर्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

दरअसल, सतपाल का कहना है कि शास्त्री के लिए आर एंड पी रूल में बदलाव किया है. उसका शास्त्री संघ विरोध करता है. सतपाल शास्त्री ने कहा कि अब जल्द इस इस रूल को बदला जाए और साल 2012 में जो आर एंड पी रूल बनाए गए है. उसी रूल के हिसाब से ही शास्त्री पद की भर्ती की जाए. उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से प्रदेश के 5 हजार शास्त्री प्रभावित हो रहे हैं. सरकार के गलत फैसले से नए छात्र शास्त्री की शिक्षा ग्रहण नहीं कर रहे हैं और शास्त्री में टेट पास, बीएड की जो बात कही गई हैं. उसे भी तुरंत रद्द किया जाना चाहिए.

सतपाल का कहना है कि बैक लॉग के आधार पर 9 अक्टूबर 2023 में भी भर्तियां की गई हैं और नवंबर माह में सरकार ने आर एंड पी रूल में बदलाव किया गया. जो प्रदेश भर के बेरोजगार शास्त्री के साथ धोखा है. सरकार अगर बात को नहीं मानती है तो सरकार के खिलाफ आक्रोश रैली का आयोजन किया जाएगा. उनका कहना है कि संस्कृत विश्व को संदेश देती है, लेकिन सरकार गलत फैसले लेकर संस्कृत को नष्ट करने का कार्य कर रही है. सरकार ने कुछ अन्य विषय की पढ़ाई करने वालो को भी अब शास्त्री का दर्जा दिया है. वो बिलकुल भी सही नहीं है. सरकार को इस निर्णय पर पहले विचार करना चाहिए और तब उन्हे पता चलेगा कि उनके द्वारा लिया गया फैसला कितना गलत है.

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