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राजन सुशांत ने प्रदेश सरकार पर बोला हमला, कॉलेजों में खाली पड़े पदों को जल्द भरने की मांग

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Published : Dec 13, 2020, 8:33 PM IST

Updated : Dec 13, 2020, 9:12 PM IST

पूर्व सांसद डाक्टर राजन सुशांत
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पूर्व सांसद डॉक्टर राजन सुशांत ने कहा कि सरकार कॉलेज प्राध्यापकों की लंबित मांगों को लेकर जल्द पूरी करे. वर्तमान की बात की जाए तो प्रदेश में सभी विषयों में 750 एसोसिएट प्रोफेसर हैं जो विभिन्न महाविद्यालयों में तैनात हैं. इनमें से दस फीसदी को प्रोफेसर बनाया जाता है. डॉ. सुशांत ने कहा कि महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में प्राध्यापकों के रिक्त पद है. उनमें से कुछ एक पदों पर पीटीए फंड से प्राध्यापक रख लिए गए.

पालमपुर: हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी के संयोजक व पूर्व सांसद डॉक्टर राजन सुशांत ने कहा कि सरकार कालेज प्राध्यापकों की लंबित मांगों को लेकर जल्द कार्यवाही करें. पालमपुर में उपमंडल अधिकारी नागरिक कार्यालय परिसर में हमारी पार्टी ने प्रदर्शन करते हुए सरकार को 60 दिनों की मोहलत दी गई थी कि शिक्षा विभाग में कार्यरत प्राध्यापकों के पदोन्नति व वरिष्ठता को लेकर जो मांग वर्षों से लंबित पड़ी है. उसे पूरा किया जाए.

यूजीसी द्वारा गठित गोपाल कृष्ण चड्डा समिति की सिफारिशों के आधार पर पूरे देश में विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में प्रवक्ता पद के स्थान पर तीन स्तर के पद सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक तथा प्राध्यापक पद को सृजन किया गया.

छठे वेतन आयोग जिसे एक जनवरी 2006 से लागू किया गया इनके अनुसार जिन कॉलेज प्राध्यापकों की एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर उनकी 3 वर्ष की सेवा पूर्ण हो जाएगी उनमें से 10 फीसदी प्राध्यापकों को प्रोफेसर पद पर पदोन्नत किए गए.

प्रदेश में है सभी विषयों के 750 एसोसिएट प्रोफेसर

हिमाचल प्रदेश सरकार ने आज तक कालेज प्राध्यापकों के लिए प्रोफेसर पद का सृजन नहीं किया. वर्तमान की बात की जाए तो प्रदेश में सभी विषयों में 750 एसोसिएट प्रोफेसर हैं जो विभिन्न महाविद्यालयों में तैनात हैं. इनमें से दस फीसदी को प्रोफेसर बनाया जाता है.

प्रदेश के 64 महाविद्यालयों में प्रिंसिपल के पद हैं रिक्त

डॉक्टर राजन सुशांत ने कहा कि सह आचार्यों में से लगभग 150 प्राध्यापक ऐसे हैं जो पिछले 12 वर्षों से इसी पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. जहां तक कॉलेज प्रिंसिपल का संबंध है. इस समय प्रदेश के 64 महाविद्यालयों में प्रिंसिपल के पद काली हैं. पिछले 30 महीनों से प्रिंसिपल पद भरने के लिए डीपीसी की एक भी बैठक नहीं की गई.

शिक्षा विभाग में कॉलेज प्राचार्य के कई पद रिक्त पड़े हुए हैं. इतना ही नहीं सहायक प्राध्यापकों, सह प्राध्यापकों और प्राध्यापकों के तौर पर पदोन्नति प्रक्रिया है. मगर पदोन्नति प्रक्रिया के इंतजार में शिक्षक सेवानिवृत्त हो रहे हैं.

इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि महाविद्यालय शिक्षा व्यवस्था, प्रशासन, कॉलेज में विकासात्मक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव तो पड़ा ही बल्कि पिछले ढाई सालों के दौरान उनके वरिष्ठ प्राध्यापक अपनी पदोन्नति की प्रतीक्षा करते-करते सेवानिवृत्त हो गए.

डॉ. सुशांत ने कहा कि महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में प्राध्यापकों के रिक्त पद है. उनमें से कुछ एक पदों पर पीटीए फंड से प्राध्यापक रख लिए गए. बड़ी संख्या में सेल्फ फाइनेंसिंग कोर्स पढ़ाने के लिए सीए, बीबीए, एमसीए, एमबीए आदि के लिए अस्थाई तौर पर प्राध्यापक नियुक्त किए गए हैं. यह सब स्थितियां राज्य सरकार के उच्च शिक्षा के प्रति गंभीरता की भारी कमी को दर्शाता है.

डॉ. सुशांत ने राज्य सरकार को यह चेतावनी दी

डॉ. सुशांत ने राज्य सरकार को यह चेतावनी देते हुए कहा कि जल्द से जल्द महाविद्यालयों में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसरों के लिए प्रोफेसर का पद सृजित कर 2009 से योग्य प्राध्यापकों को प्रोफेसर बनाया जाए. तुरंत डीपीसी गठित कर कॉलेज प्राध्यापकों को प्रिंसीपल पदोन्नत कर प्रिंसिपल के 64 पदों को भरा जाए.

सरकार प्रोफेसर और प्रिंसिपल की नियुक्ति को लेकर एक सप्ताह में उठाए ठोस कदम

विभिन्न महाविद्यालयों में प्राध्यापकों के रिक्त पदों को कमीशन द्वारा भर्ती कर स्थाई रूप से भरे जाए. सरकार प्रोफेसर, प्रिंसिपल और अन्य कॉलेज प्राध्यापकों की नियुक्ति को लेकर एक सप्ताह के भीतर ठोस कदम उठाएं अन्यथा मुझे मजबूर होकर अपनी टीम के साथ सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन और आंदोलन करना पड़ेगा.

Last Updated :Dec 13, 2020, 9:12 PM IST
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