Kullu Dussehra 2023: ढालपुर में देवी देवताओं का मिलन बना आकर्षण का केंद्र, आपस में रिश्तेदारी की परंपरा को निभा रहे देवी देवता

Kullu Dussehra 2023: ढालपुर में देवी देवताओं का मिलन बना आकर्षण का केंद्र, आपस में रिश्तेदारी की परंपरा को निभा रहे देवी देवता
कुल्लू के ढालपुर मैदान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव मनाया जा रहा है. वहीं, दशहरा उत्सव में वीराजे सैंकड़ों देवी देवताओं का मिलन आकर्षण का केंद्र बन गया है.आपस मे देवी देवता रिश्तेदारी की परंपरा को निभा रहे हैं. बता दें कि कुल्लू के देवी देवता भी भगवान रघुनाथ की अस्थाई शिविर में जाकर हाजिरी भर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर... (International Kullu Dussehra) (Mohalla Tradition In Kullu Dussehra)
ढालपुर/कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में मनाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जहां ढालपुर मैदान में सेंकडों देवी देवता विराजे हुए हैं. तो वही, रोजाना देवी देवताओं का आपस में भव्य मिलन भी हो रहा है. ऐसे में देव मिलन को देखने के लिए भी हजारों श्रद्धालु देवी देवताओं के शिविर में पहुंच रह रहे हैं और देवी देवता भी आपसी रिश्तेदारी की पुरानी परंपरा को बखूबी निभा रहे हैं. बता दें कि जिला कुल्लू के देवी देवता भी भगवान रघुनाथ की अस्थाई शिविर में जाकर हाजिरी भर रहे हैं.
जानकारी के अनुसार, ढोल नगाड़ों की धुन पर देवता के साथ आए हरियान भी नृत्य कर रहे हैं और इस नृत्य को देखने के लिए लोग भी ढालपुर मैदान उमड़ रहे हैं. बता दें कि दशहरा उत्सव के छठे दिन मोहल्ला की परंपरा को भी निभाया जाएगा. इसके अलावा बंजार घाटी के देवी देवता भी आपस में मिलन कर रहे हैं और सभी देवी देवताओं के शिविरों में कुल्लुवी नाटी का भी आयोजन किया जा रहा है. वहीं, भगवान रघुनाथ के शिविर में भी चार पहर पूजा अर्चना की जा रही है.
परंपरा के अनुसार भगवान रघुनाथ के शिविर में भगवान रघुनाथ के साथ माता सीता, हनुमान और नरसिंह भगवान की भी पूजा हो रही है. इस दौरान भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह भी विशेष रूप से उपस्थित हो रहे हैं. इसके अलावा शाम के समय भगवान रघुनाथ के शिविर में महिलाओं के द्वारा भजन कीर्तन भी किया जा रहा है. जिससे पूरा ढालपुर मैदान देवलोक में तब्दील हो गया है. वहीं, भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार महेश्वर सिंह का कहना है कि भगवान रघुनाथ की पूजा आरती ढालपुर के अस्थाई शिविर में भी वैसे ही की जाती है. जो उनके मंदिर में की जाती है.
महेश्वर सिंह ने बताया कि देवी देवता भी भगवान रघुनाथ से मिलने के लिए शिविर में पहुंच रह रहे हैं.अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में जहां देवताओं के सेनापति कार्तिक स्वामी 32 साल बाद भाग लेने के लिए पहुंचे हैं. तो वहीं, मणिकर्ण घाटी के साथ के देवता गौतम ऋषि भी 50 सालों के बाद दशहरा उत्सव में पहुंचे हैं. ऐसे में इन दोनों देवताओं के दर्शनों के लिए भी शिविरों में भीड़ उमड़ी हुई है, दोनों ही देवता श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरी करते हैं.
क्या है मोहल्ला परंपरा?: मान्यताओं के अनुसार दशहरा उत्सव के छठे दिन एक परंपरा निभाया जाता है. जिसे स्थानीय भाषा में मोहल्ला की परंपरा कहते हैं. बता दें कि इस परंपरा में सभी देवी देवता भगवान रघुनाथ के शिविर में आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं.
