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शारदीय नवरात्र को लेकर शक्तिपीठ ज्वालामुखी में भव्‍य तैयारी, मां के दरबार में होती है हर मुराद पूरी

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Published : Oct 6, 2021, 12:51 PM IST

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में शारदीय नवरात्र को लेकर देवी मंदिर सजने लगे हैं. मंदिर प्रशासन ने नवरात्रों के मद्देनजर तैयारियां पूरी कर ली हैं. मां ज्वाला की पवित्र ज्योतियों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बाहरी राज्यों से भारी संख्या में नवरात्र में हर साल पहुंचते हैं.

शारदीय नवरात्र को लेकर शक्तिपीठ ज्वालामुखी में भव्‍य तैयारी
शारदीय नवरात्र को लेकर शक्तिपीठ ज्वालामुखी में भव्‍य तैयारी

ज्वालामुखी: शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ सात अक्टूबर दिन गुरुवार को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से हो रहा है. इस दिन ही कलश स्थापना या घट स्थापना होगा और मां शैलपुत्री की पूजा की जाएगी. मां दुर्गा की उपासना के नौ दिनों में हर रोज माता के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है.

हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में शारदीय नवरात्र को लेकर देवी मंदिर सजने लगे हैं. मंदिर प्रशासन ने नवरात्रों के मद्देनजर तैयारियां पूरी कर ली हैं. मां ज्वाला की पवित्र ज्योतियों के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बाहरी राज्यों से भारी संख्या में नवरात्र में हर साल पहुंचते हैं.

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शारदीय नवरात्र को लेकर मंदिर को रंग-बिरंगी लाइटों, फूलों और टेंटों से सजाया गया है. मुख्य पुजारी कपिल शर्मा ने बताया कि नवरात्र में मां ज्वाला के नौ रूपों की पूजा 9 दिनों में के जाएगी. इस बार नवरात्र 9 दिन की बजाए 8 दिन में ही संपन्न होंगे. मान्यता है कि नवरात्रों में किए गए हवन-यज्ञ-पूजा और नौ देवियों की पूजा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

मंदिर अधिकारी तहसीलदार दीनानाथ ने बताया कि शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी में नवरात्र के दौरान कोविड-19 नियमों की पालना के अनुसार श्रद्धालुओं को दर्शन की व्यवस्था की गई है. बिना मास्क के दर्शनों की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा दर्शन पर्ची भी अनिवार्य की गई है. इसके साथ ही प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई एसओपी की पालना की जाएगी. उसके अनुसार ही नवरात्र में श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जाएंगे. मंदिर प्रशासन की ओर तैयारियां पूरी हो गई हैं और श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की कोई समस्या नहीं होगी.

51 शक्तिपीठों में से एक ज्वालामुखी मंदिर काफी प्रसिद्ध है. इस मंदिर को जोता वाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. यहां माता ज्वाला के रूप में विराजमान हैं और भगवान शिव यहां उन्मत भैरव के रूप में स्थित हैं. यहां कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि 9 ज्वालों की पूजा की जाती है. आज तक इसका कोई रहस्य नहीं जान पाया है कि आखिर यह ज्वाला यहां से कैसे निकल रही है.

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