ETV Bharat / state

गर्भवती महिलाओं के लिए 'अभिशाप' हैं किन्नौर के ये क्षेत्र, जानें आखिर क्या है वजह

author img

By

Published : Oct 12, 2020, 8:58 PM IST

Updated : Oct 13, 2020, 2:41 PM IST

किन्नौर प्रदेश के सबसे दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है. जहां की कच्ची सड़कें व कठिन हालातों को देखते हुए आज भी लोगों को कई सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. किन्नौर की कुल आबादी करीब 90 हजार के आसपास है और यह आबादी पहाड़ों के बीचोंबीच बसता है. जहां पर महिलाएं जब गर्भवती होती हैं तो उन्हें अपने इलाज के चिकित्सालय तक जाने में घंटों का समय लग जाता है.

Special Story of etv bharat on Road Facilities and Health Facilities in District Kinnaur
डिजाइन फोटो.

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर प्रदेश के सबसे दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है. जहां की कच्ची सड़कें व कठिन हालातों को देखते हुए आज भी लोगों को कई सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है. जिसमें खासकर महिलाओं को अपने सामान्य इलाज से लेकर बड़े इलाज के लिए कई परेशानियों से गुजरना पड़ता है.

जिला किन्नौर की कुल आबादी करीब 90 हजार के आसपास है और यह आबादी पहाड़ों के बीचोंबीच बसता है. जहां पर महिलाएं जब गर्भवती होती हैं तो उन्हें अपने इलाज के चिकित्सालय तक जाने में घंटों का समय लग जाता है. हालांकि जिला में सभी ऐसे क्षेत्र नहीं है. जहां पर सड़क सुविधा नहीं हो या फिर गर्भवती महिलाओं को मातृत्व सुविधा न मिलती हो.

वीडियो रिपोर्ट.

जिला में कुछेक क्षेत्र है जहां ऐसी सुविधाओं का खासा अभाव है जिनमें निचार खंड के रूपी, नाथपा, गरशो, कांगरनग, रुंनग, तरांडा, पानवी, रामनी, कल्पा खंड के मेंबर, बारंग, पूह के टशिगङ्ग इत्यादि. ये ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां लोगों को आज भी पैदल सफर करना पड़ता है और महिलाओं को अपने इलाज, गर्भावस्था में कई दिक्कतों से गुजरना पड़ता है.

निचार खंड के अधिकतर ग्रामीण क्षेत्र आज भी सड़क सुविधा व स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं. जिसपर सरकार का ध्यानाकर्षण भी नहीं रहा होगा, क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी न तो निचार खंड के ग्रामीण क्षेत्रों को सड़क सुविधा नहीं मिल पाई है.

इन क्षेत्रों में आपातकाल के लिए आशा वर्कर, व डॉक्टरों की सुविधा देने के लिए स्वास्थ्य विभाग काम कर रहा है, लेकिन इन लोगों को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचने में काफी समय लगता है और ऐसे में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं के मिलने से पूर्व ही कई बार मृत्यु भी हो जाती है.

जिला में महिलाओं को अपने गांव में अपने परिवार की सेवा के साथ-साथ दूसरे सभी काम करने पड़ते हैं और ऐसे में उन्हें अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखने का समय भी नहीं मिलता है और खासकर जब महिलाएं गर्भवती हों या दूसरी बीमारियां हों तो महिलाओं को चिकित्सालय तक पहुंचाने के लिए परिवार को बीमार महिला को पीठ पर उठाकर या ग्रामीणों की सहायता से मुख्य सड़क मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है.

जिसके बाद उन्हें चिकित्सालय तक पहुंचाया जा सकता है. इस दौरान कई महिलाएं सही समय पर इलाज नहीं मिलने से अपने शिशु को खो देती हैं या कई बार खुद को भी जान से हाथ धोना पड़ता है.

इस संदर्भ में किन्नौर के कल्पा के सरोज नेगी जो इस समय किन्नौर महिला कांग्रेस की अध्यक्ष हैं उन्होंने सरकार से किन्नौर में गर्भवती महिलाओं को घर द्वार तक स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व डॉक्टरों की सुविधा की मांग की है, क्योंकि जिला किन्नौर एक दुर्गम व कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाला क्षेत्र है. ऐसे में यहां की महिलाओं को गर्भावस्था में पैदल चलना मुश्किल है.

वहीं, दूसरी ओर ख्वांगी गांव की ललिता पंचारस का कहना है कि सरकार के तीन साल बीत जाने पर भी अब तक किन्नौर के दुर्गम क्षेत्रों में महिलाओं को अपने हर इलाज के लिए रामपुर व शिमला की ओर जाना पड़ता है, क्योंकि क्षेत्रीय चिकित्सालय रिकांगपिओ में कई विशेषज्ञ डॉक्टरों के रिक्त पदों के चलते कई परेशानियां भी होती हैं.

इस विषय में सीएमओ किन्नौर डॉक्टर सोनम नेगी ने कहा कि लंबे समय से किन्नौर में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी चली हुई थी. हाल ही के महीनों में रिकांगपिओ क्षेत्रीय चिकित्सालय में रेडियोलॉजिस्ट, व गायनी के डॉक्टर की पदोन्नति हुई है.

उन्होंने कहा कि जिला किन्नौर के विभिन्न चिकित्सालयों में डॉक्टरों की तैनाती के साथ महिलाओं की सुविधाओं को लेकर सरकार से मांग रखी है. जल्द ही जिला के दुर्गम क्षेत्र की महिलाओं को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं देने की कोशिश की जाएगी.

Last Updated : Oct 13, 2020, 2:41 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.