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Tsering Dorje death anniversary: 'एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय' की पुण्यतिथि पर ढालपुर में कार्यक्रम आयोजित

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Published : Nov 20, 2021, 5:11 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 6:02 PM IST

Tsering Dorje death anniversary known as Himalayan Encyclopedia
हिमालयन इनसाइक्लोपीडिया कहे जाने वाले छेरिंग दोरजे की पुण्यतिथि

एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय (encyclopedia of Himalaya) कहे जाने वाले स्वर्गीय छेरिंग दोरजे (Tsering Dorje death anniversary) की पहली पुण्यतिथि पर शनिवार को जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर (Dhalpur of Kullu District) में एक कार्यक्रम रखा गया था. इस दौरान जिला कुल्लू व लाहौल (Kullu and Lahaul) के विद्वानों के द्वारा उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके द्वारा किए गए शोध कार्यों के विषय पर भी चर्चा हुई. जहां विभिन्न बुद्धिजीवियों ने यह प्रण लिया कि उनके द्वारा शुरू किए गए शोध कार्यों को जरुर पूरा किया जाएगा.

कुल्लू: Tsering Dorje death anniversary: एनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिमालय (encyclopedia of Himalaya) कहे जाने वाले स्वर्गीय छेरिंग दोरजे (Tsering Dorje) की पहली पुण्यतिथि शनिवार को जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर (Dhalpur of Kullu District) के देव सदन में मनाई गई. इस दौरान जिला कुल्लू व लाहौल (Kullu and Lahaul) के विद्वानों के द्वारा उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की गई और उनके द्वारा किए गए शोध कार्यों के विषय पर भी चर्चा हुई.

ढालपुर देव सदन में भाषा एव कला संस्कृति विभाग (Language and Art Culture Department Himachal Pradesh) के द्वारा इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया था, जहां विभिन्न बुद्धिजीवियों ने स्व छेरिंग के जीवन पर चर्चा करते हुए यह प्रण लिया कि उनके द्वारा शुरू किए गए शोध कार्यों को जरुर पूरा किया जाएगा. कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. सूरत ठाकुर (Renowned Historian Dr. Surat Thakur) ने कहा कि स्व छेरिंग दोरजे भोटी भाषा के ज्ञाता थे और हिमालय, तिब्बत (Tibet) और मध्य एशिया की संस्कृति (Culture of Central Asia) और इतिहास की गहरी समझ रखते थे.

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जिला लाहौल स्पीति (Lahaul Spiti) की गाहर वैली (Gahar Valley) के गुसख्यार गांव से संबंध रखने वाले छेरिंग दोरजे ने हिमालय के लगभग 200 दर्रों को पार किया और हिमालय की भौगोलिक परिस्थितियों से पूरी तरह से (Geographical Conditions of the Himalayas) परिचित थे.

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उन्होंने कहा कि छेरिंग दोरजे ने साहित्य के प्रचार-प्रसार के लिए जापान(Japan) , कोरिया (Korea), रूस (Russia) सहित विभिन्न देशों की यात्राएं की और वहां विश्वविद्यालयों में व्याख्यान भी दिए. यही नहीं, देश विदेश से भी उनके पास शोधार्थी (Research Scholar) आते थे. उन्होंने कहा कि वह अखिल भारतीय इतिहास संकलन समिति के (Indian Historical Records Committee) प्रदेश के उपाध्यक्ष व मार्गदर्शक भी थे. डॉ. सूरत ठाकुर ने कहा कि हिंदी, पहाड़ी, लाहौल -स्पीति और विशेषकर तिब्बती भाषा का विस्तृत ज्ञान (Tibetan language) और अन्य धार्मिक व सांस्कृतिक जानकारी रखने के कारण उन्हें लाहौल स्पीति के उपायुक्त कार्यालय (Deputy Commissioner's Office Lahul Spiti) में तिब्बती भाषा के व्याख्याकार की नौकरी मिली थी.

वहीं, कुछ साल बाद उन्हें जनसंपर्क अधिकारी बनाया गया. उन्होंने कहा कि स्व. छेरिंग दोरजे रशिया के विख्यात कलाकार निकोलस रौरिक के बेटे जॉर्ज रौरिक के मित्र थे. निकोलस के ग्रीष्मकालीन निवास स्थान लाहौल स्पीति (Summer Residence Lahul Spiti) में भी रौरिक आर्ट गैलरी (Nicholas Roerich Art Gallery) का निर्माण किया गया था, जिसका अभी कुछ वर्ष पूर्व ही छेरिंग दोरजे ने सरकार से आग्रह करके जीर्णोद्धार करवाया था.

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Last Updated :Nov 20, 2021, 6:02 PM IST
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